जीवनशैली

ई-उपवास : रील की जगह रियल लाइफ को करें लाइक, खुशियों को करें डाउनलोड

केस स्टडी यह बताने के लिए काफी हैं कि मोबाइल फोन किस कदर हमारे दिमाग को अपने काबू में कर चुका है

Published by
Sudhir Kumar Pandey

21 जुलाई को मध्य प्रदेश से खबर आई। एक पेड़ पर रस्सी डालकर कुछ बच्चे रील बना रहे थे। इसमें फांसी लगने की एक्टिंग करनी थी। एक बच्चे ने गले में फंदा डाला और अन्य बच्चे रील बनाने लगे। इसी दौरान फंदा कस जाता है और बच्चे की मौत हो जाती है।

25 जुलाई को हरियाणा के गुरुग्राम से खबर आई। स्विमिंग पूल में डूबने से छह साल के बच्चे की मौत हो गई। सोसाइटी के निवासियों की मानें तो लाइफ गार्ड उस समय मोबाइल देखने में व्यस्त था।

22 जून को महाराष्ट्र के पुणे से एक खबर आई। एक लड़की और उसके दो दोस्त ऊंची बिल्डिंग पर चढ़े थे। इसी दौरान एक लड़की बिल्डिंग से लटकती और एक लड़का उसका हाथ पकड़े हुए है। तीसरा व्यक्ति इस घटना की रील बना रहा है।

ये केस स्टडी यह बताने के लिए काफी हैं कि मोबाइल फोन किस कदर हमारे दिमाग को अपने काबू में कर चुका है। राह चलते लोग रास्ता कम, मोबाइल अधिक देखते हैं। कार चलाते समय मोबाइल में कोई नोटिफिकेशन आता है तो उसे ओपन किए बिना नहीं रह सकते। दुर्घटना की पीछे छूट जाती है और दिमाग मोबाइल को ऑन करने में लग जाता है। हद तो यह हो गई है बाइक चलाते समय एक हाथ से हैंडल पकड़े और दूसरे हाथ में मोबाइल लिए लोग भी दिख जाते हैं।

मेट्रो में, बस, ट्रेन, एयरोप्लेन, जहां भी आप देखेंगे लोग फोन के अंदर दिखेंगे। यहां तक कि बेडरूम में भी उसने अपनी जगह बना ली है। मोबाइल देखते-देखते सोने की बुरी आदत विकसित हो रही है। जमीन पर बैठकर भोजन की आदत अब रही नहीं। खाने की टेबल पर जब पूरा परिवार एकसाथ बैठा होगा, तब भी किसी न किसी के हाथ में मोबाइल फोन होगा। मोबाइल फोन हमें निर्देश देता है कि हमें कितनी देर में भोजन समाप्त करना है।

तकनीक हमें आगे ले जाती है, लेकिन वह हमें निर्देश देने लगे तो इंसान और रोबोट में भला क्या अंतर रह जाएगा। एक क्लिक में पूरी दुनिया आप देख सकते हैं, लाइक भी कर सकते हैं, लेकिन उसका वास्तविक आनंद नहीं ले सकते।

आभासी दुनिया से बाहर निकलने, रील की जगह रियल लाइफ को चुनने का विकल्प भी एक क्लिक में ही है। रियल लाइफ में आकर खुशियों को डाउनलोड करने का ऑप्शन भी आपके पास है। यह आप पर निर्भर करता है कि आप फोन को स्विच ऑफ करते हैं या फिर अपने दिमाग को।

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