बलूच यकजेहती कमेटी बलूचिस्तान में बलूचों से बरती जा रही दुर्भावना के विरुद्ध इस्लामाबाद को चेताने का मन बना चुकी है। उसका कहना है कि इस्लामाबाद में बैठी सरकार की नीतियों ने बलूचों को उनकी अपनी ही जमीन पर शरणार्थी बनने को मजबूर कर दिया है। लेकिन अब बलूच ऐसा अत्याचार सहने को तैयार नहीं हैं।
वर्षों से पाकिस्तान सरकार के अमानवीय अत्याचारों से त्रस्त बलूचिस्तान के बलूचों ने अब ऐलाने जंग कर दी है। ग्वादर में लाख से ज्यादा बलूचों की उपस्थिति वाली रैली को देखकर यह कहा जा सकता है कि अपने स्वाभिमान को लेकर बलूच गंभीर हैं और इस पर अब आर—पार के लिए तैयार हैं।बलूचों की इस एकजुटता के पीछे काम कर रही बलूच यकजेहती कमेटी की अगुआई में कल ग्वादर में हुए जबरदस्त प्रदर्शन की गूंज से इस्लामाबाद जरूर थर्रा गया होगा। बलूचों ने रैली में अपने क्षेत्र से पाकिस्तान और चीन को प्राकृतिक संसाधनों की बंदरबांट न करने देने की भी कसमें खाई हैं।
बलूच यकजेहती कमेटी बलूचिस्तान में बलूचों से बरती जा रही दुर्भावना के विरुद्ध इस्लामाबाद को चेताने का मन बना चुकी है। उसका कहना है कि इस्लामाबाद में बैठी सरकार की नीतियों ने बलूचों को उनकी अपनी ही जमीन पर शरणार्थी बनने को मजबूर कर दिया है। लेकिन अब बलूच ऐसा अत्याचार सहने को तैयार नहीं हैं। कमेटी की वरिष्ठ नेता डॉ. महरंग बलूच बलूचों की मांगों के लिए लड़ती आ रही हैं। उनका कहना है कि पाकिस्तान की हुकूमत ने अगर उनकी मांगें न मानी तो इसी ग्वादर में बेमियादी विरोध प्रदर्शन किया जाएगा।
बलूच रैली में पूरे बलूचिस्तान से लोग आए थे। पाकिस्तानी सरकार की पूरी कोशिश थी कि जोर—जबरदस्ती करके भी वहां बलूचों को इकट्ठे न होने दिया जाए, लेकिन उसकी कोई बाधा इनका रास्ता न रोक सकी। कोने—कोने से हजारों बलूच वहां देर रात से ही पहुंचने शुरू हो गए थे। रैली में महरंग ने दुनिया की विभिन्न ताकतों का आह्वान किया कि बलूचों पर ढाए जा रहे जुल्मों और उनसे छीने जा रहे बुनियादी अधिकारों की तरफ गौर करें और इसमें दखल दें।
उन्होंने कहा,’आज बलूच जाग चुके हैं। वे जान गए हैं कि उनका शत्रु कौन है, जान चुके हैं कि उनके यहां से कुदरत की नियामतें कौन लूट रहा है। उन्होंने ही ऐलान किया कि जब तक बलूचों की मांगे पूरी न होंगी, ग्वादर के इस मरीन ड्राइव से बलूच नहीं उठेंगे। धरना यूं ही चलता रहने वाला है। महरंग ने पाकिस्तान की सेना द्वारा बलूचों के साथ किए गए अत्याचारों का भी कच्चा चिट्ठा सामने रखा। बलूच महिलाओं पर फौजियों ने जुल्म ढाए हैं। उनके कपड़े फाड़े गए, आंसू गैस के गोले दागे गए।
रैली में बताया गया कि यह विरोध रैली थी तो एक दिन की लेकिन बलूचों के आक्रोश को देखते हुए उनकी मांगें पूरी होने तक यह प्रदर्शन यहीं पर चलता रहने वाला है। सरकार बलूचों पर हिंसक कार्रवाइयों को फौरन बंद करे। कमेटी ने जानकारी दी कि बीते 48 घंटे के अंदर ग्वादर तथा बलूचिस्तान मैदाने जंग की शक्ल ले चुके हैं।
इस्लामाबाद में बैठी सरकार ने रैली को असफल बनाने के लिए कर्फ्यू लगाया था, इंटरनेट तथा मोबाइल के नेटवर्क जाम किए गए थे, जगह जगह बलूचों के जत्थों पर गोलियां चलाई गईं, इसके बावजूद रैली में करीब एक लाख लोगों के पहुंचने का दावा किया गया। कमेटी ने बताया कि ग्वादर के उपायुक्त ने महरंग बलूच को फोन पर धमकाया था, आयुक्त ने कथित तौर पर बलूचों तथा कमेटी के नेताओं पर गोलियां चलाने की बात की थी।
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