असम में बाल विवाह के खिलाफ बड़ा कदम उठाया गया है। राज्य सरकार ने प्रदेश में मुस्लिम विवाह कानून को रद्द कर दिया है। सरमा मंत्रिमंडल ने असम मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम एवं नियम 1935 के पूरी तरह से निरस्त करने के लिए उस विधेयक को मंजूरी दे दी है।
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ये वो विधेयक है जो कि कम उम्र में विवाह करने की अनुमति देता है। मुख्यमंत्री हिमंता बिस्व सरमा ने कहा कि हमने बाल विवाह के खिलाफ अतिरिक्त सुरक्षा उपाय करके अपनी बेटियों और बहनों के लिए न्याय सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। असम कैबिनेट की बैठक में हमने ‘असम निरसन विधेयक 2024’ के माध्यम से असम मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम और नियम 1935 को निरस्त करने का निर्णय लिया है।
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राज्य सरकार ने बताया कि अब इस विधेयक को मानसून सत्र में विधानसभा में पेश किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि इसी साल की शुरुआत में प्रदेश मंत्रिमंडल ने मुस्लिम विवाह अधिनियम को खत्म करने के लिए मंजूरी दे दी थी। सीएम सरमा ने बताया है कि उन्होंने अपने मंत्रिमंडल को ये निर्देश दिया है कि असम में मुस्लिम विवाहों के रजिस्ट्रेशन के लिए उपयुक्त कानून लाया जाय, जिस पर विधानसभा के अगले सत्र में इसको लेकर विचार किया जाएगा। बता दें कि मंत्रिमंडल में राज्य में बाल विवाह के सामाजिक खतरे को समाप्त करने के लिए 23 फरवरी को इस अधिनियम को निरस्त करने के निर्णय को मंजूरी दे दी थी।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री हिमंता बिस्व सरमा शुरू से मुस्लिम समुदाय में फैली कुरीतियों को समाप्त करने पर जोर देते रहे हैं। उन्होंने प्रदेश में कई मदरसों को भी बंद कर उन्हें रेगुलर स्कूलों में बदल दिया था।
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