फ्रांस की राजधानी पेरिस में 26 जुलाई से खेलों के महाकुंभ का श्रीगणेश होने जा रहा है, जो 11 अगस्त तक चलेगा। अमूमन ओलंपिक खेलों का आयोजन किसी विशाल मैदान या स्टेडियम में किया जाता है, लेकिन पहली बार इसका आयोजन किसी नदी के तट पर किया जाएगा। हजारों खिलाड़ी नाव से सीन नदी पार कर एफिल टावर की ओर जाएंगे। सीन नदी कभी बहुत प्रदूषित हुआ करती थी। इस कारण बीते 100 साल इसमें तैराकी पर प्रतिबंध लगा हुआ था। लेकिन इसे स्वच्छ बनाने के लिए फ्रांस सरकार ने 1.4 अरब यूरो यानी लगभग 12.54 हजार करोड़ रुपये से अधिक राशि खर्च कर इसे स्वच्छ बना दिया है। मैराथन तैराकी और ट्राइथलॉन जैसे कुछ आयोजन इसी नदी में कराए जाएंगे। इस आयोजन को यादगार बनाने के लिए फ्रांस ने 10 वर्ष लगाए हैं।
इस ओलंपिक में कुल 32 खेलों में 10 हजार से अधिक खिलाड़ी भाग लेंगे। ये खेल पेरिस के 35 खूबसूरत स्थानों पर आयोजित किए जाएंगे। इस बार पदकों को खास तरीके से ‘डिजाइन’ किया गया है। प्रत्येक पदक में एफिल टावर में प्रयुक्त असली लोहा लगाया गया है। स्वर्ण पदक का वजन 529 ग्राम, रजत पदक का 525 ग्राम और कांस्य पदक का वजन 455 ग्राम है।
इस बार कराटे, बेसबॉल और सॉफ्टबॉल जैसे कुछ खेल ओलंपिक का हिस्सा नहीं होंगे, जो टोक्यो ओलंपिक का हिस्सा थे। इस बार चार नए खेल ब्रेकडांसिंग, स्केटबोर्डिंग, सर्फिंग और स्पोर्ट्स क्लाइंबिंग शामिल किए गए हैं।
32 खेलों के अंतर्गत 329 आयोजन किए जाएंगे। इनमें तीरंदाजी, आर्टिस्टिक जिम्नास्टिक्स, आर्टिस्टिक स्विमिंग, एथलेटिक्स, वेटलिफ्टिंग, कुश्ती, बैडमिंटन, बास्केटबॉल, बास्केटबॉल 373, वॉलीबॉल, बीच वॉलीबॉल, बॉक्सिंग, टेनिस, टेबल टेनिस, ब्रेकिंग, कैनो स्लालम, कैनो स्प्रिंट, साइकलिंग बीएमएक्स फ्रीस्टाइल, साइकलिंग बीएमएक्स रेसिंग, साइकलिंग माउंटेन बाइक, साइकलिंग रोड, साइकलिंग ट्रैक, डाइविंग, घुड़सवारी, फेंसिंग, फुटबॉल, गोल्फ, हैंडबॉल, हॉकी, जूडो, मैराथन स्विमिंग, मॉडर्न पेंटाथलॉन, रिदमिक जिम्नास्टिक्स, रोइंग, रग्बी सेवेंस, सेलिंग, शूटिंग, स्केटबोर्डिंग, स्पोर्ट क्लाइम्बिंग, सर्फिंग, स्विमिंग, ताइक्वांडो, ट्रैम्पोलिन, ट्रायथलॉन, वॉटर पोलो जैसे खेल शामिल हैं। खास बात यह है कि इन खेलों में महिलाओं की भागीदारी लगातार बढ़ रही है।
वर्ष 1900 में पेरिस में आयोजित ओलंपिक खेलों में पहली बार महिलाओं ने भागीदारी की थी। उस समय कुल 997 खिलाड़ियों में 22 महिलाएं थीं, जिन्होंने पांच खेलों टेनिस, नौकायन, क्रोकेट, घुड़सवारी और गोल्फ में हिस्सा लिया था। उसके बाद 2012 में लंदन में आयोजित ओलंपिक ऐतिहासिक रहा, जब महिलाओं ने प्रत्येक खेल में भाग लिया था। 2016 के रियो ओलंपिक में तो कुल प्रतिभागियों में से करीब 45 प्रतिशत महिला प्रतिभागी थीं। 2020 के टोक्यो ओलंपिक में महिलाओं की सर्वाधिक लगभग 49 प्रतिशत भागीदारी रही।
जहां तक भारत की बात है तो यह 26वीं बार ओलंपिक में हिस्सा ले रहा है। हालांकि इस ओलंपिक में पिछली बार की तुलना में खिलाड़ियों की संख्या कम है। टोक्यो ओलंपिक में भारत के 124 खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया था। केंद्रीय खेल मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया के अनुसार पेरिस ओलंपिक के 16 खेलों में भारत की 48 महिला एथलीटों सहित कुल 118 एथलीट भाग ले रहे हैं। इनमें 26 ‘खेलो इंडिया’ से उभरे हैं, जबकि 72 एथलीट पहली बार ओलंपिक के लिए चुने गए हैं।
ओलंपिक के इतिहास में भारत अब तक कुल 35 पदक जीत चुका है, जिनमें 10 स्वर्ण, 9 रजत और 16 कांस्य पदक शामिल हैं। भारत ने पहली बार 1900 के ओलंपिक में हिस्सा लिया था। टोक्यो ओलंपिक में भारत का प्रदर्शन सबसे बेहतरीन रहा था। इसमें उसने 7 पदक जीते थे। 121 वर्ष के ओलंपिक इतिहास में जहां भारत को एथलेटिक्स में पहली बार स्वर्ण पदक हासिल हुआ था, वहीं टोक्यो ओलंपिक में भारत ने उस समय तक के सर्वाधिक पदक जीते थे। टोक्यो ओलंपिक में महिला हॉकी टीम भले ही पदक जीतने में सफल नहीं हो सकी थी, लेकिन उसने भी बेहतरीन प्रदर्शन किया था। टोक्यो ओलंपिक इस मायने में भी बेहद खास रहा था कि भारत ने पहले ही दिन पदक जाता था। आखिरी दिन तो भारत के लिए ऐतिहासिक रहा था, क्योंकि उस दिन भारत ने दो अलग-अलग स्पर्धाओं में स्वर्ण और कांस्य पदक जीतकर एक नया इतिहास रचा था। भारत का ओलंपिक में सबसे ज्यादा छह पदक जीतने का रिकॉर्ड 2012 के रियो ओलंपिक का था, जबकि टोक्यो ओलंपिक में भारत एक स्वर्ण, दो रजत और चार कांस्य पदक जीतने में सफल हुआ था। भाला फेंक में जब नीरज चोपड़ा ने स्वर्ण पदक जीता था तो समूचे भारत ने एक स्वर में ‘वन्देमातरम्’ का जयघोष किया था।
टोक्यो ओलंपिक 2020 में जिन भारतीय खिलाड़ियों और टीम की बदौलत ओलंपिक पोडियम में शान से भारतीय तिरंगा लहराया था, उनमें भारतीय पुरुष हॉकी टीम के साथ ही मीराबाई चानू, पीवी सिंधू, लवलीना बोरगोहाईं रवि कुमार दहिया, बजरंग पूनिया, नीरज चोपड़ा जैसे खिलाड़ी शामिल हैं। टोक्यो ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम की जीत तथा अन्य खिलाड़ियों का बेहतरीन प्रदर्शन कुछ ऐसा रहा मानो हमें सोते से जगाकर कह रहा हो कि उठो, जागो, उस पार सवेरा है। दरअसल, ओलंपिक में भारतीय खिलाड़ियों के प्रदर्शन को देखते हुए भारत में खेलों की दशा और दिशा सुधरने की उम्मीदें बलवती हुईं और इस बार भी ओलंपिक में नीरज चोपड़ा सहित कई भारतीय खिलाड़ियों से स्वर्णिम प्रदर्शन की उम्मीदें हैं। नि:सदेह भारतीय एथलीट दुनिया के सबसे बड़े खेल मंच के पोडियम पर पहुंचने के लिए अपना पूरा दमखम दिखाएंगे और भारत की झोली पदकों से भर देंगे।
नीरज चोपड़ा के अलावा भारत को अपने 21 सदस्यीय निशानेबाजी दल, पुरुष हॉकी टीम, सात्विक साईराज रंकी रेड्डी और चिराग शेट्टी की पुरुष बैडमिंटन जोड़ी, दो बार की मुक्केबाजी विश्व चैंपियन निकहत जरीन, बॉक्सिंग में लवलीना बोरगोहाईं कुश्ती में विनेश फोगाट, बैडमिंटन में 2016 के रियो ओलंपिक में रजत और 2020 के टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक जीत चुकी पीवी सिंधु, भारोत्तोलन में मीराबाई चानू, शूटिंग में सिफ्त कौर समरा, गोल्फ में अदिति अशोक से पदक जीतने की प्रबल उम्मीदें हैं। यदि भारत के नीरज चोपड़ा ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने में सफल हो जाते हैं तो वे ओलंपिक में लगातार दो बार स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी बन जाएंगे। इसी प्रकार यदि पीवी सिंधु भी पेरिस ओलंपिक में पदक जीतने में सफल हो जाती हैं तो वह भारत की सबसे सफल एथलीट बन जाएंगी।
1928, 1932, 1936, 1948, 1952, 1956, 1964, और 1980 में कुल 8 बार स्वर्ण पदक और 1960 में रजत पदक जीत चुकी हॉकी टीम से भी भारत को पेरिस ओलंपिक में बहुत उम्मीदें हैं। पेरिस ओलंपिक का हिस्सा बनने जा रहे अधिकांश भारतीय खिलाड़ियों ने टोक्यो ओलंपिक के बाद से अब तक विभिन्न खेल स्पर्धाओं में जिस तरह का शानदार प्रदर्शन किया है, उसे देखते हुए आशा की जा सकती है कि पेरिस ओलंपिक में भारत और ज्यादा तेजी के साथ चमकेगा और पूरी दुनिया में पेरिस ओलंपिक में भारत का मस्तक गर्व से ऊंचा होगा।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)
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