ढाका में ‘स्टूडेंट्स अगेंस्ट डिस्क्रिमिनेशन’ नामक संस्था की तरफ से एक ‘नॉन कॉआपरेशन’ रेली की गई जिसमें बड़ी संख्या में आंदोलनकारी इकट्ठे हुए। इसके विरोध में हसीना की पार्टी अवामी लीग, छात्र लीग तथा जुबो लीग के युवाओं पर भी जमात के आंदोलनकारियों ने हिंसक हमला बोलने की कोशिश की।
भारत के पड़ोस में बांग्लादेश में कोटा विरोध के नाम पर मजहबी उन्मादी तत्वों फैलाई जा रही हिंसा के निशाने पर अब वहां के हिन्दू और उनके मंदिर आ चुके हैं। प्रधानमंत्री शेख हसीना का इन आंदोलनकारियों को लेकर कड़ा रुख बना हुआ है। उन्होंने बाकायदा बयान दिया है कि ‘ये हिंसक तत्व छात्र नहीं हैं, ये आतंकवादी हैं।’ इन आतंकवादियों ने अब ढाका और आसपास के हिन्दुओं के घरों और मंदिरों में तोड़फोड़ मचाई हुई है। इस हिंसा में एक हिन्दू की मृत्यु हो गई है।
ताजा समाचारों के अनुसार, दोबारा शुरू हुई इस हिंसा में अभी तक लगभग 100 लोग मारे जा चुके हैं। सैकड़ों लोग बुरी तरह घायल हुए हैं। कथित जमाते इस्लामी से जुड़े मजहबी तत्व अब कोटा आंदोलन की आड़ में हसीना सरकार के त्यागपत्र की मांग करने लगे हैं।
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इन इस्लामी कट्टरपंथियों ने दंगों की आड़ में हिंदुओं तथा उनके मंदिरों पर हमले बोलने शुरू कर दिए हैं। मीडिया में आए समाचारों के अनुसार, स्थानीय इस्कॉन मंदिर तथा मां काली के मंदिरों के साथ ही आसपास के हिंदुओं के घरों पर तोड़फोड़ मचाई जा रही है। हिन्दू भयभीत हैं और अपने घरों में रहने को मजबूर हैं, कुछ ने किसी सुरक्षित जगह शरण ली है। हिन्दू विरोधी हिंसा में एक स्थानीय हिंदू की मृत्यु हो गई है।
बांग्लादेश में बिगड़ते हालात को देखकर भारत सरकार की ओर से एक एडवायजरी जारी की गई है। इसमें कहा गया है कि लोग अपने घरों से बाहर जाने या किसी अन्य स्थान के लिए यात्रा न करें। दंगों पर काबू पाने के लिए पूरे देश में इंटरनेट तथा मोबाइल नेटवर्क जाम कर दिए गए हैं। देश में कर्फ्यू लगाया गया है।
हालांकि सरकार ने पुलिस और सेना को उपद्रवियों पर गोली न चलाने के निर्देश दिए हैं, लेकिन मजहबी उन्मादी जमाते इस्लामी से जुड़े तत्व ऐसी परिस्थितियां पैदा करने की फिराक में हैं जिससे सेना को मजबूर होकर सख्त कार्रवाई करनी पड़े और उसका पूरी दुनिया में एक गलत संदेश जाए।
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कोटा खत्म करने के छात्र आंदोलन के तौर पर शुरू हुए उपद्रव के पीछे पाकिस्तान और आईएसआई के उकसावे पर सक्रिय हुई कट्टरपंथी जमाते इस्लामी हसीना सरकार को बदनाम करने के सारे उपाय अपना रही है। सरकार से इस्तीफे की मांग के पीछे पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की पार्टी बीएनपी की सहयोगी जमाते इस्लामी की यही शैतानी चाल है।
ढाका में कल ‘स्टूडेंट्स अगेंस्ट डिस्क्रिमिनेशन’ नामक संस्था की तरफ से एक ‘नॉन कॉआपरेशन’ रैली की गई जिसमें बड़ी संख्या में आंदोलनकारी इकट्ठे हुए। इसके विरोध में हसीना की पार्टी अवामी लीग, छात्र लीग तथा जुबो लीग के युवाओं पर भी जमात के आंदोलनकारियों ने हिंसक हमला बोलने की कोशिश की।
दंगों को काबू करते हुए 14 पुलिस वालों की भी जान गई है। प्रदर्शनकारियों की हिंसा को काबू करने के लिए कल शाम से ही पूरे देश में कर्फ्यू लागू किया गया है। इंटरनेट तथा मोबाइल इंटरनेट भी जाम कर दिए गए हैं।
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