नई दिल्ली, (हि.स.)। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को वित्त वर्ष 2023-24 का आर्थिक सर्वेक्षण लोकसभा में पेश किया। आर्थिक सर्वेक्षण पेश करते हुए सीतारमण ने कहा कि भू-राजनीतिक चुनौतियों के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति बेहतर है। उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2023-24 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि 8.2 फीसदी रही है। चालू वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान विकास दर 6.50 से 7.00 फीसदी रहने का अनुमान है। आर्थिक सर्वेक्षण 2023-2024 को राज्यसभा में भी पेश किया गया।
विकास दर 6.5 से 7 फीसदी रहने का अनुमान
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में पेश आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 में भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर चालू वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान 6.5-7.0 फीसदी रहने का अनुमान जताया है। आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि वैश्विक स्तर पर अनश्चित आर्थिक प्रदर्शन के बावजूद घरेलू स्तर पर वृद्धि कारकों ने आर्थिक वृद्धि को समर्थन दिया है। उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2023-24 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि 8.2 फीसदी रही है।
महंगाई के मोर्चे पर राहत मिलने की उम्मीद
आर्थिक सवेक्षण में कहा गया है कि दुनिया में भू-राजनीतिक तनाव बढ़ने और उसके प्रभाव से रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) की मौद्रिक नीति पर भी असर दिखाई देगा। देश में मानसून सामान्य रहने की उम्मीद और आयात कीमतों में नरमी से महंगाई के मोर्चे पर राहत मिल सकती है। वित्त मंत्री ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) और रिजर्व बैंक के अनुमान ‘दुरुस्त’ नजर आते हैं। हालांकि, आरबीआई ने पहले ही महंगाई को लेकर अपने अनुमान को जाहिर किया है।
आर्थिक सर्वेक्षण पेश करते हुए निर्मला सीतारमण ने कहा कि भारत, चीन से विदेशी निवेश से वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में भागीदारी बढ़ा सकता है। सर्वेक्षण में कहा गया है कि भारत की नीतियों ने चुनौतियों का कुशलतापूर्वक सामना किया है, जबकि वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद मूल्य स्थिरता सुनिश्चित की है। आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक पूंजी बाजारों की देश की वृद्धि की गाथा में अब प्रमुख भूमिका बनती जा रही है।
वित्त मंत्री ने आर्थिक सर्वेक्षण पेश करते हुए कहा कि गुणवत्तापूर्ण बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए निजी क्षेत्र से ऊंचा वित्त पोषण का उच्चस्तर और नए स्रोतों से संसाधन जुटाना महत्वपूर्ण होगा। हालांकि, आर्थिक समीक्षा में कृत्रिम मेधा (एआई) का विभिन्न कौशल वाले कर्मचारियों पर पड़ने वाले असर को लेकर काफी अनिश्चितता है। समीक्षा में यह अनुमान जताया गया है कि नए जमाने की प्रौद्योगिकी से उत्पादकता में वृद्धि होगी, लेकिन कुछ क्षेत्रों में रोजगार पर प्रतिकूल असर पड़ सकते हैं।
क्या होता है आर्थिक सर्वेक्षण ?
आर्थिक सर्वेक्षण केंद्र सरकार के द्वारा केंद्रीय बजट से पहले प्रस्तुत किया जाने वाला वार्षिक दस्तावेज है, जिसमें अर्थव्यवस्था की स्थिति की निष्पक्ष समीक्षा होती है। वित्त मंत्रालय में आर्थिक मामलों के विभाग के आर्थिक संभाग के द्वारा इकोनॉमिक सर्वेक्षण तैयार किया जाता है। इसको देश के मुख्य आर्थिक सलाहकार की देख-रेख में तैयार किया जाता है। इसे संसद के दोनों सदनों में पेश किया जाता है। आर्थिक सर्वे में पिछले 12 महीनों में भारतीय अर्थव्यवस्था में हुए डेवलपमेंट का रिव्यू होता है। सर्वे इस बात की भी जानकारी देता है कि इस बार के बजट में क्या उम्मीद की जानी चाहिए।
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