बांग्लादेश में मुक्ति आंदोलन से जुड़े परिवारों के लोगों को सरकारी नौकरियों में 30 फीसदी आरक्षण में हो रहे विरोध प्रदर्शनों और दंगों की चपेट में आने से अब तक 50 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। 2500 से अधिक प्रदर्शनकारी बुरी तरह से घायल हुए हैं। इस बीच वहां दंगों के हालात को देखते हुए 245 से भारतीय छात्रों और 13 नेपाली छात्रों समेत 258 लोग पश्चिम बंगाल की सीमा से भारत लौट आए हैं।
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रिपोर्ट के मुताबिक, शु्क्रवार की शाम 5:30 बजे तक 96 छात्र गेदे दर्शना सीमा से होते हुए भारत में दाखिल हुए। इसके बाद रात में भी तकरीबन 150 छात्र भी भारत में प्रवेश कर गए। भारतीय छात्रों के साथ ही नेपाली छात्र भी बांग्लादेश में रह रहे थे। जिन्होंने अपने देश के दूतावास से भारत में प्रवेश करने देने की मदद मांगी। इसके बाद 13 नेपाली छात्र भी भारत की सीमा में प्रवेश कर गए। इसी के साथ भारत आने वाले लोगों की संख्या 500 हो गई है।
उल्लेखनीय है कि इससे पहले गुरुवार को मेघालय में बांग्लादेश से लगती दावकी चेकपोस्ट से 202 भारतीय लोग बांग्लादेश से भारत लौटे थे। इसके अलावा इसी चेकपोस्ट से 101 नेपाली और 7 भूटानी नागरिकों ने भी भारत में प्रवेश किया था। बीएसफ और बांग्लादेश बॉर्डर गार्ड इसको लेकर लगातार काम कर रहे हैं। इस बीच शुक्रवार से कोलकाता और ढाका के बीच चलने वाली मैत्रेयी ट्रेन को हिंसा के कारण रद्द कर दिया गया।
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बांग्लादेश में रहते हैं 15,000 भारतीय
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, बांग्लादेश में रहने वाले भारतीयों की कुल संख्या 15,000 भारतीय लोग रह रहे हैं। इनमें से 8500 छात्र हैं, जो वहां पर स्टडी के लिए गए हुए हैं। जिस तरीके से वहां पर हिंसा लगातार बढ़ रही है, इसको देखते हुए कुछ भारतीय छात्र अब घर वापसी करने लगे हैं। हालात ये हैं कि वहां देशभर में मोबाइल और इंटरनेट कनेक्टिविटी को ठप कर दिया गया है। सभी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को भी बंद कर दिया गया है। वहां की मुख्य विपक्षी पार्टी बीएनपी इस प्रदर्शन का समर्थन कर रही है।
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