दिल्ली, (हि.स.)। लोकप्रिय भरतनाट्यम और कुचिपुड़ी नृत्यांगना यामिनी कृष्णमूर्ति (84) का निधन हो गया है। वह पिछले कुछ समय से वृद्धावस्था संबंधी बीमारियों से पीड़ित थीं। दिल्ली के अपोलो अस्पताल में इलाज के दौरान उन्होंने शनिवार देर शाम अंतिम सांस ली।
भरत नाट्यम और कुचिपुड़ी नृत्य से भारत की राष्ट्रीय ख्याति को महाद्वीपों तक फैलाने वाली यामिनी आंध्र प्रदेश से जुड़ी एक तेलुगु अभिनेत्री थीं। उनका जन्म 1940 में आंध्र प्रदेश के मदनपल्ले में कृष्णमूर्ति दंपति के घर हुआ था।
यामिनी ने बहुत कम उम्र में, पहली बार चेन्नई में कलाक्षेत्र की संस्थापक रुक्मिणी अरुंडेल से भरतनाट्यम का प्रशिक्षण लिया। उन्होंने लगन से नृत्य का अध्ययन किया और 1956 में अपना पहला नृत्य प्रदर्शन दिया था। उन्होंने मद्रास में वेदांत लक्ष्मीनारायण शास्त्री से कुचिपुड़ी सीखी। कुचिपुड़ी में, चिंता कृष्ण मूर्ति और पसुमार्थी वेणुगोपाल ने कृष्ण शर्मा के अधीन अध्ययन किया।
भरतनाट्यम के अलावा यामिनी ने गुरुपंकज ने नृत्य की निरंतर इच्छा के साथ चरण दास और केलुचरण महापात्रा के तहत ओडिसी में प्रशिक्षण लिया। क्षीरसागरमधना में मोहिनी के रूप में, भामाकल्पम में सत्यभामा के रूप में, उषापरिणयम में उषा के रूप में, ससिरेखापरिनयम में ससिरेखा के रूप में, उन्हें कई नृत्य रूपों में कई भूमिकाएं निभाने के लिए प्रशंसा मिली है।
श्रीवेंकटेश्वर विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की उपाधि से नवाजी गई यामिनी को भारत सरकार ने 1968 में पद्मश्री, 2001 में पद्म भूषण और 2016 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया था।
यामिनी ने दिल्ली में ‘यामिनी स्कूल ऑफ डांस’ की स्थापना की और कई युवाओं को भरत नाट्यम और कुचिपुड़ी नृत्य में प्रशिक्षित किया। उन्होंने ‘ए पैशन फॉर डांस’ नामक भी पुस्तक लिखी।
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने यामिनी कृष्णमूर्ति के निधन पर शोक जताया। उन्होंने कहा कि यामिनी को भारत की गौरवान्वित नर्तकी के रूप में जाना जाता है। डांस के क्षेत्र में उनकी कमी को कोई भर नहीं सकता। उन्होंने भगवान से प्रार्थना की कि उनकी आत्मा को शांति मिले।
परिवार सूत्रों ने मीडिया को सूचित किया है कि उनका अंतिम संस्कार कल शाम नई दिल्ली में होगा। उनके पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए नेशनल स्कूल ऑफ डांस में रखा गया है।
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