हिमाचल में बेरोजगारी दर लगातार बढ़ती जा रही है। प्रदेश में 7.4 लाख से अधिक बेरोजगार युवक-युवतियां रोजगार कार्यालयों में पंजीकृत हैं और लंबे समय से रोजगार का बाट जोह रहे हैं। वहीं रोजगार के बड़े-बड़े दावे कर सत्ता पर काबिज हुई प्रदेश की कांग्रेस सरकार बेरोजगार युवाओं को अब तक रोजगार मुहैया करवाने में विफल रही है। चुनाव से पहले कांग्रेस पार्टी ने दावा किया था कि सत्ता में आने पर पहली कैबिनेट में एक लाख युवाओं को रोजगार देंगी और पांच साल में 5 लाख युवाओं को रोजगार मुहैया करवाएगी। लेकिन 20 माह से अधिक कार्यकाल बीत चुका है, अभी तक कुछ ही युवाओं को रोजगार मिल पाया है।
16 फरवरी, 2024 को विधानसभा में रोजगार से संबंधित पूछे गए प्रश्न के जवाब में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बताया कि 31 मार्च, 2023 से 15 जनवरी, 2024 तक हिमाचल प्रदेश में 750 युवाओं को रोजगार देने की संस्तुति राज्य लोक सेवा आयोग की तरफ से विभागों को दी गई है, जबकि राज्य सरकार की ओर से युवाओं के रोजगार के अवसर तलाशने के लिए बनाई गई कैबिनेट उप-समिति की रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश के सरकारी विभागों में लगभग 70 हजार से अधिक पद रिक्त हैं।
बेरोजगारी के मुद्दे को लेकर चुनावों के दौरान कांग्रेस के शीर्ष नेताओं ने खुले मंचों से युवाओं के लिए रोजगार के द्वार खोलने के दावे किए थे जो समय के साथ धुंधले होते चले गए। चुनावों में कांग्रेस को सत्ता में लाने में अहम भूमिका निभाने वाले बेरोजगार युवा अब अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहे हैं।
कांग्रेस पार्टी ने चुनावों से पहले अपने घोषणापत्र में हिमाचल के लोगों के लिए 10 गारंटी दी थीं, जिसमें चौथे नंबर पर युवाओं को 5 लाख रोजगार देने की बात कही गई थी। कांग्रेस नेता प्रियंका वाड्रा ने 14 अक्तूबर, 2022 को अपने चुनावी भाषण में कहा था कि जब कांग्रेस सरकार प्रदेश में बन जाएगी तो हम पहली कैबिनेट में फैसला लेकर एक लाख सरकारी भर्तियां करेंगे। कुल मिलाकर 5 लाख लोगों को सरकारी नौकरी दी जाएगी। हिमाचल प्रदेश में सरकारी क्षेत्र की सेवाओं के लिए योग्य युवाओं का चयन राज्य लोक सेवा आयोग और राज्य अधिनस्थ कर्मचारी चयन आयोग के द्वारा किया जाता है और इसमें भी ज्यादातर भर्तियां अधीनस्थ कर्मचारी चयन आयोग के तहत होती थीं। मगर भर्तियों में धांधलियों के चलते आयोग 21 फरवरी 2023 को भंग कर दिया गया था और इसके बाद भर्तियां नहीं हो पाई हैं। हालांकि सरकार ने आयोग को पुन: शुरू तो कर दिया है, लेकिन भर्तियों की प्रक्रिया अभी तक शुरू नहीं हो पाई है। इससे प्रदेश में बेरोजगारों की फौज लगातार बढ़ती जा रही है और युवाओं में रोष भी बढ़ता जा रहा है।
क्लर्कभर्ती के 2020-21 की 1867 और 2021-22 की 1904 भर्तियां, जो अदालती मुकदमों में फंसी हुई थीं, उन्हें सर्वोच्च न्यायालय से हरी झंडी मिलने के बावजूद सरकार आनाकानी कर रही है। साल 2022 में शुरू हुईं विभिन्न विभागों में 1647 भर्तियां चयन बोर्ड बंद होने के चलते पूरी नहीं हुई हैं। इसके अलावा पुलिस विभाग, जेबीटी और स्कूली शिक्षक भर्ती, पटवारी भर्ती समेत कई विभागों में भर्तियां लंबित हैं, जिसके लिए कोई प्रक्रिया शुरू नहीं की गई है। हिमाचल सरकार की ओर से युवाओं के रोजगार के अवसर तलाशने के लिए बनाई गई कैबिनेट सब कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश के सरकारी विभागों में लगभग 70 हजार से अधिक रिक्त पद हैं। लेकिन इन्हें भरने के लिए प्रक्रिया बेहद धीमी है जिससे प्रदेश में बेरोजगारी दर लगातार बढ़ रही है।
हिमाचल आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट के अनुसार हिमाचल प्रदेश में बेरोजगारी दर 2021-22 में 4 प्रतिशत से बढ़कर 2022-23 में 4.4 प्रतिशत हो गई। सामान्य स्थिति में ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी दर पुरुषों के बीच 3.3 प्रतिशत और महिलाओं में 3.8 प्रतिशत थी, जबकि शहरी क्षेत्रों में पुरुषों में यह दर 6.3 प्रतिशत और महिलाओं में 30.6 प्रतिशत थी।
हाल ही में एनएसएसओ की ओर से जारी की गई पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे की रिपोर्ट में हिमाचल प्रदेश में बेरोजगारी की दर देश के मुकाबले कई गुना अधिक आंकी गई है। हिमाचल प्रदेश में जनवरी से मार्च के बीच की तिमाही में शहरी क्षेत्रों में 18 से 29 आयु समूह के युवाओं में बेरोजगारी की दर 32 फीसदी आंकी गई है। यह दर राज्यों के लिहाज से सबसे अधिक है। 18 वर्ष से ऊपर के आयु वर्ग में भी हिमाचल प्रदेश में बेरोजगारी की दर 22.2 फीसदी है जो कि देश में उच्चतम है। हिमाचल प्रदेश के श्रम विभाग के आंकड़ों के अनुसार उनके पोर्टल पर 7.4 लाख से अधिक बेरोजगार युवा पंजीकृत हैं, जिनमें शहरी क्षेत्रों के 4 लाख और ग्रामीण क्षेत्रों के 3 लाख से अधिक युवा बेरोजगार शामिल हैं। हिमाचल प्रदेश को फलों की टोकरी भी कहा जाता है और यहां दर्जनों फलों की खेती होती है। हिमाचल प्रदेश में 70 फीसदी से अधिक लोग ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं और कृषि और बागवानी से जुड़े हुए हैं। लेकिन पर्यावरण में आ रहे बदलावों की वजह से बागवानी प्रभावित हुई है, जिससे रोजगार पर गहरा असर पड़ा है।
जलवायु परिवर्तन के कारण हिमाचल प्रदेश में बेमौसम भारी बारिश, सूखा, ओलावृष्टि, बर्फबारी और अन्य प्राकृतिक आपदाएं देखने को मिल रही हैं। इन प्राकृतिक आपदाओं के चलते पिछले साल बरसात के समय हिमाचल प्रदेश को 12 हजार करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान उठाना पड़ा है। बेरोजगार युवा नौकरियों को लेकर कई बार आंदोलन कर चुके हैं। युवाओं की ओर से पूर्व में हुई भर्ती परीक्षाओं के परिणाम को निकालने को लेकर भी आंदोलन हुए हैं और सर्वोच्च न्यायालय से फैसला आने के बाद भी परीक्षाओं के परिणाम नहीं निकल पाए हैं। इसके अलावा बेरोजगार युवा आउटसोर्स भर्तियों, सेवानिवृत्त कर्मचारियों की पुनर्नियुक्ति और सेवा विस्तार को लेकर भी विरोध कर रहे हैं। कांग्रेस की ओर से युवाओं को पक्का रोजगार देने की बात कही गई थी जिसका जिक्र अब कोई नेता नहीं करता, सब इस मुद्दे पर कन्नी काट रहे हैं।
31 जुलाई, 2022 को चुनाव प्रचार के दौरान वर्तमान में हिमाचल के उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने सार्वजनिक रूप से कहा था कि ‘‘कांग्रेस सरकार बनेगी तो युवाओं को पक्की नौकरी मिलेगी 58 वर्ष वाली, मैं आपको साफ तौर पर कह देता हूंकि ये 2500, 3500 और 4500 वाली भर्तियां बिल्कुल बंद की जाएंगी।’’
यहां भी कांग्रेस के दावे हवा हो गए। वर्तमान सरकार में कई कर्मचारियों को सेवा विस्तार दिया गया है और कई सेवानिवृत्त कर्मचारियों को फिर से रखा गया है। सरकार ठेके पर रखे गए पुराने कर्मचारियों के लिए कोई स्थाई नीति लाने में विफल तो रही ही, अब पुन: शिक्षा विभाग में ठेके पर भर्ती करने की तैयारी में है। युवाओं को नशे से दूर रखने और उनके रोजगार के लिए काम करने वाली ‘संस्कार’ संस्था के अध्यक्ष महेंद्र धर्मायी कहते हैं, ‘‘कांग्रेस को सत्ता में आए 20 माह से अधिक समय बीत गए हैं लेकिन उसने अब तक युवाओं से किए वादे पूरे नहीं किए हैं।’’ प्रदेश का युवा रोजगार न मिलने के चलते भारी मानसिक वेदना से गुजर रहा है। रोजगार न मिलने से युवा आत्महत्या जैसा कदम उठा रहे हैं जो बेहद चिंताजनक स्थिति है। सरकार को रोजगार सृजन के प्रयासों में तेजी लानी चाहिए नहीं तो बेरोजगार युवा प्रदेशव्यापी आंदोलन करने की तैयारी में हैं।
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