चीन पूर्वी लद्दाख तथा तिब्बत के पश्चिमी हिस्से में फौजी हलचल लगातार जारी रखे है। पूर्वी लद्दाख के इस क्षेत्र में पैंगोंग त्सो झील रणनीतिक दृष्टि से काफी अहम मानी जाती है। सीमा विवाद में यह क्षेत्र भी आता है जिस पर चीन अपना कब्जा जताता है। उपग्रह तस्वीरें बताती हैं कि इस ‘ब्रिज’ को इस जुलाई माह में ही पूरा किया गया है।
पूर्वी लद्दाख में चीन की शरारतें जारी हैं और समय समय पर इसका खुलासा भी होता रहा है। अब ताजा खुलासे से पता चला है कि कम्युनिस्ट विस्तारवादी ड्रैगन द्विपक्षीय वार्ता की आड़ में गुपचुप सैन्य निर्माण करता आ रहा है। ताजा उपग्रह तस्वीरों से सामने आया है कि चीन ने पैंगोंग त्सो झील इलाके में एक ऐसा ‘ब्रिज’ बनाकर तैयार किया है जिसके जरिए फौजी टैंक तक भेजे जा सकते हैं। बताया जा रहा है कि इसके रास्ते उस गलवान घाटी तक चीनी फौजियों की पहुंच संभव होगी जहां साल 2020 में चीनी फौजियों की भारत के जांबाज वीरों ने अच्छी ठुकाई की थी और सौ से ज्यादा मारे गए थे।
लेकिन गलवान में भारत के हाथों हुई उस पिटाई के बाद से ही चीन ने एक ओर ‘सीमा विवाद’ पर भारत से बातचीत कर रहा है तो दूसरी ओर उस चोट को सालते हुए वहां फौज से जुड़े ढांचे भी खड़े कर रहा है। बंकर, खंदक, हवाई पट्टी, सैनिकों के रहने के ठिकाने, सड़कें, पुल और न जाने क्या क्या ढांचे उसने खड़े किए हैं। ये सब उपग्रह चित्रों से पता चलता रहा है। भारत ने भी उस क्षेत्र में अपना बुनियादी ढांचा विकसित किया है, सैनिकों को और सहूलियतें दी गई हैं।
लेकिन चीन पूर्वी लद्दाख तथा तिब्बत के पश्चिमी हिस्से में फौजी हलचल लगातार जारी रखे है। पूर्वी लद्दाख के इस क्षेत्र में पैंगोंग त्सो झील रणनीतिक दृष्टि से काफी अहम मानी जाती है। सीमा विवाद में यह क्षेत्र भी आता है जिस पर चीन अपना कब्जा जताता है। उपग्रह तस्वीरें बताती हैं कि इस ‘ब्रिज’ को इस जुलाई माह में ही पूरा किया गया है। पुल के रास्ते अब उस क्षेत्र में चीन की फौज की हरकतें बढ़नी तय हैं।
उल्लेखनीय है कि रक्षा विशेषज्ञों ने साल 2022 में इस बात का खुलासा किया था कि कम्युनिस्ट चीन पैंगोंग झील क्षेत्र में ऐसा पुल बना रहा है। फिर कुछ वक्त के बाद यह सामने आया कि दरअसल वह एक सहायक पुल था जिसकी मदद से पास ही एक और बड़ा ‘ब्रिज’ बनाया जाना है। और अब यह ‘ब्रिज’ बनकर तैयार हो गया है।
डेमियन नाम के एक उपग्रह चित्रों के जानकार ने इस ‘ब्रिज’ के फोटो सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर शेयर किए हैं। तस्वीरें साफ दिखा रही हैं कि यह ‘ब्रिज’ बनकर तैयार है और उस पर तारकोल की सड़क भी बन चुकी है। पैगोंग के आसपास चीन की फौज की पहुंच अब जल्दी और सुगम हो जाएगी और बेशक, इसका मकसद भारत के लिए तनाव पैदा करना ही रहने वाला है।
इस ‘ब्रिज’ की बनावट से साफ है कि इसे भारी टैंकों का भार झेलने लायक बनाया गया है। इसके रास्ते चीनी फौजी टुकड़ी धुर दक्षिण में रेजांग ला जैसे इलाके तक पहुंच सकेगी। चीन की सेना इस ‘ब्रिज’ के बनने से चीन पैंगोंग त्सो के उत्तरी किनारे में झील के फिंगर प्वाइंट्स वाले क्षेत्रों तक पहुंच सकेगी। पहले उसे घूमकर उस इलाके तक जाना पड़ता था लेकिन अब यह दूरी 180 किमी कम होने की संभावना है।
जैसा पहले बताया, भारत ने भी उस क्षेत्र में चीन की शरारतें देखते हुए अपनी स्थिति मजबूत की है। भारत भी फिंगर 4 की तरफ एक सड़क बनाने में जुटा है। भारत की इस सड़क से भारत की फौज सासेर ला होते हुए दारबुक-स्क्योक-दौलत बेग ओल्डी रोड तक आसानी से पहुंच सकेगी।
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