तड़के के चार बजे हैं, कमरे में मौलवी का प्रवेश होता है और वह बच्चों को जबरन उठाने लगता है, बच्चे उठते हैं फिर सो जाते हैं, तभी थोड़ी देर बाद एक कड़क आवाज आती है और डरे-सहमे बच्चे मुंह धोने के लिए चल पड़ते हैं। इसके बाद आधे जागे ये बच्चे फज्र की नमाज़ पढ़ते हैं। बच्चों को डर दिखाया जाता है कि यदि फज्र की नमाज नहीं की तो जहन्नुम जाना सुनिश्चित है। बच्चे जहन्नुम के नाम से डर जाते हैं, जैसा उन्हें इस्लामिक प्रेक्टिस में बताया गया है। हदीस कहती है, फज्र की नमाज़ जहन्नुम की आग से बचाती है। “जो कोई भी सूर्योदय से पहले और सूर्यास्त से पहले नमाज़ पढ़ता है, वह जहन्नुम में नहीं जाएगा।” – संदर्भ- रियाद अस-सालिहिन 1048।
मदरसे के इस घटनाक्रम का वीडियो वायरल हुआ। मध्य प्रदेश बाल संरक्षण आयोग (एससीपीसीआर) ने इस पर संज्ञान लिया। इसके बाद बच्चों के हित कार्य में लगा यह आयोग अचानक से मदारसे पहुंच गया, फिर उसके बाद जो होता है वह अपने आप में एक बड़ी कहानी है।
यह हकीकत मध्य प्रदेश के सागर जिले की है। बाल आयोग वायरल वीडियो में बच्चों को देख और उनके रोजमर्रा के कष्टों को समझकर अचानक से मदरसे पर पहुंचा। पता चला कि शासन के नाक के नीचे वर्षों से अवैध रूप से मदरसा चल रहा है। कहने को यह पूरे महाकौशल क्षेत्र का सबसे बड़ा मदरसा है, लेकिन इसकी जांच किसी अधिकारी ने करने की कभी हिम्मत नहीं जुटाई।
मान्यता 8वीं तक, कक्षाएं चलाई जा रहीं 10वीं तक
सागर के परसोरिया में मौलाना आजाद मिडिल स्कूल चलाने की अनुमति लेकर उसके साथ ये मदरसा चलाया जा रहा है। स्कूल की मान्यता भी 8वीं तक है, लेकिन यहां फर्जी तरीके से 9वीं और 10वीं की कक्षाएं भी लगाई जा रही हैं। स्कूल की यूनिफॉर्म भी कुर्ता-पायजामा और जालीदार टोपी है। बाल आयोग की टीम को अधिकांश बच्चे इसी यूनिफॉर्म में स्कूल में पढ़ते मिले। यहां अंदर छात्रावास को इबादतखाना, वजू स्थल और मस्जिद बनाई गई है । अवैध रूप से संचालित यह मदरसा वर्षों से चल रहा है, जिसमें देश भर से बच्चों को लाकर रखा जाता है। इसने हॉस्टल (छात्रावास) संचालित करने की कोई मान्यता नहीं ली है। इसके बाद भी यहां कई राज्यों से बच्चे लाकर रखे गए हैं।
शासन की बिना अनुमति के रखे गए बच्चे
इस संबंध में जब मध्य प्रदेश बाल संरक्षण आयोग (एससीपीसीआर) के सदस्य ओंकार सिंह से बात की गई तो उन्होंने बताया, ‘‘जिला सागर के मदरसों व स्कूलों का औचक निरीक्षण करने के लिए आयोग के सदस्य एवं टीम पहुंची है। परसोरिया में मौलाना आजाद मिडिल स्कूल का भी निरीक्षण करने गए। निरीक्षण के दौरान अनियमितताएं पाई गईं। यह जानकारी सामने आई कि इस स्कूल के साथ एक मदरसा का संचालन किया जा रहा है, जिसमें सैंकड़ों बच्चों को शासन की बिना अनुमति के रखा गया है। वहीं, देखने में यह भी आया कि इस मदरसे में स्थानीय बच्चों का दाखिला नहीं है। इनके संचालित स्कूल में कहां के बच्चों को एडमीशन दिया गया है, इसकी ज्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं है। कुछ ऐसे बच्चे भी मिले हैं, जिन्हें ‘मुख्यमंत्री बाल आशीर्वाद योजना’ से लाभ मिलना चाहिए, उनके नाम इस सूची में होना चाहिये थे लेकिन नहीं हैं। हमने ऐसे बच्चों की सूची निकाली है।’’
बच्चों को आती है नींद, लेकिन जबरन तड़के उठते हैं
ओंकार सिंह ने बताया कि स्कूल की परमिशन कक्षा 8 वीं तक की है, जबकि कक्षा 9 वीं व 10 वीं के बच्चे यहां पढ़ते पाए गए। स्कूल का ड्रेस कोड भी कुर्ता, पायजामा और जाली दार टोपी है, कुछ बच्चे पगड़ी भी लगाए हुए मिले। अनुमति स्कूल चलाने की है लेकिन यहां पर बिना अनुमति के मदरसा भी चलता पाया गया। इसके साथ ही कुछ बच्चों की शिकायत थी, इनका एक वीडियो भी वायरल हुआ था, उस वीडियो में बच्चों का कहना था कि उन्हें अलसुबह उठा दिया जाता है। नींद आती है लेकिन नमाज पढ़ने उठा दिया जाता है। इसके साथ ही सुबह से ही मदरसा की पढ़ाई कराई जाती है। यहां वजू खाना भी बना हुआ है। चार कमरों मे स्कूल का स्टाफ रहता है, जबकि यहां पर 365 बच्चे रहते मिले।
बड़े मदरसों में से एक
ओंकार सिंह ने बताया कि मध्य प्रदेश में संचालित हो रहे बड़े मदरसों में से यह एक है। यहां पर एक माह पहले तक शुक्रवार को स्कूल और मदरसा की छुट्टी रहती थी। अब स्कूल की छुट्टी रविवार को और मदरसा की छुट्टी शुक्रवार को होने लगी है। उन्होंने कहा कि स्कूल के नाम पर मदरसा संचालित किये जाने व अन्य अनियमतिताएं पाये जाने पर नियमानुसार कार्यवाही की जायेगी। यदि किसी को मदरसा चलाना है तो उसकी विधिवत अनुमति ले, हम बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं होने दे सकते हैं। फिलहाल शनिवार को आयोग अपनी जांच करके भोपाल वापस आ गया है, अब जिला प्रशासन को मप्र बाल संरक्षण आयोग द्वारा अवैध रूप से चल रहे इसे मदरसे पर कार्रवाई करने के लिए अनुशंसा की जाएगी।
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