कोलकाता, (हि.स.)। बांग्लादेश में प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे के बाद से वहां के अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है। कट्टरपंथी इस्लामिक समूह ने हिंदुओं के घरों में अत्याचार शुरू कर दिया है। भारत की ओर भागने का प्रयास कर रहे हिंदुओं को सीमा पर तैनात बॉर्डर गार्ड्स बांग्लादेश (बीजीबी) लाठीचार्ज कर वापस खदेड़ रहा है। भारतीय सीमा पर खड़े सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के जवान उनकी मदद करने में असमर्थ हैं। बांग्लादेश में रहने वाले हिंदू अल्पसंख्यक समुदाय के लोग, जो अपनी जान बचाने के लिए विभिन्न सीमाओं पर पहुंच रहे हैं, उन्हें बांग्लादेश बॉर्डर गार्ड (बीजीबी) द्वारा भारत में प्रवेश नहीं करने दिया जा रहा है। इधर, वापस लौटने पर उन पर कट्टरपंथी समूहों की ओर से लगातार हमले हो रहे हैं।
बांग्लादेश के सराइल उपजिले से कुछेक हजार हिंदू, त्रिपुरा में शरण लेने के लिए सीमा पर पहुंचे लेकिन उन्हें बीजीबी ने लाठीचार्ज कर वापस भेज दिया। यह स्थिति सिर्फ सराइल की नहीं है, बल्कि बांग्लादेश के सभी सीमाओं पर यही हो रहा है। पीड़ितों का कहना है कि उन्हें अपने घर छोड़ने पर मजबूर किया गया है, क्योंकि उन्हें स्थानीय उग्रवादी समूहों और अन्य इस्लामिक कट्टरपंथियों से जान का खतरा है। उन्होंने बताया कि बीजीबी के जवानों ने बेरहमी से उन्हें पीटा और उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। एक शरणार्थी, रमेश चंद्र दास ने कहा, “हमने सोचा था कि भारत हमें शरण देगा, लेकिन हमें बीजीबी के लाठीचार्ज का सामना करना पड़ा। हमारे पास अब कोई विकल्प नहीं बचा है।”
बीएसएफ ने बताया कि वे स्थिति को समझ रहे हैं और उच्चाधिकारियों को इस बारे में सूचित कर दिया गया है। बीएसएफ के एक अधिकारी ने बताया कि जब तक बांग्लादेश की सीमा पार कर भारत की सीमा में लोग नहीं आते तब तक बीएसएफ कोई मदद नहीं कर सकती। इस समय हजारों की संख्या में हिंदू शरणार्थी बांग्लादेश की विभिन्न सीमाओं पर फंसे हुए हैं।
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