मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या दौरे के दूसरे दिन ब्रह्मलीन परमहंस रामचंद्र दास की समाधि स्थल पर पुष्पार्चन किया। श्रीराम जन्मभूमि न्यास के प्रथम अध्यक्ष ब्रह्मलीन परमहंस रामचंद्र दास महाराज की 21वीं पुण्यतिथि पर पुष्पांजलि अर्पित करने के साथ उन्हें याद किया। मुख्यमंत्री एवं गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ का ब्रह्मलीन परमहंस रामचंद्र दास से व्यक्तिगत संबंध रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गुरु पूज्य महंत अवेद्यनाथ के साथ दिगंबर अखाड़ा के ब्रह्मलीन परमहंस रामचंद्र दास भी राम जन्मभूमि के अगुआ रहे हैं।
सर्वप्रथम मुख्यमंत्री सरयू अतिथि गृह से निकलकर सीधे सरयू घाट/रामकथा पार्क स्थित पूज्य परमहंस रामचंद्र दास महाराज के समाधि स्थल पर पहुंचकर श्रद्धासुमन व पुष्पांजलि अर्पित की। वहीं अन्य भक्तों ने भी पूज्यश्री को याद किया।
कौन थे परमहंस ?
परमहंस रामचन्द्र दास जी महाराज ने श्रीराम जन्मभूमि में पूजा-अर्चना के लिए 1950 में जिला न्यायालय में मुकदमा दायर किया था। जिला अदालत ने पूजा-पाठ करने की अनुमति दे दी। मुस्लिम पक्षकारों ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में अपील की। उच्च न्यायालय ने जिला अदालत के फैसले को उचित ठहराया।
दिगम्बर अखाड़ा, अयोध्या में बैठक हुई जिसमें श्रीराम जन्मभूमि मुक्ति यज्ञ समिति का गठन हुआ। समिति की बैठक में तय किया गया कि श्रीराम जन्मभूमि को मुक्त कराने के लिए जन-जागरण किया जाएगा। परमहंस जी ने वर्ष 1985 के अक्टूबर माह में जन – जागरण अभियान के लिए अयोध्या से 6 राम-जानकी रथों का पूजन कर विभिन्न क्षेत्रों में भेजा। परमहंस जी ने अयोध्या में घोषणा कर दी थी कि “ अगर 8 मार्च 1989 तक श्रीराम जन्मभूमि का ताला नहीं खुला तो मैं आत्मदाह करूंगा। ” इसी बीच 1 फ़रवरी 1989 को श्री राम मंदिर का ताला खोल दिया गया।
वर्ष 2002 के जनवरी माह में परमहंस रामचन्द्र दास जी ने अयोध्या से दिल्ली तक की चेतावनी सन्त यात्रा निकाली। सन्तों का नेतृत्व करते हुए 27 जनवरी 2002 को प्रधानमंत्री से मुलाक़ात की। परमहंस जी ने अंतिम क्षण तक यह प्रयास किया कि राम जन्म भूमि विवाद का कोई हल निकल आये मगर ऐसा हो नहीं सका।
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