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RSS की गतिविधियों में शामिल होंगे सरकारी कर्मचारी, 58 साल पहले जारी किया गया असंवैधानिक आदेश वापस

Published by
Sudhir Kumar Pandey

आपातकाल में इंदिरा गांधी सरकार की तानाशाही खुलकर सामने दिखी थी, लेकिन उससे पहले भी तानाशाही कदम उठाए जा रहे थे। मोदी सरकार ने ऐसे ही एक आदेश को वापस लिया है।

58 साल पहले 1966 में असंवैधानिक आदेश जारी किया गया था। इसके तहत सरकारी कर्मचारियों के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की गतिविधियों में भाग लेने पर प्रतिबंध लगाया गया था। मोदी सरकार ने यह आदेश वापस ले लिया है। मूल आदेश को पहले ही पारित नहीं किया जाना चाहिए था।

अब बताते हैं कि यह प्रतिबंध क्यों लगाया गया था। बात है 7 नवंबर 1966 की। भारतीय संसद में गोहत्या के खिलाफ बड़ा विरोध प्रदर्शन हुआ था। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने इसका विरोध किया था। आरएसएस-जनसंघ ने लाखों लोगों का समर्थन जुटाया था। विरोध प्रदर्शन में पुलिस ने निर्दोश लोगों पर गोलीबारी की थीइ। इसमें कई लोग मारे गए।

30 नवंबर 1966 को आरएसएस-जनसंघ के प्रभाव से हिलकर इंदिरा गांधी ने सरकारी कर्मचारियों के आरएसएस में शामिल होने पर प्रतिबंध लगा दिया।

गोलीबारी में सैकड़ों निर्दोष साधु-संत मारे गये थे। इस जघन्य हत्याकांड से क्षुब्ध होकर तत्कालीन गृहमंत्री गुलजारी लाल नंदा ने अपना त्याग पत्र दे दिया था।

इस खबर को छापने की हिम्मत गोरखपुर से छपने वाली आध्यात्मिक पत्रिका ‘कल्याण’ के सिवा किसी अन्य पत्र-पत्रिका ने नहीं दिखायी। ‘कल्याण’ के गौ विशेषांक में इसे विस्तार से प्रकाशित किया गया।

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