विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के अवसर पर सीएम पुष्कर सिंह धामी ने देश के बंटवारे के दौरान विस्थापित होकर आए लोगों को सम्मानित किया और कहा कि आपके त्याग बलिदान और राष्ट्र के प्रति सेवा भाव का सर्वत्र सम्मान है। सीएम ने कहा हमारे इतिहास का वह काला अध्याय है, जब भारत माता के गोद में बसे हुए करोड़ों लोग, विभाजन की विभिषिका से गुजरते हुए, अपने घरों, गाँवों, और बस्तियों से उजड़ गए। विभाजन स्मृति दिवस महज एक तारीख नहीं, बल्कि कड़वी यादें हैं, जिनमें लाखों परिवारों का दर्द, आंसू और संघर्ष छिपा है।
उन्होंने कहा यह केवल सीमाओं का बंटवारा नहीं था, यह दिलों का बंटवारा था, जिसमें हम सबने अपनों को खोया, अपने सपनों को टूटते देखा, जिसने लाखों लोगों को अपने घर-बार, ज़मीन और अपने प्रियजनों से बिछड़ने पर मजबूर किया, को हम कभी भुला नहीं सकते। सीएम धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी जी ने विभाजन के दर्द को महसूस करते हुए समाज में एकता और सहिष्णुता की भावना की मजबूती हेतु कई पहलें की हैं और प्रत्येक वर्ष 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस का आयोजन इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे हम आने वाली पीढ़ियों को यह याद दिला सकें कि हमें कभी भी ऐसे हालातों को पैदा नहीं होने देना है जो समाज को विभाजित कर सके।
सीएम धामी ने कहा कि आजादी के बदले किया गया हिंदू समाज का ये त्याग हिमालय सा विराट है और उनके इस बलिदान की भरपाई किसी भी प्रकार के सम्मान से नहीं की जा सकती है। बंटवारे के दंश को झेलने वाले लाखों ऐसे लोग हैं जिनके दर्द का कभी कहीं उल्लेख नहीं किया गया और बीते 77 सालों से ये लोग उस दर्द को अपने सीने में दबाए बैठे हैं। सीएम पुष्कर धामी ने कहा भारत के इतिहास में पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने इनके दर्द को अपना दर्द माना और 14 अगस्त के दिन को ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ के रूप में मनाए जाने का निर्णय लेकर, राजनीतिक महत्वकांक्षाओं की पूर्ति के लिए विभाजन का विष पीने को मजबूर हुए लाखों लोगों के प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट की है।
सीएम ने कहा इतिहास में उल्लेख मिलता है कि 1947 में जब विभाजन हुआ तो बारह लाख से ज्यादा हिंदुओं की हत्या हुई, उनका भारत मां के लिए बलिदान हुआ। लाखों हिंदू परिवारों को अपनी बेशकीमती संपत्ति छोड़ अपने ही देश में पलायन करना पड़ा, अपनी जान को संकट में डाल हिंदुस्तान आना पड़ा। विपरीत हालातों में भारत पहुंचे इन लोगों ने शून्य से शुरुआत की और विषम परिस्थितियों में अपने परिवार का जैसे तैसे भरण-पोषण किया।
सीएम धामी ने कहा आज ये पंजाबी समाज भारत की गतिशीलता का प्रमुख कारक है और मैं व्यक्तिगत रूप से हिंदू पंजाबी समाज को उनकी राष्ट्रसेवा के लिए आदर पूर्वक नमन करता हूं। साथ ही मैं आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी का भी हृदय से आभार प्रकट करता हूं जिन्होंने हमारे हिंदू पंजाबी समाज के पुरुषार्थ का उचित सम्मान किया है। हम और हमारी सरकार, आजादी के 77 वर्ष पूर्ण होने के अमृत काल में ऐसे लोगों का सम्मान कर रहे हैं जिन्होने अविभाजित भारत में जन्म लिया था और विभाजन के कोप को झेला था। मुख्यमंत्री ने कहा हमने अपने बुजुर्गो से वो सच्ची और दर्दनाक घटनाएं सुनी हैं जो बंटवारे के दौरान घटित हुईं और जिन्हें आज भी याद कर के सिरहन पैदा हो जाती है… डर हमारे मस्तिष्क पर हावी हो जाता है।
श्री धामी ने कहा कि उस वेदना के साक्षी रहे अपने सभी बुजुर्गों और उनके संघर्ष के ऋणी हैं। आज हमारे द्वारा दिया जा रहा ये सम्मान आपके बलिदान के सम्मुख कुछ नहीं है। आप में से ही किसी के पिता, किसी के भाई, किसी की बहन, किसी की मां, किसी के अबोध बच्चों के साथ जो कुछ भी बीता, उसे ना तो भुला जा सकता है और ना ही उसकी किसी भी रूप में कोई भरपाई की जा सकती है। सीएम धामी ने कहा उत्तराखंड में बसे उन पंजाबी परिवारों का आभार प्रकट करता हूं जिन्होंने इस देवभूमि को अपनी मेहनत से सींचा और कारोबारियों ,उद्योगपतियों पर गर्व महसूस करता हूं जिन्होंने उत्तराखंड के विकास में अपना तन मन धन से सेवा की।
उन्होंने कहा हम विभाजन के दौरान अपनी शहादत देने वाले अपने सभी हिंदू पंजाबी जनों को अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं… आप सभी के बलिदान को हम याद कर उन्हें नमन करते है।
हमारी सरकार ने ये घोषणा की हुई है कि हम उत्तराखंड में एक ऐसा स्मारक बनाएंगे जिसमे बंटवारे के दौरान बलिदान होने वालों को सम्मान दिया जायेगा। उधम सिंह नगर जिले में ये स्मारक बनेगा। इसके लिए भूमि तलाशी जा रही है।
सीएम धामी ने कहा कि हाल ही में बांग्लादेश में जो कुछ हिंदुओ के साथ बीता वो हमने देखा और बताते है इससे भी बुरे हालात 1947 में थे, हिंदुओ पर होने वाले अत्याचार से सबक लेने की जरूरत है, बांग्लादेश में भी ये पहली बार नहीं हो रहा है वहां 47 में भी हुआ 71 में भी हुआ ,वहां से लाखों हिंदुओ को भारत में आकर शरण लेनी पड़ी। हम आप सभी को सजग,जागरूक रहना है। हमें बंगलादेश में रहने वाले हिंदुओं की चिंता है।
एनडीए सरकार ने अपनी चिंताओं से बांग्लादेश की अंतरिम सरकार को अवगत कराया है। पूरी दुनिया में हिंदू संगठन प्रोटेस्ट कर रहे हैं किंतु भारत में कैंडल मार्च निकालने वाले वो मानव अधिकार के लिए रोना रोने वाले संगठन कहां छुपे बैठे हैं जरा उन्हें ढूंढिए तो सही। फिलिस्तीन में कुछ होता है ईरान में कुछ होता है, यहां उनके लिए सड़कों पर लोग शांति मार्च निकालते हैं अब कहां खामोश हो गए हैं?
सीएम धामी ने कहा सनातन परंपराओं और मूल्यों ने विभाजन की पीड़ा से जूझ रहे लोगों को एकजुट रखने और नई राह खोजने में मदद की। हम कभी भी उस दर्द और संघर्ष को भूल नहीं सकते, हम उनके सम्मान और न्याय के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराते हैं। हमें अपने अतीत से सीखते हुए, एक ऐसा समाज बनाना है जहाँ हर व्यक्ति को सम्मान, सुरक्षा, और अवसर मिले।उन्होंने कहा यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम उनकी पीड़ा को समझें और उनके अधिकारों और सम्मान की रक्षा के लिए निरंतर प्रयास करें। इस अवसर पर विधायक उमेश शर्मा, सविता कपूर, खजान दास, पूर्व विधायक दिनेश अग्रवाल, डा देवेंद्र भसीन, विश्वास डाबर, बीजेपी के जिलाध्यक्ष सिद्धार्थ उमेश अग्रवाल डा कुलदीप दत्ता, बलदेव पराशर,विजय कोहली, राकेश ओबेरॉय आदि मौजूद रहे। इस अवसर पर विभाजन पूर्व भारत में जन्मे बुजुर्गो को मुख्यमंत्री धामी ने सम्मानित किया। ये वो बुजुर्ग थे जोकि अपना घरबार छोड़ कर अपने ही देश से जोकि वर्तमान में पाकिस्तान है, वहां से पलायन कर देहरादून आकर बसे।
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