नई दिल्ली (हि.स.)। कांवड़ यात्रा मार्ग पर दुकान मालिकों का नाम लिखे जाने के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट के नोटिस के जवाब में यूपी सरकार ने कोर्ट में दायर हलफनामे में कहा है कि ये निर्देश कांवड़ियों की शिकायतों के बाद ही लाए गए हैं। कांवड़ियों की धार्मिक भावनाओं को ध्यान में रखते हुए यात्रा के दौरान उनके भोजन के संबंध में पारदर्शिता के लिए यह निर्देश दिया गया है। इस मामले पर आज सुनवाई होनी है।
यूपी सरकार ने कहा है कि कांवड़ियों को पता होना चाहिए कि वे क्या खा रहे हैं और कहां खा रहे हैं। कांवड़ यात्रा में शांति, सुरक्षा और व्यापक पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए निर्देश लाए गए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 22 जुलाई को इस निर्देश पर अंतरिम रोक लगा दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि ढाबा, रेस्टोरेंट, फल-सब्जी विक्रेताओं, फेरी वाले यह तो बता सकते हैं कि वह कांवड़ियों को किस प्रकार का भोजन परोस रहे हैं लेकिन उन्हें दुकान मालिकों या फिर उनके यहां काम करने वालों के नाम उजागर करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि कांवड़ियों को शाकाहारी भोजन मिले और स्वच्छता का उच्च स्तर भी कायम रहे ये प्राधिकार सुनिश्चित कर सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में कहा था कि सक्षम प्राधिकार फ़ूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड एक्ट 2006 और स्ट्रीट वेंडर एक्ट 2014 के तहत आदेश भी जारी कर सकती है लेकिन इसको लेकर जो सक्षम अथॉरिटी के पास जो अधिकार है, उसको बिना किसी क़ानूनी आधार के पुलिस नहीं हथिया सकती है।
एनजीओ एसोसिएशन ऑफ प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स समेत कई याचिकाकर्ताओं ने याचिका दाखिल की है। इस याचिका में यूपी सरकार, राज्य के डीजीपी और मुजफ्फरनगर के एसएसपी के अलावा उत्तराखंड सरकार को भी पक्षकार बनाया गया है। यूपी सरकार ने 19 जुलाई को एक आदेश जारी कर कांवड़ रूट के सभी दुकानदारों को अपना नाम लिखना अनिवार्य कर दिया था, जिस पर राजनीतिक हंगामा खड़ा हो गया है।
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