मध्य प्रदेश के दमोह में ईसाई मिशनरी संस्था के खिलाफ प्शासन ने बड़ा एक्शन लिया है। पुलिस ने आधारशिला संस्था और मिशन हॉस्पिटल के संचालक डॉ. अजय लाल सहित अन्य लोगों के खिलाफ मानव तस्करी का मुकदमा दर्ज किया है। इस मामले में गंभीरता तब आई जब राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) सक्रिय हुआ और आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो समेत मध्य प्रदेश राज्य बाल सरंक्षण आयोग ने पुलिस प्रशासन से इस बारे में ताजा जानकारी मांगी।
पूरा मामला दो बच्चों को नियम विरुद्ध गोद लेने करने का है। प्रकरण में एनसीपीसीआर और एससीपीआर ने गंभीरता जताते हुए जांच के निर्देश दिए थे। जांच के बाद पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है। दूसरी ओर डॉ. अजय लाल जिसे पुलिस ने घर के बाहर से घेर रखा था, अचानक से गायब हो गया है। उसे पकड़ने के लिए पुलिस की कार्रवाई जारी है।
एनसीपीसीआर के संज्ञान में लेने के बाद हरकत में आई पुलिस
इस संबंध में एनसीपीसीआर के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने बताया कि ‘‘पूर्व में एनसीपीसीआर की जाँच में पता चला था कि दमोह, मध्यप्रदेश में मतान्तरण करवाने के लिए ख्यात मिशनरी अजय लाल के द्वारा फ़र्ज़ी एडॉप्शन के दस्तावेज तैयार कर एडॉप्शन की आड़ में बच्चों का मतान्तरण व दुर्व्यापार किया जा रहा है। लंबे चले अनुसंधान के बाद दमोह पुलिस ने इस मामले में अजय लाल के विरुद्ध एफआईआर दर्ज की है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘सूचना मिल रही है कि अजय विदेश भागना चाहता है उसको विदेश जाने से रोकने के लिए मध्य प्रदेश पुलिस सजगता से गृह मंत्रालय व विदेश मंत्रालय से संपर्क कर समुचित कार्यवाही कर रही है। निश्चित ही इस कार्रवाई के लिए मप्र के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादवजी एवं एसपी दमोह का बहुत धन्यवाद है’’ कानूनगो ने अपनी बात एक्स के माध्यम से भी साझा की है। इस कार्रवाई के लिए दमोह पुलिस को एनसीपीसीआर का पत्र मिला था, जिसमें कि एडॉप्शन पर गए दो बच्चों को लेकर मानव तस्करी का अंदेशा व्यक्त किया गया था। इस मामले में शासन ने भी अपने स्तर पर कराई जांच में पाया कि डॉ. अजय लाल अपनी संचालित ईसाई संस्थाओं में बच्चों के लिए बनाए गए कानूनों का पालन नहीं करता है। जुवेनाइल जस्टिस (केयर एंड प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन) एक्ट, 2015, किशोर न्याय अधिनियम के तहत संस्थान का संचालन होना भी यहां नहीं पाया गया। जिसके बाद देर रात पुलिस ने लाल एवं उसके अन्य साथियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली ।
ये ईसाई मिशनरी संस्था स्पेशल चाइल्ड और बालिकाओं को बिना दस्तावेज के रख रही थी अपने पास
मामले को लेकर मप्र बाल संरक्षण आयोग की सदस्य डॉ. निवेदिता शर्मा ने बताया कि ‘‘पिछले साल जून माह में ईसाई मिशनरी एवं अजय लाल के द्वारा संचालित आधारशिला बालिका गृह के बारे में शिकायत मिली थी, जिसके बाद आयोग की टीम ने इस संस्थान में पहुंचकर जांच की। जांच में कई खामियां पाई गईं। एक बच्ची से जुड़ा पॉक्सो मामला भी सामने आया और ऑर्फन बच्चे भी पाए गए । दो बच्चों के कोई दस्तावेज नहीं मिले थे। इसके अलावा भी अन्य कई बच्चों के पूरे दस्तावेज नहीं पाए गए । हिन्दू बच्चों को दूसरे मत की प्रेक्टिस कराना भी सामने आया था। स्पेशल चाइल्ड और बालिकाओं को यहां बिना मान्यता के रखा गया था।’’
इस पर ह्यूमन ट्रैफिकिंग का अंदेशा है इसलिए
निवेदिता शर्मा ने बताया, ‘‘इस प्रकरण को एनसीपीसीआर ने भी संज्ञान में लिया एवं एनसीपीसीआर अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो जी ने भी बच्चों के जीवन से हो रहे खिलवाड़ को अति गंभीरता से लेते हुए मप्र शासन को कार्रवाई के लिए लिखा था। उसके बाद राज्य शासन, बाल विकास विभाग ने आधारशिला संस्थान द्वारा संचालित बाल गृह की मान्यता निरस्त कर दी थी। लेकिन ये मिशनरी संस्थान अब तक भी बच्चों से जुड़े दस्तावेज आयोग एवं प्रशासन के समक्ष उपलब्ध नहीं करा सका है, जिससे यहां ह्यूमन ट्रैफिकिंग का अंदेशा होना स्वभाविक है, और इसी के चलते पुलिस ने अभी अजय लाल के खिलाफ कार्रवाई की है।’’
हिन्दू बच्चियों को पढ़ाए जा रहे थे ईसाई ग्रंथ
संस्थान के खिलाफ शिकायत मिलने पर मप्र बाल संरक्षण आयोग की दो सदस्यीय टीम ने भोपाल से दमोह पहुंचकर निरीक्षण किया था। इस जांच को लेकर मप्र बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य ओंकार सिंह का कहना है, ‘‘जब हमारी टीम यहां जांच के लिए पहुंची तो अनेक सांस्थागत कमियां तो सामने आई हीं, साथ में जांच में ईसाई मिशनरी के आधारशिला संस्थान के बाल भवन में हिंदू बच्चियों के पास बाइबिल मिली थी, इसी तरह से हिन्दू बच्चों के मन को पूरी तरह से बदलने के लिए भी अलग-अलग प्रकार का साहित्य उन्हें पढ़ने को दिया गया था। आयोग को एक नाबालिग से छेड़छाड़ होने की शिकायत मिली थी। जिस पर टीम ने अपना प्रतिवेदन महिला एवं बाल विकास विभाग को सौंपा था। इसके आधार पर पुलिस ने आरोपी के खिलाफ पॉक्सो एक्ट के तहत मामला भी दर्ज किया था।’’
ओंकार सिंह ने बताया कि बाल आयोग की टीम को आधारशिला के बालगृह में 16 बच्चे मिले थे। जांच में पाया कि यहां पर बालक और बालिकाओं को साथ रखा जा रहा था। इनमें एक बच्ची के साथ संस्था के वार्डन डेनियल द्वारा छेड़छाड़ करने का मामला भी सामने आया। बाल आयोग ने अपनी रिपोर्ट में लिखा भी था कि कर्मचारी डेनियल के मामला सामने आने के बाद उसके फरार होने में संस्थान की भूमिका संदेहास्पद है। जबकि संस्थान को चाहिए था कि वह मामला संज्ञान में आने के बाद तुरंत ही उस पर वैधानिक कार्रवाई करते हुए उसे पुलिस के हवाले करते।
जब भेजा गया एनसीपीसीआर की ओर से समन तब हरकत में आई पुलिस
ओंकार सिंह ने बताया कि दिसम्बर 2023 में ही इस संस्थान की कमियां आयोग के ध्यान में आ गई थीं, किंतु शिकायत 2024 में हुई, जिसके बाद दमोह जांच करने के लिए जाना हुआ था। अजय लाल ने अभी तक बच्चों से जुड़े सही दस्वावेज नहीं दिए हैं, जबकि राज्य बाल आयोग के साथ ही राष्ट्रीय बाल आयोग इस मामले में पूरी नजर रखे हुआ था, जानकारी में आया है कि इस प्रकरण में एनसीपीसीआर की ओर से जिला एसपी एवं महिला बाल विकास विभाग को सम्मन भी जारी किया गया था, जिसके बाद अब देर रात पुलिस ने अपनी कार्रवाई की है।
मामले में दमोह सीएसपी अभिषेक तिवारी के मुताबिक, आधारशिला संस्थान में दो बच्चों के एडॉप्शन को लेकर संदेहस्पादक स्थितियां थी। जिसे लेकर कार्रवाई की गई है। आधारशिला संस्थान के संबंध में कुछ तथ्य मिले थे, जिसकी जांच की गई। जिसके बाद डॉ. अजय लाल समेत अन्य पर मामला दर्ज कर विवेचना में लिया गया। आरोपियों की तलाश की जा रही है। जल्द ही डॉ. लाल एवं अन्य को पुलिस गिरफ्तार कर लेगी।
अजय लाल और इसके परिवार पर लगते रहे हैं कन्वर्जन कराने के आरोप
इस प्रकरण से पहले कई सालों से डॉ. अजय लाल पर मतान्तरण करवाने के आरोप लगते रहे हैं। बताया जाता है ईसाई कन्वर्जन के लिए उसे कई जगह से फंडिंग होती है। हवाला के जरिए विदेशी फंड भी उसके पास आने की बात अनेक अवसरों पर कही जाती रही है। कन्वर्जन के मामलों में घिरे होने के कारण से वह कई बार विवादों में घिरता रहा है। अभी कुछ ही दिन पूर्व ही मिशन अस्पताल में काम करने वाले तीन कर्मचारियों ने जबरन मतान्तरण के लिए दबाव बनाने की आरोप उसके बेटे अभिजीत लाल और नजदीकी संजीव लैंबर्ट पर लगाए थे। कोतवाली पुलिस ने दोनों के खिलाफ मामला दर्ज किया। पहले ये मिड इंडिया क्रिश्चियन मिशन के नाम से अपना संस्थान चलाता था, बाद में नाम बदलकर आधारशिला संस्थान रख दिय। ये ईसाई मिशनरी के अन्य संस्थानों पर भी बड़े पद पर कार्य कर रहा है।
फिलहाल एक हैरान कर देनेवाली बात यह जरूर है कि अजय लाल के घर को मंगलवार शाम से ही पुलिस ने घेर रखा था, रात को उसका परिवार जबलपुर के लिए निकला था, जिसे पहले पुलिस ने बीच में रोका और फिर जाने दिया गया, लेकिन अजय लाल उनके साथ नहीं मिला था। पुलिस देर रात घर के अंदर गई तो तलाशी में अजय लाल जिसको पहले घर के अंदर होना बताया जा रहा था वह गायब था।
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