विश्लेषण

मोदी से नफरत में अंधे बने लिबरल्स: बांग्लादेश की घटनाओं पर हुए खुश, भारत में भी ‘तख्तापलट’ की चाह

Published by
सोनाली मिश्रा

बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद से भारत का लिबरल वर्ग एक बार फिर से खुश है। एक बार फिर से वह उन क्रांतियों के विषय में सोच रहा है, जो उस तानाशाह को हटा सकती हैं, जिन्हें वे जनमत के माध्यम से नहीं हरा पाए हैं। एक बार फिर वह लहालोट है उन कट्टर इस्लामपंथियों पर, जिन्होंने अपने ही देश की शेख हसीना को भगा दिया और अब वहाँ पर हिंदुओं के घरों में आगजनी कर रहे हैं, मार रहे हैं।

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यह कितना भयावह है कि भारत में स्वयं को कथित प्रगतिशील कहने वाला वर्ग चाहे वह राजनीतिक हो या फिर और कोई, इस बात से उल्लसित हो रहा है कि बांग्लादेश में शेख हसीना को अपना देश छोड़कर जाना पड़ा। यह उनके लिए हर्षित करने वाला क्षण है। प्रधानमंत्री मोदी को जनमत से परास्त न करने वाले लोग कल्पना कर रहे हैं कि यह सब भारत में हो। कश्मीर से 5 अगस्त को ही धारा 370 हटाई गई थी और उसे लेकर महबूबा मुफ्ती जैसे नेताओं का विरोध अब हर सीमा पार कर गया है। कल जब ढाका में कथित स्टूडेंट प्रधानमंत्री निवास में घुसकर प्रधानमंत्री शेख हसीना की निजी चीजों को लूट रहे थे और प्रधानमंत्री निवास के स्वीमिंग पूल को नष्ट कर रहे थे, तो महबूबा मुफ्ती की बेटी ने लिखा कि “क्या लोक कल्याण मार्ग में स्वीमिंग पूल है?”

यह उन्हीं महबूबा मुफ्ती की बेटी हैं, जिन्होनें कश्मीर की राजनीति के माध्यम से आलीशान ज़िंदगी जी है। और जनता ने उन्हें हाल ही में पराजित किया है। मगर मोदी से नफरत में उनकी बेटी यह भूल गई कि यह कश्मीर की जनता है, जिसने उन्हें नकारा है। हालांकि उन्होनें जो वीडियो साझा किया था, वह वीडियो वर्ष 2022 का श्रीलंका का था, जब श्रीलंका के राष्ट्रपति के वहाँ से भागने के बाद कथित क्रांतिकारी स्वीमिंग पूल में तैर रहे थे।

मगर मोदी विरोध में भारत विरोध करने वाली एक बहुत बड़ी जमात भारत में है, जो यही दृश्य भारत के लिए चाहती है। हिन्दू विरोधी प्रोपोगैंडा फैलाने वाली राणा अयूब ने लिखा कि कभी भी सत्ता का नशा नहीं करना चाहिए। इसपर एक यूजर beef biceps ने लिखा कि हम भारत में 20 करोड़ लोग हैं और उसके साथ ही 20-30 करोड़ गैर संघी हिन्दू हैं, जो इस रोज रोज के नाटक से ऊब गए हैं, कोई भी विकास नहीं और केवल नफरत। हमें भी अब भारत में शेख मोदीना और गैंग को उखाड़ फेंकने के लिए बांग्लादेश मॉडल चाहिए

सबा नकवी ने लिखा कि शेख हसीना ने कथित रूप से चुनावों में धांधली की थी और यह दुखद घटना बांग्लादेश में हुई। सभी लोकतंत्रों और संस्थानों के लिए स्पष्ट संदेश है कि जनादेश का सम्मान करें।

सीएए आंदोलन के दौरान मुस्लिमों को अपनी रणनीति बदलने वाली आरफा खाणं शेरवानी ने लिखा कि “नई संघी पलेबुक अब बांग्लादेशी आंदोलनकारियों को खलनायक बना रही है। उन्हें तानाशाह हसीना से समस्या नहीं है, मगर वे इस लोकतान्त्रिक तख्तापलट से घृणा कर रहे हैं। सच्चाई यह है कि वे लोकतंत्र और किसी भी लोकतान्त्रिक प्रक्रिया से घृणा करते हैं, घर पर और विदेशों में

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मगर जो लोग इसे लोकतान्त्रिक प्रक्रियाओं की जीत बता रहे हैं, वे यह क्यों नहीं बता रहे कि यदि यह लोकतान्त्रिक तख्तापलट है तो इसमें हिंदुओं को निशाना क्यों बनाया जा रहा है? या फिर हिंदुओं के प्रति सहानुभूति रखने वाले अवामी लीग के समर्थकों और नेताओं को निशाना क्यों बनाया जा रहा है? बांग्लादेश के क्रिकेट खिलाड़ी एवं आवाली लीग के सांसद Mashrafe Mortaza, जिन्होंने वर्ष 2021 में हिंदुओं पर हुए हमलों की निंदा की थी, उनके घर को आग के हवाले कर दिया गया।

वाजिद खान नामक कथित पत्रकार ने हालांकि इस बांग्लादेश आंदोलन को सही नाम देते हुए लिखा कि “सब ताज उछाले जाएंगे, सब तख्त गिराए जाएंगे, बस नाम रहेगा अल्लाह का “Islamic moment” इस पर वरिष्ठ पत्रकार अशोक श्रीवास्तव ने लिखा कि “अगर कोई सोशल मीडिया influencer कोई youtuber कोई नेता, पत्रकार बांग्लादेश के तख्ता पलट को स्टूडेंट्स का आंदोलन बता रहे हैं, तानाशाही के विरुद्ध लोकतंत्र की जीत बता रहे हैं, तो वो या तो जेहादी है, या पैसा लेकर यह सब कर रहा है। इन तस्वीरों को देखिए और अल जजीरा के पत्रकार की पोस्ट देखिए, तस्वीर में बांग्लादेश में तालिबान का झंडा लहराया जा रहा है और अल जजीरा का पत्रकार लिख रहा है- बस नाम रहेगा अल्लाह का।“

दरअसल यह आंदोलन यही था। कट्टर इस्लामिक आंदोलन। विद्यार्थियों का आंदोलन तो हाई जैक हो चुका था। और यह मात्र सत्ता परिवर्तन का आंदोलन नहीं था, और न ही है, क्योंकि यदि उद्देश्य सत्ता परिवर्तन था तो हिंदुओं पर हमला क्यों? मगर भारत में बैठे कुछ पत्रकार इस घटना से मुदित हैं और चाहते हैं कि ऐसा हो। ऐसी ही एक कथित पत्रकार ने इंडिया टुडे की खबर कि बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना अपना देश छोड़कर भारत आईं, पर लिखा कि ऊपर वाला ऐसे दिन हमें भी दिखाए।

मगर ये सभी लोग तो कथित पत्रकार थे। भारत में तो राजनेताओं ने भी ऐसा पोस्ट किया है। आम आदमी पार्टी के नेता और सांसद संजय सिंह ने लिखा कि “जो तानाशाही करेगा उसे देश छोड़कर भागना पड़ेगा।“ मगर ये नहीं बताते कि तानाशाह कौन है? हर कोई समझता है जो ये लाबी और लोग कहना चाहते हैं। मगर मोदी से घृणा के चलते यह वर्ग पूरा भारत विरोधी हो जाएगा, यह कोई कल्पना नहीं कर सकता था। या फिर लोग सोच तो सकते हैं, मगर मस्तिष्क यह स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हो सकता कि कोई इतना भी नीचे गिर सकता है।

मगर यह भारत है और भारत का लिबरल वर्ग है, जो मोदी विरोध के बहाने भारत को जलाने के लिए भी तैयार हो सकता है।

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