बांग्लादेश में कथित आरक्षण विरोधी हिंसा के बीच कट्टरपंथियों ने वहां रहने वाले हिन्दुओं को चुन-चुन कर टार्गेट किया। हिन्दुओं के मंदिरों और घरों में तोड़फोड़ की गई और हिन्दू लड़कियों और महिलाओं के साथ भी बर्बरता की गई। उस पर वहां की कार्यवाहक सरकार के मुखिया नोबल विजेता मुहम्मद यूनुस ने अब तक चुप्पी साध रखी है। उन्होंने हिन्दुओं पर हो रहे हमलों को लेकर एक शब्द नहीं बोला है। इसको लेकर बांग्लादेशी हिन्दू समुदाय के नेताओं ने मुहम्मद यूनुस से प्रतिक्रिया की मांग की है।
इसे भी पढ़ें: ‘बांग्लादेश का सेंट मार्टिन द्वीप चाहता है US’, शेख हसीना बोलीं-मैंने इस्तीफा दिया, ताकि लाशों का ढेर ना देखना पड़े
रिपोर्ट के मुताबिक, बांग्लादेश हिन्दू बौद्ध ईसाई एकता परिषद की सदस्य काजोल देबनाथ ने यूनुस की चुप्पी पर पर चिंता जाहिर की है। काजोल हिन्दुओं पर हो रहे हमलों के खिलाफ निकाली गई रैली में बोल रही थीं। उन्होंने कहा कि मुहम्मद यूनुस, जिन्होंने भेदभाव विरोधी आंदोलन की जिम्मेदारी संभाली थी, आज हिन्दुओं के साथ किए जा रहे भेदभाव पर चुप हैं। अभी तक अल्पसंख्यक समुदायों के लोगों पर हो रहे हमले को रोकने के संबंध में कुछ नहीं कहा है।
काजोल देबनाथ ने बताया कि उन लोगों ने देश के गृह सचिव से हिन्दू समुदाय पर हो रहे हमलों के संबंध में एक्शन लेने के लिए मुलाकात की थी, जिस पर उन्होंने आश्वासन दिया था कि हालात को संभालने के लिए कम से कम 4-5 दिन लगेंगे। लेकिन, सवाल ये है कि अगर इन 4-5 दिनों के दौरान कुछ बड़ा हुआ तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा? उन्होंने कहा, “फिलहाल पुलिस की मौजूदगी नहीं है, लेकिन सेना उपलब्ध है।”
संगठन के अध्यक्ष निर्मल रोसारियो कहते हैं कि 5 अगस्त के बाद से पूरे देश में हिन्दू समुदायों समेत दूसरे अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों के खिलाफ जमकर हमले किए गए। उनके घरों और पूजा स्थलों में लूटपाट, तोड़फोड़ और आगजनी की गई। अब हमें न्याय की कोई उम्मीद नहीं दिख रही है। स्वतंत्रता की इस नई कहानी को अपराधियों ने पूरी तरह से कमजोर कर दिया है।
इसे भी पढ़ें: बांग्लादेश में हिंदुओं के कत्लेआम के बीच भारत में वामपंथियों और अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज ने लगाए फ्री फिलिस्तीन के नारे
कार्यवाहक सरकार से 4 सूत्री मांगें
हिन्दू संगठनों ने बांग्लादेश की कार्यवाहक सरकार से 4 सूत्री मांगे की है। इसके तहत हिन्दू संगठनों ने सरकार से अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय का गठन, अल्पसंख्यक संरक्षण आयोग की स्थापना, अल्पसंख्यकों पर सभी प्रकार के हमलों को रोकने के लिए कड़े कानूनों का अधिनियमन और प्रवर्तन, अल्पसंख्यकों के लिए 10 प्रतिशत संसदीय सीटों के आरक्षण की मांग की है।
टिप्पणियाँ