भारत में अवैध रूप से रह रहे यमनी नागरिक के मंसूबों पर बॉम्बे हाई कोर्ट ने बड़ा झटका दिया है। बॉम्बे हाई कोर्ट ने यमनी नागरिक खालिद गोमेई मोहमद हसन नाम के मुस्लिम व्यक्ति को भारत में शरण देने से इनकार कर दिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा है कि अगर वह शरण लेना चाहता है तो वो पाकिस्तान जाए।
रिपोर्ट के मुताबिक, मामले की सुनवाई करते हुए रेवती मोहित-डेरे और पृथ्वीराज चव्हाण वाली बेंच ने बुधवार को इस मामले की सुनवाई की। कोर्ट यमनी नागरिक को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि वो भारत के उदार रवैये का गलत फायदा उठाने की कोशिश न करें। साथ ही कोर्ट ने यमनी नागरिक खालिद गोमेई मोहमद हसन को सलाह कि अगर वो शरण लेने के लिए पाकिस्तान या किसी खाड़ी देश में जाकर शरण ले सकते हैं।
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मामला कुछ यूं है कि यमनी नागरिक खालिद गोमेई मोहमद हसन 2014 में स्टडी वीजा पर भारत आया। इसके बाद 2015 में उसकी बीवी भी भारत आ जाती है, यहीं रहने के दौरान वो एक बेटी का पिता बना। इसी बीच 2017 में उसका वीजा खत्म हो गया। बावजूद इसके वो भारत में ही रहा और वापस यमन नहीं गया। इसी साल फरवरी में पुलिस ने उसे देश छोड़ने का नोटिस दिया, लेकिन चालाकी दिखाते हुए वह उसने सोचा कि हाई कोर्ट से उसे मदद मिल सकती है। इसी को ध्यान में रखकर वो बॉम्बे हाई कोर्ट चला गया।
उसने हाई कोर्ट में कहा कि भारत उदारता दिखाए। खालिद का कहना था कि वो ऑस्ट्रेलिया से शरण लेने की फिराक में है और इसके लिए वह अपने कागजातों को तैयार करने की कोशिश कर रहा है। उसने कोर्ट से मांग की कि जब तक वो ऑस्ट्रेलिया नहीं चला जाता है, तब तक उसे भारत में ही रहने दिया जाए। खालिद ने कोर्ट में ये भी दावा किया कि अगर उसे कोर्ट में कहा कि अगर उसे भारत से बाहर निकाला गया तो यह भारतीय संविधान और संयुक्त राष्ट्र के नियमों के खिलाफ होगा।
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हालांकि, खालिद की इस चाल को नाकाम करते हुए हाई कोर्ट ने टिप्पणी की कि अगर उसके पास UNHCR दिया हुआ कार्ड है तो वो इसे लेकर दुनिया के 129 देशों में जा सकता है। इसके साथ ही हाई कोर्ट ने उसे 15 दिन का टाइम दिया है।
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