31 जुलाई के दिन यह चीनी टोही जहाज मालदीव के रास्ते पर बढ़ गया था। कुल मिलाकर यह तीसरी बार मालदीव के रास्ते भारत के नजदीक आया था। इस साल जनवरी तथा अप्रैल के महीनों में भी मालदीव की मुइज्जू सरकार द्वारा इस जासूसी जहाज को अपने जलक्षेत्र में लंगर डालने की इजाजत दी गई थी।
पिछले कुछ समय से चीन के समुद्री टोही जहाज कभी श्रीलंका तो कभी हिन्दू महासागर में भारत के एकदम नजदीक तक आकर ‘अनुसंधान’ करते पाए गए हैं। श्रीलंका चूंकि चीन के दिए कर्ज में डूबा है, इसलिए वह दमदारी के साथ इन जहाजों के आने को रोक नहीं पाता और ये जहाज भारतीय जलराशि के एकदम मुहाने पर आकर ‘अनुसंधान’ करके लौटते रहे हैं। ताजा मामला चीनी टोही जहाज जियांग यांग हांग का है।
चीन के इस टोही जहाज ने बहुत संभावना है कि भारत के तटीय क्षेत्रों को खंगालने का काम किया है। यह जहाज भी भारत के दक्षिण के चेन्नै से महज 260 समुद्री मील तक आकर डटा रहा था।
भारत के सागर विशेषज्ञों का मानना है कि चीन के जासूसी जहाजों की इधर कुछ समय से हिंद महासागर में मौजूदगी कुछ ज्यादा ही देखने में आ रही है। चीन के पिट्ठ टापू देश मालदीव से खुली आवाजाही की सहूलियत को देखते हुए यह जहाज 2024 में अभी तक तीन बार मालदीव उस टापू देश तक आ चुका है, और वहां से भारत पर नजरें दौड़ा चुका है। अभी गत माह यह मालदीव से बंगाल की खाड़ी में होते हुए भारत के बिल्कुल नजदीक तक आ गया था। बताया जाता है कि उसने वहां से कोई ‘सर्वेक्षण’ किया था।
उल्लेखनीय है कि बंगाल की खाड़ी वह क्षेत्र है जो भारत के लिए रणनीतिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है। यहां तक चीन के जासूसी जहाज का आना और वह भी किसी प्रत्यक्ष आवश्यक कार्य के लिए नहीं, बल्कि ‘अनुसंधान’ के लिए आना, यह बात आसानी से हजम होने वाली कतई नहीं है। बेशक, उसका इरादा भारत की जासूसी ही रहा था।
ऐसी रिपोर्ट भी है कि चीन का जासूसी जहाज जियांग यांग हांग बंगाल की खाड़ी में में आकर कोई ‘सर्वे’ करके गया है, लेकिन वह सर्वे क्या, किसलिए था, इसका खुलासा नहीं किया गया है। चीन से ऐसा कुछ करने की उम्मीद भी विशेषज्ञों को नहीं है।
यांग हांग पिछले महीने की 13 तारीख को भारत के हिस्से अंदमान निकोबार द्वीप समूह के बहुत पास हिंद महासागर में दाखिल हुआ था। इससे कुछ दिन पहले भी इसी क्षेत्र में चीन का एक अन्य जहाज टोह लेने आया था। वह जहाज जब इस क्षेत्र में आया था उस दौरान भारत परमाणु सज्ज बालिस्टिकम मिसाइलों को परखने की ओर था। चीन के उस टोही जहाज के बारे में सोशल मीडिया पर भी जानकारी साझा की गई थी।
उक्त चीनी जहाज किस रास्ते आया था उसके बारे में भी जानकारी सार्वजनिक हुई थी। उस नक्शे में बताया गया था कि यांग हांग 13 जुलाई के दिन अंदमान निकोबार द्वीप समूह के पास से हिंद महासागर में उतरा था। यही चीनी जहाज 16 जुलाई के दिन श्रीलंका पहुंचा था। श्रीलंका से वह चीनी टोही जहाज बंगाल की खाड़ी की तरफ मुड़ा था। 26 जुलाई के दिन यह बंगाल की खाड़ी में दाखिल हुआ था। दो दिन बाद ही यह जहाज चेन्नै से महज 260 समुदी मील दूर तक आ पहुंचा था।
चेन्नै के निकट यह तीन दिन मंडराता रहा था। फिर, बताते हैं 31 जुलाई के दिन यह चीनी टोही जहाज मालदीव के रास्ते पर बढ़ गया था। कुल मिलाकर यह तीसरी बार मालदीव के रास्ते भारत के नजदीक आया था। इस साल जनवरी तथा अप्रैल के महीनों में भी मालदीव की मुइज्जू सरकार द्वारा इस जासूसी जहाज को अपने जलक्षेत्र में लंगर डालने की इजाजत दी गई थी।
चीन के इस टोही जहाज को बार बार अपने यहां आने देने को लेकर भारत श्रीलंका तथा मालदीव सरकारों के सामने विरोध दर्ज करा चुका है। ‘अनुसंधान’ के बहाने चीन जिस प्रकार की भारत की जासूसी कर रहा है उसे लेकर भारत के सैन्य विशेषज्ञ और नौसेना दोनों सतर्क हैं और आवश्यक कदम उठा रहे हैं।
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