माफिया अतीक अहमद और अशरफ हत्याकांड के मामले में उत्तर प्रदेश पुलिस को बड़ी राहत मिली है। इसको लेकर न्यायिक आयोग की जांच रिपोर्ट को राज्य विधानसभा में पेश किया गया, जिसमें पुलिस को क्लीन चिट दिया गया।
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रिपोर्ट में कहा गया है कि अतीक अहमद और अशरफ की हत्या पहले से नियोजित नहीं थी। पुलिस की तरफ से कोई भी लापरवाही नहीं की गई है। पुलिस के लिए इस घटना को टालना संभव नहीं था। इलाहाबाद हाई कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस दिलीप बाबा साहब भोंसले की अध्यक्षता में गठित पांच सदस्यीय आयोग ने मामले की जांच करते हुए अपनी रिपोर्ट में बताया गया है कि अतीक अहमद और अशरफ की हत्या साजिश के तहत की गई थी, जिसे टाला नहीं जा सकता सकता था। लेकिन, इसमें प्रदेश सरकार और पुलिस की संलिप्तता का कोई सबूत नहीं मिला है।
न्यायिक आयोग ने अशरफ और अतीक अहमद हत्याकांड के मामले में खुलासा किया है कि अतीक अहमद और अशरफ का हत्याकांड केवल 9 सेकंड में हुआ था, जिस कारण से पुलिस के पास इस मामले में हस्तक्षेप करने का समय नहीं था। पुलिस ने अतीक अहमद और अशरफ की सुरक्षा के लिए तय स्टैंडर्ड से भी अधिक कर्मियों की तैनाती की थी। जेल से रिमांड तक के दौरान सुरक्षा व्यवस्था मजबूत थी। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि जिस वक्त पुलिस की टीम अतीक और अशरफ को ले जा रही थी, तो वहां पर मौजूद मीडियाकर्मियों ने पुलिस के काम में बाधा।
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मीडिया की मौजूदगी में ही हमलावरों ने हत्याकांड को अंजाम दिया था, ताकि वो कुख्यात हो सकें। इस घटना के कारण पुलिस को कई महत्वपूर्ण सूचनाओं के नुकसान के भी सामना करना पड़ा।
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