जयपुर। श्रावण शुक्ल सप्तमी (11 अगस्त 2024) को विश्व प्रसिद्ध महाकवि तुलसीदास जी की जयंती महोत्सव का आयोजन जयपुर के जवाहर कला केंद्र, जेएलएन मार्ग में हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता मनोज जी, राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री (अखिल भारतीय साहित्य परिषद) ने की एवं मुख्य अथिति विपिन चंद जी क्षेत्रीय संगठन मंत्री, अखिल साहित्य परिषद (राजस्थान) रहे।
कार्यक्रम मे महाकवि तुलसीदास के जीवन प्रसंगों एवम् विश्व प्रसिद्ध महाकाव्य रामचरितमानस के मानव जीवन उपयोगी प्रसंगों पर साहित्यकारों ने अपने विचार प्रकट किए। परिषद गीत से कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ।
साहित्यकार विद्याराम गुर्जर ने तुलसी की सर्वजन हिताय , लोककल्याण व विश्व मंगल की भावना पर प्रकाश डाला। तुलसी ने समाज को जोड़ने के लिए राम के जननायक स्वरूप व रामराज्य की कल्पना की। डॉ इंदुशेखर ” तत्पुरुष ” ने तुलसी के महान ग्रंथों का स्मरण किया। आज भी रामचरितमानस एवमं हनुमान चालीसा लोक जीवन मे रचे बसे हैं। यह भी बताया कि यह सदियों पश्चात एक संयोग है कि आज का दिन तुलसी जयंती 11 अगस्त एवं श्रावण मास, शुक्ल पक्ष सप्तमी एक दिन ही है। यह एक विलक्षण संयोग है।
डॉ . केशव शर्मा जी, क्षेत्रीय महामंत्री, अखिल भारतीय साहित्य परिषद राजस्थान, ने श्रीराम के जीवन प्रसंगों का वर्णन किया। श्रीराम ने वनवासी, उपेक्षितों, नारी एवं जनसामान्य की भलाई के लिए रामराज्य की स्थापना की। विपिन चंद ने तुलसी के स्वांतः सुखाय एवम् लोकसुखाय (लोककल्याण) भाव पर विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम के अध्यक्षीय उद्बोधन में मनोज जी ने कहा कि तुलसी के विचार एवम् रामराज्य की अवधारणा आज सबसे अधिक प्रासंगिक हैं। अपने कालजयी साहित्य से तुलसी ने समाज एवं विश्व कल्याण का मार्ग प्रशस्त किया।
कार्यक्रम में जयपुर के सुप्रसिद्ध साहित्यकारों ने हिस्सा लिया, जिसमें डॉ. ममता जी, डॉ संजय यादव , श्री पुरूषोत्तम, श्री महावीर, श्री श्रीकान्त जी, श्री वीर जैन उपस्थित रहे। कल्याण मंत्र के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।
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