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वायनाड आपदा: जरूरतमंदों की सेवा में संघ और सेना, गायब थे श्रीमान राहुल गांधी!

सदन में इन दिनों मुद्दों को उछालकर मीडिया फुटेज लेने वाले राहुल गांधी जिम्‍मेदारी से यूं भाग खड़े होंगे ये किसी ने सोचा नहीं होगा।

by डॉ. मयंक चतुर्वेदी
Aug 4, 2024, 12:31 pm IST
in केरल
Waynad Landslide
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देश में आई केरल वायनाड की प्राकृतिक आपदा यहां हुए लैंडस्लाइड मानवीय समाज के लिए भीषण दर्द देकर गई है। मरने वालों की संख्‍या अब तक 360 पार हो चुकी है, किंतु यहां के लोगों का जो सबसे बड़ा दर्द दिखा, वह यही था कि जिसे अपना महत्‍वपूर्ण वोट दिया, दर्द के समय तीन दिन तक उसका कोई अता-पता नहीं था।

दरअसल, हम सभी जानते हैं कि राहुल गांधी यहां से दूसरी बार सांसद चुने गए थे, ये बात अलग है कि दो जगह से चुनावी मैदान में उतरे राहुल ने इस बार जीतने के बाद वायनाड के स्‍थान पर रायबरेली को चुना और अब वहां उपचुनाव होंगे। उनके स्‍थान पर उनकी बहन प्रियंका कांग्रेस की उम्‍मीदवार बनाई जा रही हैं, लेकिन आपदा आने के बाद तीन दिनों तक न तो वे और न ही उनकी बहन दोनों ही वहां जनता की सुध लेने नहीं पहुंचे। कहा गया, मौसम अत्‍यधिक खराब होने के कारण पहुंच नहीं सके, जबकि इस बीच भारत माता की सेवा के संकल्‍प से राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ के अनेक स्‍वयंसेवक अपनी जान हथेली पर लेकर इसी समय में यहां सेवा कार्य में जुटे देखे गए। ये सभी सेना, एनडीआरएफ और स्‍थानीय प्रशासन के साथ कंधे से कंधा मिलाकर कार्य कर रहे थे।

इसे भी पढे़ं: मध्य प्रदेश के रतलाम में अवैध मदरसे का तीन दिन में बदल गया रूप, चार और मदरसों को बंद करने की दी गई थी रिपोर्ट

वायनाड में आपदा के बीच राहुल गांधी का विरोध हो रहा

आश्‍चर्य होता है सदन में इन दिनों मुद्दों को उछालकर मीडिया फुटेज लेने वाले राहुल गांधी जिम्‍मेदारी से यूं भाग खड़े होंगे ये किसी ने सोचा नहीं होगा, कम से कम वायनाड की जनता तो नहीं सोच सकती थी कि जिसे वे अपना जनप्रतिनिधि चुन रहे थे, वह आपदा के समय हमारे साथ खड़ा तक नहीं हो सकता है। यही कारण है कि अब जब राहुल गांधी वायनाड पहुंचे तो उन्‍हें जगह-जगह विरोध का सामना करना पड़ा है।

वायनाड के मुंडक्कई और पुंचिरी मट्टम गांवों का दौरा करते वक्‍त कई लोगों को उनकी गाड़ी घेरते हुए देखा गया और वे उनसे सवाल कर रहे थे, अब तक कहां थे? वे यह कहते देखे गए कि हम ही लोग हैं, जिन्होंने तुम्‍हें वोट दिया और जिताया! दूसरी तरफ राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ के स्‍वयंसेवक हैं जिन्‍हें राहुल गांधी पानी पी-पीकर कोसते हैं, उस संघ के कार्यकर्ता बिना किसी देरी के यहां दिन-रात मानवता की सेवा करते हुए देखे जा रहे हैं। स्वयंसेवक राहत और बचाव के साथ बेघर हुए लोगों के लिए रहने और खाने-पीने की व्यवस्था भी कर रहे हैं। इतना ही नहीं वे मृतकों के अंतिम संस्कार में भी सेवा कर रहे हैं। वे सेना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर हर तरफ किसी के भी जीवित होने की थोड़ी भी संभावना होने पर उसे तुरंत अस्‍पतालों में पहुंचा रहे हैं।

इसे भी पढ़ें: अब नहीं चलेगी वक्फ बोर्ड की ‘मनमानी’, असीमित शक्तियों पर लगाम लगाएगी केंद्र सरकार 

सैकड़ों प्रभावितों को हर संभव सहायता पहुंचा रहे हैं स्‍वयंसेवक

वर्तमान में आप केरल के वायनाड में चूरलमाला भूस्खलन में बचाव कार्यों में आरएसएस के स्वयंसेवक और सेवा भारती के कार्यकर्ताओं को सक्रिय रूप से घटना स्‍थल पर चारों ओर देख सकते हैं। स्वयंसेवकों ने मेप्पाडी में एक सहायता डेस्क स्थापित किया है और राहत प्रयासों का सक्रिय रूप से समन्वय कर रहे हैं। सैकड़ों प्रभावितों को भोजन और सहायता प्रदान की जा रही है। तमिलनाडु के नीलगिरी जिले के स्वयंसेवक भी राहत प्रयासों में शामिल हुए हैं। यही कारण है कि सोशल मीडिया पर लोग खुलकर कह रहे हैं कि जहां राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को होना चाहिए वहां संघ के स्वयंसेवक सेवा दे रहे हैं।

परहित ही धर्म है और रास्‍वसंघ धर्म के मार्ग पर चल रहा

कांग्रेस और विशेषकर राहुल गांधी रा.स्‍व.संघ से कितनी नफरत करते हैं, वह आये दिन सोशल मीडिया पर पोस्ट करते रहते हैं। अब वे यहां आकर स्वयं देख सकते हैं कि संघ क्या कार्य करता है। ये पंक्ति गोस्वामी तुलसी दास कृत श्री रामचरितमानस के उत्तरकाण्ड की है – इसमें भगवान श्री राम भरत की विनती पर साधु और असाधु का भेद बताने के बाद कहते हैं- ‘परहित सरिस धर्म नहीं भाई’ अर्थात दूसरों की भलाई के समान अन्य कोई श्रेष्ठ धर्म नहीं है और पर पीड़ा सम नहिं अधमाई’ से तात्पर्य है दूसरों को कष्ट देने के जैसा अन्य कोई निम्न पाप नहीं है। आवश्यकता पड़ने पर निस्वार्थ भाव से दूसरों को सहयोग देना परहित है। रास्‍वसंघ आज वायनाड में यही परहित ही करता दिखता है।

यह पहली बार नहीं है जब आरएसएस के कार्यकर्ता देश किसी भी हिस्से में आई प्राकृतिक आपदा में लोगों की मदद के लिए आगे आए हैं, इससे पहले अनेक अवसरों पर ऐसे कई उदाहरण हैं जब संघ के कार्यकर्ता लोगों की मदद करने इसी तरह से दिनरात जुटे रहे हैं।

केरल में आई प्राकृतिक आपदा में स्‍वयंसेवकों ने सेवा कार्य करते दिन-रात एक कर दिया था

अब ऐसे में कहना यही होगा कि एक तरफ जहां राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी आरएसएस के खिलाफ आए दिन विवादित बयान देते हैं तो दूसरी ओर संघ के स्‍वयंसेवक हैं जो सदैव मानवता की सेवा में जुटे रहते हैं। इससे पहले भी केरल में (10 अगस्त, 2020)- भूस्खलन से प्रभावित इडुक्की राजमलाई में बचाव कार्य के लिए रास्‍वसंघ के स्‍वयंसेवकों ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। राजमाला पेट्टीमुडी में भूस्खलन में सैकड़ों की संख्या में फंसे लोगों में से अनेक लोगों ने स्‍वयंसेवकों ने बचाया था।

इसे भी पढ़ें: विजय गाथा: ‘तिरंगा लहराकर आऊंगा या उसमें लिपटकर, पर आऊंगा जरूर’, कैप्टन विक्रम बत्रा ने जब पूरे देश में भर दिया था जोश

केरल में ओर पीछे जाएं तो इस प्राकृतिक आपदा से पहले 2019 में केरल में बाढ़ के दौरान अद्वितीय राहत गतिविधियों के लिए संघ के स्‍वयंसेवकों की सर्वत्र प्रशंसा हुई थी। वहीं, केरल बाढ़ (20 अगस्त, 2018) में भी बाढ़ पीड़ितों की सहायता में तीनों सेनाओं और एनडीआरएफ के साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के हजारों कार्यकर्ताओं ने अपना सहयोग दिया। इसी तरह से देश में कहीं भी कुछ भी संकट आता है, स्‍वयंसेवक आपको अपने जीवन को दाव पर लगाते हुए मानव सेवा करते, सहज ही नजर आ जाते हैं। वास्‍तव में यही संघ है और यही संघ की संगठित शक्‍ति है। काश; राहुल गांधी, कांग्रेस एवं संघ को अपना विरोधी माननेवाले सभी जन इस देशभक्‍ति के भाव को रास्‍वसंघ में देख पाते!

 

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