गुजरात पुलिस ने साइबर अपराध के शिकार हजारों मध्यम वर्ग के पीड़ितों की पीड़ा को कम करने के लिए एक बड़ा प्रयास किया है। साइबर अपराध जांच में पीड़ितों के सहयोग के कारण पहले लॉक किए गए 28,000 बैंक खाते अब खोल दिए गए हैं। बैंक खाते अनफ्रीज होने से पीड़ितों को बड़ी राहत मिली है।
गुजरात पुलिस की प्रभावी साइबर अपराध जांच के परिणामस्वरूप लगभग 28 हजार बैंक खाते अनफ्रीज किये गए हैं। इस बारेमें गृह राज्यमंत्री हर्ष संघवी ने बताया कि इस कदम से उन पीड़ितों को महत्वपूर्ण राहत मिलेगी जो धोखाधड़ी से भुगतान स्वीकार करके ठगे गए हैं या अनजाने में ऐसी चाल में फंस गए हो।
रिफंड राशि और होल्ड पर रखी गई राशि में महत्वपूर्ण बदलाव हुआ है। उन्होंने कहा कि 2024 में रिफंड की गई राशि का प्रतिशत 46.42% है, जो रिफंड राशि और होल्ड पर रखी गई 2023 में केवल 17.93% था. 30 जून, 2024 तक रोकी गई कुल राशि ₹ 114.90 करोड़ है और 2024 के लिए वापस की गई राशि ₹ 53.34 करोड़ है। यह अंतर दर्शाता है कि अधिकारियों ने साइबर अपराध पीड़ितों को समय पर राहत सुनिश्चित करने के लिए सक्रिय कदम उठाए हैं। गृह राज्यमंत्री ने बताया कि नई नीति के अनुसार अब कुल राशि के बजाय धोखाधड़ी से प्रभावित खाते के हिस्से को ही फ्रीज किया जायेगा। अब पूरे खाते के बजाय केवल धोखाधड़ी में शामिल विशिष्ट राशि को ही फ्रीज करेंगे।
जिस किसी को भी लगता है कि उनके बैंक खाते गलती से फ्रीज कर दिए गए हैं, उन्हें साइबर अपराध में शामिल न होने के सबूत के साथ आगे आना चाहिए। इन खातों की मामला-दर-मामला आधार पर समीक्षा की जाएगी और उसके बाद ऐसे खातों को अनफ्रीज किया जायेगा।
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