पाञ्चजन्य के “सुशासन संवाद: छत्तीसगढ़” कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार श्री प्रखर श्रीवास्तव ने नक्सलवाद विषय पर बात करते हुए कहा, “हम आतंकवाद पीड़ित देश में गिने जाते हैं. टीवी न्यूज चैनल पर नक्सलवाद की खबर बहुत कम दिखाई दी जाती है. नक्सलवाद की मूल जड़ को सामने लाना जरुरी है. पिछले 6 महीने में नक्सलियों पर नकेल कसी गई है. केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा 2 साल में नक्सलवाद को खत्म करने की बात की तरफ छत्तीसगढ़ आगे बढ़ रहा है. पुलिस और सुरक्षा बल अंदर तक के गांवों में जा रहे हैं और पहुंच बना रहे हैं. पिछले 6 महीनों में 100 से ज्यादा एनकाउंटर के साथ-साथ 800 नक्सली सरेंडर कर चुके हैं.”
बाल अधिकार कार्यकर्ता एवं अधिवक्ता श्री भुवन ऋभु ने छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद की वजह से बच्चों और महिलाओं की सुरक्षा और अधिकारों के हो रहे हनन पर कहा, “मैं नक्सलवाद को आतंकवाद से अलग रूप से नहीं देखता. अगर हिंसा का सहारा लेकर विचारधारा को बढ़ाने की कोशिश की जा रही रही है और एक बड़ी संख्या को डराकर विकास से दूर रखा जा रहा है, तो ये आतंकवाद है. नक्सलवाद का विचार भी अगर विकास और कानून-व्यवस्था को अपना काम करने से रोक रहा है, तो ये आतंकवाद है.
नक्सलवाद की वजह से छोटी उम्र की लड़कियों पर हुए अत्याचारों पर प्रकाश डालते हुए श्री ऋभु ने कहा, कम उम्र की बच्चियों को जबरन उठा लिया गया और नक्सली कैंप भेज दिया गया. इस डर की वजह से लोगों ने बच्चियों की सुरक्षा के लिए उन्हें बाहर भेजने का रास्ता चुना. 10-15 साल पहले एक दौर ऐसा आया, जब बच्चियों को घरेलू काम के लिए प्लेसमेंट एजेंसियों की बाढ़ आ गई और छत्तीसगढ़ की लड़किया पूरे देश में सप्लाई होने लगी.
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