नई दिल्ली, (हि.स.)। उत्तर प्रदेश सरकार के कांवड़ यात्रा के रास्ते में दुकानदारों की पहचान जाहिर करने के आदेश के खिलाफ जमीयत उलेमा ए हिंद सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की तैयारी कर रही है। इसके अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि रविवार को कानूनी विशेषज्ञों की एक बैठक बुलाई गई है जिसमें इस आदेश के सभी पहलुओं पर विचार-विमर्श किया जाएगा।
मौलाना ने कहा कि पहले मुजफ़्फ़रनगर प्रशासन की ओर से इस प्रकार का आदेश जारी हुआ लेकिन अब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री का आधिकारिक आदेश सामने आ गया है, जिसमें केवल मुजफ़्फ़रनगर और इसके आसपास ही नहीं बल्कि कांवड़ यात्रा के रास्ते में जितने भी फल-सब्जी विक्रेता, ढाबों और होटलों के मालिक हैं, सबको कहा गया है कि वह अपने नाम का कार्ड अपनी दुकान, ढाबा या होटल पर चिपकाएं। मौलाना मदनी ने कहा कि अब तक हमारे पास ऐसी सूचनाएं पहुंची हैं कि बहुत से ढाबों और होटलों के मैनेजर या मालिक जो मुसलमान थे, कांवड़ यात्रा के दौरान उन्हें काम पर आने से मना कर दिया गया है। ज़ाहिर है कि सरकारी आदेश के उल्लंघन का साहस कौन कर सकता है।
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