उत्तर प्रदेश के कानपुर के एक इंटरमीडिएट कॉलेज में हिजाब पहन कर आने के मामले में जिलाधिकारी राकेश कुमार सिंह ने जांच के आदेश दिए हैं। जिलाधिकारी ने उप जिलाधिकारी को निर्देशित किया है कि तीन बिंदुओं पर जांच करके रिपोर्ट प्रेषित करें। पहला यह कि छात्राएं कालेज में कब से पढ़ रही हैं और क्या वह हिजाब अपनी मर्जी से पहन कर आई थीं। दूसरा यह कि उन छत्राओं को स्कूल के परिधान के बारे में पहले से जानकारी थी अथवा नहीं। तीसरा यह कि क्या उन छत्राओं को हिजाब पहनने के लिए किसी ने उकसाया था ?
बता दें कि कुछ मुस्लिम छात्राएं कालेज में हिजाब पहन कर आई थीं। उनके हिजाब पहनकर आने पर स्कूल की तरफ से आपत्ति की गई तो उन छात्राओं ने आक्रोश व्यक्त किया और कहा कि वह स्कूल में हिजाब पहनकर ही आयेंगी। अगर उन्हें ऐसा करने से रोकना है तो उनका नाम काट दिया जाए। स्कूल के प्रधानाचार्य ने उनके अभिभावकों से बातचीत करके मामले को शांत कराया था।
जानकारी के अनुसार कानपुर के बिल्हौर इंटर कॉलेज में मुस्लिम छात्राएं अचानक से हिजाब पहन कर पहुंच गई थीं। जैसे ही उन पर अध्यापक की नजर पड़ी तो उन्होंने क्लास में यूनिफॉर्म न पहन कर आने के लिए उन छात्राओं को टोका। मगर छात्राएं हिजाब पहनने पर ही अड़ी रहीं। क्लास टीचर ने कहा कि स्कूल में स्कूल की ड्रेस ही पहन कर आना होता है। इसके बाद यह मामला प्रधानाचार्य तक पहुंचा। प्रधानाचार्य ने भी मुस्लिम छात्राओं को स्कूल का यूनिफॉर्म पहनकर आने के लिए कहा। उसके बाद मुस्लिम छात्राएं आक्रोशित हो गईं और उन्होंने कहा कि वे हिजाब पहनकर के ही स्कूल आएंगी। अगर उन्हें ऐसा करने से स्कूल प्रबंधक रोकना चाहता है तो उनका नाम स्कूल से काट दिया जाए। इसके बाद प्रधानाचार्य ने उन छात्रों के अभिभावकों को स्कूल में बुलवाया।
जानकारी के अनुसार प्रधानाचार्य सुधीर यादव ने उन छात्राओं के अभिभावकों को समझाया कि स्कूल में नई परम्परा नहीं शुरू की जा सकती है। उन लोगों को यह बताया गया कि स्कूल में सभी छात्राएं स्कूल की यूनिफॉर्म में ही आती हैं। सभी को स्कूल का यूनिफॉर्म पहनना होता है। अलग से हिजाब पहनने का कोई नया नियम नहीं शुरू किया जा सकता। प्रधानाचार्य से बातचीत के बाद उन छात्राओं के अभिभावक बात को मान गये।
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