कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने हाल ही में राज्य में निजी नौकरियों में 100% आरक्षण की घोषणा की थी, जिसने काफी विवाद खड़ा किया। इस घोषणा के बाद, उन्होंने अचानक से इस पर यू-टर्न लेते हुए संबंधित पोस्ट को हटा लिया। आइए इस घटनाक्रम को विस्तार से समझते हैं।
घोषणा और विवाद
सिद्धारमैया ने कर्नाटक में निजी क्षेत्र की नौकरियों में 100% आरक्षण की योजना की घोषणा की थी। इस कदम का उद्देश्य राज्य के निवासियों को रोजगार के अधिक अवसर प्रदान करना था। लेकिन इस घोषणा ने तुरंत ही बड़े पैमाने पर विवाद उत्पन्न कर दिया। आलोचकों का कहना था कि यह कदम संविधान के खिलाफ है और इससे राज्य में निवेश पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
उद्योग और व्यापार समुदाय की प्रतिक्रिया
उद्योग और व्यापार समुदाय ने इस घोषणा पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने चिंता जताई कि इस तरह के आरक्षण से योग्य उम्मीदवारों की कमी हो सकती है और इससे प्रतिस्पर्धा पर असर पड़ेगा। इसके अलावा, यह कदम अन्य राज्यों के निवासियों के लिए भेदभावपूर्ण माना गया।
राजनीतिक प्रतिक्रिया
राजनीतिक प्रतिक्रिया भी मिलीजुली रही। जबकि कुछ ने सिद्धारमैया के कदम का समर्थन किया, कई विपक्षी नेताओं ने इसे एक अलोकतांत्रिक और अव्यावहारिक निर्णय करार दिया। उनके अनुसार, इस तरह के आरक्षण से राज्य की प्रगति रुक सकती है और इससे राज्य में आर्थिक संकट पैदा हो सकता है।
यू-टर्न और पोस्ट हटाना
विवाद बढ़ने के बाद, सिद्धारमैया ने इस मुद्दे पर यू-टर्न लिया और अपनी घोषणा से संबंधित पोस्ट को हटा लिया। उनके कार्यालय ने इस बात की पुष्टि की कि सरकार इस मुद्दे पर पुनर्विचार कर रही है और एक सर्वसमावेशी नीति बनाने पर काम कर रही है।
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