प्रदर्शनकारी अफगान सीमा के निकट जमा होकर प्रदर्शन कर रहे थे। वे मांग कर रहे थे कि आतंकवादी बताकर फौज का चाहे जिसे अगवा कर ले जाना गलत है, यह बंद होना चाहिए। लेकिन अचानक पाकिस्तानी फौजी उन पर टूट पड़े और गोलियां चलाने लगे।
पाकिस्तान में पश्तून और सेना एक बार फिर आमने—सामने हैं। पश्तून आबादी ने वहां की बर्बर फौज के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया है। उसने फौज के विरुद्ध सड़कों पर उतरकर तीखा प्रदर्शन करके अपनी नाराजगी व्यक्त की है।
पश्तूनों की इस बगावत को काबू करने के लिए फौज ने गोलियां चला दीं जिससे कई प्रदर्शनकारी मारे गए हैं। अनेक घायल हुए हैं। पश्तूनों की मांग है कि पाकिस्तान की फौज लंबे अरसे से उन पर जैसे अत्याचार करती आ रही है, उसकी सुध ली जाए, ये बंद किया जाए।
पश्तूनों के प्रभाव वाले पूरे क्षेत्र में इस वक्त जबरदस्त तनाव व्याप्त है। फौज वहां गश्त कर रही है और कोशिश कर रही है कि पश्तून बगावत करते हुए सड़कों पर इकट्ठे न हों। लेकिन पाकिस्तान की फौज यह आश्वासन नहीं दे रही है कि वह पश्तूनों पर कहर ढाना बंद करेगी।
पश्तूनों की जबरदस्त बगावत कल अफगान सीमा पर दिखाई दी। पाकिस्तान की फौज के विरुद्ध हजारों की तादाद में पश्तून अफगानी सरहद पर जमा होने लगे और फिर फौज के विरुद्ध जमकर नारेबाजी की गई। पश्तून इलाके में पाकिस्तानी फौज की सैन्य कार्रवाई का विरोध कर रहे हैं।
लेकिन पाकिस्तान की फौज शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे पश्तूनों पर कहर बरपाने से बाज नहीं आई और खुलकर गोलियां चलाने लगी। इस गोलीबारी में सात पश्तूनों के मारे जाने की खबर है, इसके अलावा भी बड़ी संख्या में लोग घायल हुए हैं।
उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान की फौज अफगान सरहद से सटे पश्तून इलाकों में आतंकवाद को खत्म करने के नाम पर आम नागरिकों का दमन कर रह है। फौज की इस कार्रवाई का पश्तूनों ने अनेक बार विरोध किया है, लेकिन उस पर इस्लामाबाद ने कभी कान नहीं दिए। त्रस्त पश्तूनों ने कल सड़क पर उतरकर अपनी आवाज उठाने का फैसला किया।
वे सीमा के निकट जमा होकर नारे लगा रहे थे और बड़े शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे थे। वे मांग कर रहे थे कि आतंकवादी बताकर फौज का चाहे जिसे अगवा कर ले जाना गलत है, यह बंद होना चाहिए। लेकिन अचानक पाकिस्तानी फौजी उन पर टूट पड़े और उन्हें हटाने की गरज से गोलियां चलाने लगे।
पता चला है कि अफगानिस्तान सीमा से 40 किलोमीटर अंदर बन्नू नामक शहर में हुए इस प्रदर्शन में 10,000 से अधिक लोग शामिल हुए थे। उन्होंने हाथ में सफेद झंडे लिए हुए थे और पश्तूनों को शांति से रहने देने के नारे लगा रहे थे।
बन्नू वही क्षेत्र है जहां गत 15 जुलाई को एक फिदायीन हमलावर ने विस्फोटक ले जा रही एक गाड़ी को पाकिस्तानी फौजियों के बीच ले जाकर धमाका कर दिया था। इस घटना में 8 पाकिस्तानी फौजियों की मौत हुई थी।
लेकिन फौज इस घटना से ही, उससे कहीं पहले से पश्तूनों को निशाने पर लिए हुए है। एक पश्तून नागरिक जमालुद्दीन का कहना है कि फौज की यह पश्तून विरोधी कार्रवाई गत 20 साल से ऐसे ही चल रही है। पूरा इलाका अशांत है। उसका कहना है कि फौजी कार्रवाइयों से शांति नहीं आ सकती।
पाकिस्तान सरकार 2024 की शुरुआत में यह ऐलान कर चुकी है कि अफगानिस्तान से लगते पश्तून इलाकों में एक अभियान चलाकर हिंसा को खत्म करेगी। लेकिन इसके लिए फौज ने पश्तून आबादी के साथ पहले कोई बात नहीं की थी, न ही उन्हें इस अभियान के बारे में कुछ बताया गया था। इसके बाद से ही पश्तूनों के विरुद्ध हिंसा बढ़ गई थी।
फौज की इसी दमनपूर्ण कार्रवाई के विरोध में कल जमा हुए पश्तूनों पर उस वक्त गोलियां चलनी शुरू हो गईं जब प्रदर्शन में इकट्ठे हुए कुछ लोग फौजी अड्डे की दीवारों तक जा पहुंचे। कुछ शरारती तत्व फौजी अड्डे की दीवारों पर पत्थर मारने लगे और फौज विरोधी नारे लगाने लगे। इसके बाद फौजियों ने गोलियां चलानी शुरू कर दी। ऐसी भगदड़ मची कि लोग घायल हो गए और सात ने अपनी जान गंवा दी।
प्रदर्शन में शामिल इस सूबे के स्वास्थ्य मंत्री पख्तून यार ने कहा कि फौज ने बेवजह पश्तूनों की भीड़ पर गोलियां चलाईं। उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि जब रैली चल रही थी तब फौजियों ने हवा में नहीं सीधे उनकी तरफ गोलियां चलाईं। ऐसे शांति नहीं आ सकती। पश्तूनों को लहूलुहान करके वे अशांति पैदा करना चाहते हैं। लेकिन अब पश्तून समाज यह सब और नहीं सहेगा, इसका खुलकर विरोध करेगा।
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