देहरादून। राजधानी में अवैध मदरसों के खिलाफ उत्तराखंड सरकार कार्रवाई करने की ओर अग्रसर है। बताया जा रहा है कि राज्य में मदरसों की जांच-पड़ताल गहनता से की जा रही है।उधर, बाल अधिकार संरक्षण आयोग के समक्ष आजाद कॉलोनी के मदरसे के मुफ्ती रईस अहमद पेश हुए और उन्होंने स्वीकार किया कि उनका मदरसा पंजीकृत नहीं है। उन्होंने ये भी दलील दी कि पंजीकरण के लिए मदरसा शिक्षा परिषद में प्रार्थना पत्र दिया गया है।
आयोग ने मदरसे में छात्रावास और अन्य कमियों पर भी जवाब मांगा, जिसका जवाब मदरसा प्रबंधक नहीं दे सके। आयोग की अध्यक्ष डॉ गीता खन्ना ने मदरसे के विषय में विस्तृत रिपोर्ट मुख्य शिक्षा अधिकारी को अपने पत्र के साथ प्रेषित कर दी है। आयोग ने मदरसा दस्तावेजों में अग्निशमन अनापत्ति, स्थानीय अस्पताल के साथ अनुबंध, भूमि संबंधी दस्तावेज नहीं प्रस्तुत किए जाने पर नाराजगी जताई। मदरसा जामिया तुस्सलाम इस्लामिया में केवल इस्लामिक मजहबी शिक्षा, किसी भी सरकार के शिक्षा विभाग से मान्यता नहीं, 53 बच्चे बाहरी राज्यों से लाए गए, इन विषयों पर सरकार और शिक्षा विभाग का ध्यान आकृष्ट कराया गया है।
ये भी जानकारी मिली है कि उक्त मदरसे का नाम केवल सोसाइटी में रजिस्टर्ड किया गया है। मदरसे को किन आर्थिक स्रोतों से चलाया जा रहा है। उसके हिसाब-किताब में भी खामियां है, जिनपर किसी का कोई नियंत्रण नहीं है।
बताया जाता है कि देहरादून में गैर पंजीकृत मदरसे देश विदेश की फंडिंग के साथ साथ जुमे की नमाज के बाद एकत्र चंदे से चलाए जा रहे हैं, जिनका कोई हिसाब-किताब नहीं है। बहरहाल राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के द्वारा आजाद कॉलोनी के एक मदरसे की जांच-पड़ताल में मुस्लिम शैक्षिक संस्थाओं की पोल पट्टी खोल दी है। ऐसी जानकारी भी सामने आई है कि राज्य में चार सौ से ज्यादा फर्जी मदरसे चल रहे हैं। उनमें पढ़ने वाले हजारों बच्चो को इस्लामिक शिक्षा दी जा रही है, उन्हें राष्ट्रीय पाठ्यक्रम से कोई लेना-देना नहीं है।
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