इस समय सोशल मीडिया से लेकर अखबारों और समाचार चैनलों तक में इस बात की बड़ी चर्चा है कैसे एक इशारे पर रातोंरात मुजफ्फरनगर का ‘संगम शुद्ध शाकाहारी होटल’ बन गया ‘सलीम ढाबा।’ ‘मां भवानी जूस कार्नर’ का नाम हो गया ‘फहीम जूस केंद्र।’ ‘टी प्वाइंट’ का नाम हो गया ‘अहमद टी स्टाल।’ ऐसे ही ‘नीलम स्वीट्स’ का मालिक निकला मोहम्मद फजल अहमद। ‘अनमोल कोल्ड ड्रिंक्स’ का मालिक है मोहम्मद कमर आलम। खतौली के ‘चीतल ग्रैंड’ के बाहर एक बोर्ड लग गया है, जिस पर लिखा गया है— शारिक राणा डायरेक्टर। यानी चीतल के मालिक शारिक ने भी अपनी पहचान लोगों को बता दी है।
सहारनपुर में भी हिंदू देवी-देवताओं के नाम पर कई ढाबे हैं। यहां चल रहे ‘जनता वैष्णो ढाबा’ का मालिक है मोहम्मद अनस सिद्दीकी। बरेली में ‘चौधरी स्वीट्स’ के नाम से अहमद मियां मिठाई की एक दुकान चलाता है। एक रिपोर्ट के अुनसार देहरादून-नैनीताल राजमार्ग पर 20 से अधिक ढाबे ऐसे हैं, जो हिन्दू देवी-देवताओं के नाम पर हैं, लेकिन इन्हें चलाने वाले मुसलमान हैं। इन ढाबों के नाम देखिए- श्री खाटू श्याम ढाबा, नीलकण्ठ फैमिली रेस्टोरेंट, हिमालयन ढाबा, सैनी रेस्टोरेंट, पंजाबी ढाबा, न्यू पंजाबी रेस्टोरेंट और शिव ढाबा।
हरिद्वार नजीबाबाद रोड पर चिडियापुर और समीरपुर गंग नहर रोड पर भी ऐसे हिंदू नामधारी ढाबे हैं, जिनके मालिक मुसलमान हैं।
मेरठ, गजरौला, गढ़ मुक्तेश्वर, मूंडपांडे हाईवे पर भी दर्जनों ऐसे ढाबे चल रहे हैं, जिनके मालिक मुसलमान हैं।
धोखा देने के लिए ये लोग होटल के अंदर हिंदू देवी-देवताओं के चित्र भी रखते हैं, ताकि हिंदू यात्रियों को लगे कि वे किसी हिंदू होटल में ही खाना खा रहे हैं। लेकिन जब कोई ग्राहक ऑनलाइन पैसा देता है, तब पता चलता है कि होटल का मालिक कोई शेख है, कोई पठान है, कोई खान है, कोई सलीम है। इन ढाबों और होटलों में काम करने वाले लोगाें के नाम राजू, गुड्डू, सोनू, विक्की जैसे होते हैं। ये लोग तिलक भी लगाते हैं और कलावा भी बांधते हैं।
यह धोखा नहीं तो क्या है।
इसे देखते हुए ही इस वर्ष की कांवड़ यात्रा के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार ने कांवड़ यात्रा मार्ग पर पड़ने वाले सभी दुकानदारों को अपनी चहचान बताने का आदेश दिया। इसके बाद तो राजनीतिक बयानबाजी चरम पर है। लेकिन आम हिंदू इसे ठीक मान रहे हैं। हिंदुओं का कहना है कि जब मुसलमान हलाल प्रमाणपत्र देखकर ही कोई सामान खरीदता है, तब हिंदू भी ऐसा क्यों नहीं कर सकता है!
धोखे का यह धंधा लंबे समय से चल रहा है। जुलाई, 2021 में गाजियाबाद में दो ऐसे मुसलमान दुकानदारों का पता चला था, जो हिंदू नाम से दुकान चला रहे थे। इनमें एक दुकान पुरानी सब्जी मंडी में है, जिसका नाम है ‘न्यू अग्रवाल पनीर भंडार।’ इस दुकान का मालिक है मंजूर अली। दूसरी दुकान ‘लालाजी पनीर भंडार’ के नाम से है। इसका मालिक ताहिर हुसैन है। इन दोनों का कहना था कि हिंदू नाम रखने से ग्राहक कम पूछताछ करते हैं और धंधा अच्छा चलता है। यानी ये धंधे के लिए हिंदुओं के साथ धोखा कर रहे थे। इनकी पोल तब खुली जब कुछ लोगों को पता चला कि इनका जीएसटी नंबर इनके असली नाम से है। स्थानीय दुकानदारों ने इनका विरोध किया तो इन लोगों ने अपनी दुकानों के नाम बदल लिए हैं।
आए दिन ऐसे मुसलमान युवक पकड़े जा रहे हैं, जो भगवा वस्त्र पहनकर साधु वेश में भिक्षा भी मांगते हैं। इसी तरह कुछ मुस्लिम युवा फेसबुक पर हिंदू नाम से सक्रिय हैं और अपने को कभी ब्राह्मण, तो कभी वाल्मीकि बताकर एक—दूसरे के विरुद्ध टिप्पणी करते हैं, ताकि हिंदू जाति के नाम पर एक—दूसरे को गाली देते रहें और आपस में बंटे रहें। गहराई से देखने पर चलता है कि यह सब एक षड्यंत्र के अंतर्गत हो रहा है।
कुछ समय पहले एक वीडियो वायरल हुआ था। इसमें दिख रहा है कि 25—30 साल के भगवा वस्त्रधारी कुछ युवा हिंदू घरों से भिक्षा मांग रहे हैं। ये लोग बहुत ही सफाई से देवी—देवताओं का नाम भी ले रहे हैं। लेकिन इनमें से एक यह बोलता दिख रहा है,’विष्णु माई के नाम पर कुछ दे दो।’ इन शब्दों से कुछ युवाओं को इनके बारे में शंका हुई तो उन्होंने उन सबसे पूछताछ की। पहले तो ये लोग अपने को हिंदू ही बताते रहे, लेकिन जब थोड़ी सख्ती की गई तो सच उगलने लगे। सभी मुसलमान थे।
ऐसे ही राजस्थान का एक वीडियो है। इसमें मौसिम नाम का एक लड़का दिखाई दे रहा है। उसने एक टी शर्ट पहनी है, जिसके अगले हिस्से पर ‘ब्राह्मण’ लिखा हुआ है और फरसे का चित्र भी छपा हुआ है। इस टी शर्ट को पहनकर वह हिंदू मुहल्लों में बेखटके घूमता था और स्कूल या कॉलेज जाने वाली लड़कियों को छेड़ता था। जब छेड़छाड़ की कई घटनाएं हुईं तो कुछ युवाओं ने एक दिन मौसिम को पकड़कर उससे पूछताछ की। वह भी अपने को हिंदू बताता रहा। कड़ाई से पूछने पर उसने भी सच बता दिया।
कुछ समय पहले दिल्ली के मालवीय नगर के पास खिड़की गाँव में एक ऐसे ही धोखे का पता चला था। यहां ‘आर्य समाज मैरिज मंडल’ के बैनर तले लव जिहाद का ‘खेल’ चल रहा था। कुछ मुसलमान वकील इस लव जिहाद के पीछे थे। वे लोग मुसलमान लड़कों द्वारा भगाई गई हिंदू लड़कियों का ‘विवाह’ कराते थे।
ऐसे ही आपने आशु महाराज का नाम सुना होगा। उसका असली नाम आसिफ मोहम्मद खान है। चार साल पहले उसकी धूर्तता पकड़ी गई। कभी साइकिल का पंक्चर लगाने वाले आसिफ मोहम्मद खान ने एक षड्यंत्र के अंतर्गत ज्योतिषी का आधा—अधूरा काम सीखा। इसके बाद वह अपना नाम आशु महाराज रखकर हस्तरेखा देखने का काम करने लगा। सहज और सरल हिंदुओं के भरोसे उसका यह काम चल पड़ा। इसी नाम से उसने हिंदुओं के बीच अपनी पैठ बनाई और कभी हस्तरेखा देखने के नाम पर, तो कभी किसी ग्रह को दूर करने के नाम पर खूब पैसा कमाया। एक जानकारी के अनुसार उसने दिल्ली के रोहिणी, हौजखास जैसे हिंदू इलाकों में मकान—दुकान लेकर अपने रिश्तेदारों को बसाया है। यह भी कहा जा रहा है कि उसने सारी संपत्ति हिंदू नाम से ली है, पर उसका उपभोग मुसलमान कर रहे हैं। हिंदू नाम से मकान—दुकान खरीदने में उसे हिंदू मुहल्ले में कोई दिक्कत नहीं आई। यानी उसने भी अपनी कौम के लिए जिहाद ही किया।
चार साल पहले उसकी असलियत तब सामने आई जब कुछ महिलाओं ने शिकायत की कि उनके साथ आशु महाराज ने बलात्कार किया है। यानी आसिफ खान ने आशु बनकर पहले हिंदुओं को लूटा। लूट के पैसे से ही हिंदुओं की मकान—दुकान खरीदी। हिंदू नाम से ही हिंदू महिलाओं को अपने जाल में फंसाया। जांच से पता चला है कि उसके सारे कागजात जैसे आधार कार्ड, पासपोर्ट और मतदाता पहचानपत्र आदि आसिफ खान के नाम से ही हैं, लेकिन हिंदुओं को धोखा देने के लिए उसने हिंदू नाम का सहारा लिया। इस धोखे के लिए वह इन दिनों जेल में है।
इन घटनाओं से तो यही लगता है कि ये लोग जो कुछ कर रहे हैं, वह मजहबी उन्माद के तहत कर रहे हैं। ऐसा भी कह सकते हैं कि इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए किसी के साथ धोखा करना भी इनके लिए ‘जायज’ है।
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