वामपंथी राज में ताक पर संविधान

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टी. सतीशन

केरल की वामपंथी सरकार ने अपने ताजा कदम से संवैधानिक व्यवस्था को चुनौती दी है। मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने आईएएस के. वासुकी को राज्य का ‘विदेश सचिव’ नियुक्त किया है। विपक्षी दलों ने राज्य सरकार के इस निर्णय को संविधान विरोधी करार दिया है।

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के. सुंदरन ने कहा कि संविधान ने विदेशी मामलों का विशेषाधिकार केंद्र सरकार को दिया है। केंद्र सरकार ही विदेश से जुड़े मामले में किसी अधिकारी की नियुक्ति कर सकती है। इसमें राज्य सरकार का दखल देना एक खतरनाक संकेत है। राज्य सरकार द्वारा विदेश सचिव नियुक्त करना संवैधानिक व्यवस्था का अतिक्रमण और संविधान का उल्लंघन है। यह असंवैधानिक कदम एक खतरनाक पहल है। क्या मुख्यमंत्री पिनरई विजयन केरल को अलग ‘राष्ट्र’ के रूप में स्थापित करना चाहते हैं? कांग्रेस ने भी राज्य सरकार के इस कदम को ‘बेहद असामान्य’ करार दिया है।

विजयन को पहले ही सऊदी अरब अमीरात के वाणिज्य दूतावास के साथ सोने की तस्करी और विदेशों में धन जुटाने का दोषी ठहराया जा चुका है। याद कीजिए, कुछ समय पहले मुख्यमंत्री, मंत्रियों और विधानसभा अध्यक्ष द्वारा प्रोटोकॉल के उल्लंघन का विवाद सुर्खियों में आया था। यही नहीं, पिनरई विजयन की पिछली सरकार में वित्त सचिव रहे थॉमस इसाक केरल इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड बोर्ड (केआईआईएफबी) की आड़ में एफसीआरए नियमों के उल्लंघन के आरोपों में घिरे हुए हैं।

पैसों के लेन-देन को लेकर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) उनसे पूछताछ कर चुका है। डॉलर और भारतीय मुद्रा की तस्करी को लेकर राज्य सरकार भी जांच कर रही है। इसके अलावा, वडक्कनचेरी लाइफ मिशन घोटाला भी सामने आ चुका है। सुरेंद्रन ने आश्चर्य जताते हुए पूछा कि क्या खाड़ी देशों में पिनरई विजयन के वित्तीय लेन-देन और हितों की सुरक्षा के लिए ‘विदेश सचिव’ की नियुक्ति की जा रही है? राज्य सरकार का यह फैसला संघीय नियमों का खुला उल्लंघन है।

आगे चल कर तो पिनरई राज्य का अपना ‘वाणिज्य दूतावास’ भी स्थापित करेंगे और ‘विदेश मंत्री’ की नियुक्ति तक कर सकते हैं। ‘विदेश सचिव’ की नियुक्ति के फैसले को उन्हें तत्काल वापस लेना चाहिए, नहीं तो यह देश की एकता और अखंडता को नष्ट कर देगा। राज्य पहले से ही गंभीर वित्तीय संकट से जूझ रहा है। इस तरह की नियुक्तियों से सरकार वित्तीय संकट को और बढ़ा देगी। राजनीतिक पर्यवेक्षक इस नई नियुक्ति को गंभीर मान रहे हैं। वैसे तो केरल को राष्ट्र-विरोधी ताकतों और इस्लामी आतंकवादियों का सुरक्षित ठिकाना माना जाता है। अलग ‘दक्षिण भारत’ बनाने पर विमर्श खड़ा करने के संकेत भी मिल रहे हैं। कुछ वर्ष पहले ‘कटिंग द साउथ’ विषय पर आयोजित एक सेमिनार इसी दिशा में एक प्रयास था। इसलिए, सही सोच वाले लोग नए घटनाक्रम को देश की अखंडता और संप्रभुता के लिए खतरा मानते हैं।

वासुकी अभी तक श्रम और कौशल विभाग में सचिव के तौर पर तैनात हैं। राज्य सरकार द्वारा जारी आदेश के अनुसार, वासुकी विदेशी सहयोग से जुड़े मामलों की प्रभारी होंगी। वे विदेशी सहयोग से जुड़े सभी मामलों का समन्वय और निगरानी करेंगी। वैकल्पिक व्यवस्था होने तक नई दिल्ली स्थित केरल हाउस के स्थानीय आयुक्त विदेश मंत्रालय, मिशन और दूतावासों आदि के संपर्क में बने रहने के लिए वासुकी की सहायता करेंगे।

केरल के मुख्य सचिव वेणु वी. का कहना है कि यह व्यवस्था पहले से थी। अन्य देशों से राज्य में आने वाले प्रतिनिधियों के साथ बेहतर समन्वय के लिए यह व्यवस्था बनाई गई थी।

बहरहाल, यह पहला मौका नहीं है, जब पिनरई सरकार ने ऐसा कदम उठाया है। इससे पहले इस सरकार ने राष्ट्रपति के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दाखिल करने तक की हिमाकत की थी।

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