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भारत में विद्या भारती के 12,094 विद्यालय

विद्या भारती के अध्यक्ष श्री डी. रामकृष्ण राव ने एक संवाददाता सम्मेलन में विद्या भारती के कार्यों की विस्तृत जानकारी

by WEB DESK
Jul 20, 2024, 02:54 pm IST
in संघ, दिल्ली
पत्रकार वार्ता को संबोधित करते श्री डी. रामकृष्ण राव और अन्य अधिकारी

पत्रकार वार्ता को संबोधित करते श्री डी. रामकृष्ण राव और अन्य अधिकारी

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गत दिनों नई दिल्ली में विद्या भारती के अध्यक्ष श्री डी. रामकृष्ण राव ने एक संवाददाता सम्मेलन में विद्या भारती के कार्यों की विस्तृत जानकारी साझा की। उन्होंने बताया कि गोरखपुर में 1952 में प्रथम सरस्वती शिशु मंदिर प्रारंभ हुआ। वर्तमान में भारत के 682 जिलों में 12,094 औपचारिक विद्यालयों का संचालन किया जा रहा है।

इनमें से लगभग 100 विद्यालय आवासीय हैं। 200 से अधिक सीबीएसई और शेष स्थानीय राज्य शिक्षा बोर्ड से संबद्ध हैं। विद्या भारती पूर्वोत्तर क्षेत्र, जनजातीय क्षेत्रों, महानगरों की सेवा बस्तियों इत्यादि में 8,000 से ज्यादा अनौपचारिक नि:शुल्क शिक्षा केंद्र चला रही है।

संवेदनशील व अशांत क्षेत्रों और मणिपुर में शरणार्थी शिविरों में रह रहे 480 परिवारों के विद्यार्थियों के लिए ‘स्कूल आन व्हील्स’ का नवीन प्रयोग भी किया गया है। सभी विद्यालयों में लगभग 34 लाख छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में विद्या भारती 54 महाविद्यालय तथा एक विश्वविद्यालय भी संचालित करती है। संविधान की 8वीं अनुसूची की 22 भाषाओं में से 20 भाषा माध्यमों में विद्या भारती शिक्षा का कार्य कर रही है।

उन्होंने बताया कि देशभर में 2024 की उच्च विद्यालय मेधा सूची में 2,755 तथा उच्चतर माध्यमिक मेधा सूची में 3,922 छात्रों ने स्थान प्राप्त किया। सिविल सेवा परीक्षा 2023 में 16 पूर्व छात्रों ने स्थान पाया। उन्होंने बताया कि 770 विद्यालयों में ‘अटल टिंकरिंग लैब’ की स्थापना हो चुकी है। उन्होंने बताया कि मिशन चंद्रयान के अग्रणी दल में विद्या भारती के 9 पूर्व छात्रों ने सहभाग किया।

‘मजहबी धोखेबाजों के विरुद्ध हो कार्रवाई’

विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने मांग की है कि हिंदू मंदिरों और तीर्थ स्थल क्षेत्रों से मुस्लिमों की दुकानें बंद होनी चाहिए। विहिप के केंद्रीय महामंत्री श्री बजरंग बागड़ा ने 8 जुलाई को कहा कि हमें अनेक स्थानों से यह जानकारी मिली है कि वहां जो लोग भारत माता की जय या वंदे-मातरम् नहीं बोल सकते और मूर्ति पूजा के विरोधी हैं, वे छद्म नामों से या हिंदू देवी-देवताओं के नामों से या हिंदू आस्था केंद्रों के नाम से हमारे धर्मस्थलों पर प्रसाद व पूजा सामग्री बेच रहे हैं।

देशभर से ऐसी अनेक घटनाएं सामने आई हैं जहां सब्जियों सहित अन्य खाद्य एवं पेय सामग्रियों पर थूक कर पहले उन्हें अपवित्र किया जाता है तत्पश्चात् हिंदू श्रद्धालुओं को बेचा जाता है। इससे हिंदुओं की भावनाएं आहत हो रही हैं। उन्होंने कहा कि देश के अनेक तीर्थों में भगवान के भोग, शृंगार व अर्पण इत्यादि से जुड़ी अनेक वस्तुओं को मुस्लिम समाज के लोग अपवित्र कर बेच रहे हैं, जो कि हिंदू आस्था के साथ खिलवाड़ है, इसे अविलंब रोका जाना जरूरी है।

विश्व हिंदू परिषद सभी राज्य सरकारों से मांग करती है कि वे हिंदू मंदिरों व धर्मस्थलों की पवित्रता को बनाए रखने हेतु मजहबी धोखेबाजों के विरुद्ध तुरंत प्रभावी कदम उठाएं जिससे समाज की आस्था व विश्वास को किसी प्रकार की क्षति न पहुंचे। साथ ही हम हिंदू समाज से भी अपील करते हैं कि ऐसे धर्म-द्रोहियों से सावधान रह कर उन्हें बेनकाब करें और स्थानीय शासन-प्रशासन को समय पर सूचित करें। 

डॉ. मुखर्जी के आदर्शों पर चलने का संकल्प

गत जुलाई को भारतीय जनसंघ के संस्थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के 123वें जन्मदिवस पर एक आनलाइन विचार गोष्ठी आयोजित हुई। इस अवसर पर केंद्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि देश में समान आचार संहिता लागू करना ही डॉ. मुखर्जी को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

हमें विश्वास है कि प्रधानमंत्री मोदी अनुच्छेद 370 की समाप्ति के बाद इस पुनीत कार्य को पूर्ण करके इतिहास रचेंगे। आर्य समाज समान आचार संहिता का पुरजोर समर्थन करता है।

एक देश में एक समान कानून लागू होने ही चाहिए। उन्होंने कहा कि डॉ. मुखर्जी अखंड भारत के स्वप्नद्रष्टा थे। उन्होंने राष्ट्र को यह संदेश दिया कि एक देश में दो प्रधान, दो विधान, दो निशान नहीं चलेंगे।

वे जम्मू-कश्मीर को भारत का अविभाज्य अंग बनाने के लिए बलिदान हो गए। एक अन्य वक्ता ओम सपरा ने कहा कि आज डॉ. मुखर्जी के आदर्शों पर चलने की आवश्यकता है तभी हम राष्ट्रीय एकता अखंडता को मजबूत रख सकते हैं।

Topics: डॉ. मुखर्जी अखंड भारत के स्वप्नद्रष्टासरस्वती शिशु मंदिरविद्या भारतीSaraswati Shishu MandirVidya Bharatiविश्व हिंदू परिषद (विहिप)मिशन चंद्रयानMission Chandrayaan
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