अजमेर, (हि.स.)। अजमेर दरगाह के बाहर नूपुर शर्मा के खिलाफ भीड़ में ‘सर तन से जुदा’ के नारे लगाने के मामले में मंगलवार को फैसला आया। खादिम सहित सभी छह आरोपियों को एडीजे-4 कोर्ट ने बरी कर दिया है। पूरे प्रकरण को लेकर दो साल से कोर्ट में ट्रायल चल रहा था। इस दौरान 22 गवाह और 32 दस्तावेज पेश किए गए थे। सरकारी वकील गुलाम नजमी फारूकी ने बताया कि जून 2022 में दरगाह की सीढ़ियों पर ‘सर तन से जुदा’ के नारे लगाए गए थे। मामले में खादिम गौहर चिश्ती, अजमेर के रहने वाले ताजिम सिद्दीकी (31) पुत्र नईम खान, फखर जमाली (42) पुत्र सैयद मोहम्मद जुबैर जमाली, रियाज हसन दल (47) पुत्र हसन, मोईन खान (48) पुत्र स्व. शमसुद्दीन खान, नासिर खान (45) आरोपित थे। जज रितु मीणा की कोर्ट ने सभी को बरी कर दिया है।
इस मामले में एक आरोपी अहसानुल्लाह फरार है। उस पर कोई फैसला नहीं सुनाया गया है। दरगाह थाने में जून 2023 मुकदमा दर्ज किया गया था। कोर्ट ने दोपहर करीब पौने एक बजे अपना फैसला सुनाया। सरकारी वकील गुलाम नजमी फारूकी ने बताया कि कोर्ट ने पूरा जजमेंट आउट नहीं किया है। वर्तमान में सिर्फ अनाउंस किया है, जिसमें सभी छह आरोपियों को सभी धाराओं में बरी कर दिया गया है। सरकारी वकील का कहना है कि पूरा जजमेंट देखने के बाद हाईकोर्ट में अपील करेंगे। मामले में फरार सातवें आरोपित अहसानुल्लाह पर कोई फैसला नहीं आया है। आरोपित पक्ष के वकील अजय वर्मा ने बताया कि कोर्ट में आज सभी को बरी कर दिया गया है। जो भी वीडियो भड़काऊ नारे के सामने आए थे, उनका सत्यापन नहीं हो पाया। पुलिस ने मौके का नक्शा नहीं बनाया और जो पुलिसकर्मी मौके पर मौजूद थे। वे भी अपनी मौजूदगी के दस्तावेज पेश नहीं कर पाए। कोर्ट ने पर्याप्त साक्ष्य नहीं होने पर सभी आरोपियों को बरी कर दिया। मंगलवार को फैसले को देखते हुए कोर्ट के बाहर सुरक्षा के पुख्ता बंदोबस्त किए गए थे। बिना चेकिंग के कोर्ट के अंदर किसी को भी जाने की अनुमति नहीं थी।
अजमेर उत्तर पुलिस उपाधीक्षक रूद्रप्रकाश शर्मा सहित सिविल लाइन थाना प्रभारी छोटू लाल फोर्स के साथ निगरानी कर रहे थे। मुख्य आरोपित गौहर चिश्ती को हाई सिक्योरिटी जेल से कड़ी सुरक्षा में हथियारबंद जवान दोपहर साढ़े 12 बजे कोर्ट लेकर पहुंचे थे। इसके बाद पौने एक बजे फैसला आया। 17 जून 2023 को कॉन्स्टेबल जयनारायण जाट ने रिपोर्ट दर्ज करवाई थी। रिपोर्ट में बताया था कि 17 जून 2023 को दोपहर करीब 3 बजे उनकी ड्यूटी निजाम गेट पर थी। उस दौरान मौन जुलूस निकाला जा रहा था। तब प्री-प्लान तरीके से खादिम सहित कुछ लोगों ने नारे लगाने शुरू कर दिए थे। उन्होंने रिक्शे पर लाउड स्पीकर लगाकर सर तन से जुदा के नारे लगाए थे। उस दौरान 2500-3000 लोगों की भीड़ दरगाह के सामने थी। खादिम गौहर चिश्ती को मौन जुलूस से पहले समझाया भी गया था। इसके बाद भी भड़काऊ नारे लगाए गए। ऐसे में उस पर धार्मिक स्थल से हिंसा के लिए भीड़ को उकसाने और हत्या की अपील करने का मामला दर्ज किया गया था।
सरकारी वकील गुलाम नजमी फारूकी ने बताया- इस पूरे प्रकरण का एक वीडियो भी सामने आया था। वीडियो के आधार पर पहले अजमेर के रहने वाले चार आरोपितों ताजिम सिद्दीकी, फखर जमाली, रियाज हसन दल, मोईन खान, नासिर खान को गिरफ्तार किया गया था। सरकारी वकील ने बताया- मौन जुलूस के दौरान भड़काऊ भाषण देने के बाद खादिम गौहर चिश्ती फरार हो गया था। उसे हैदराबाद में अहसानुल्लाह ने शरण दी थी। पुलिस ने 15 जुलाई 2022 को गौहर चिश्ती और अहसानुल्लाह दोनों को पकड़ लिया था। इसके बाद अहसानुल्लाह को जमानत पर रिहा किया गया था। जांच अधिकारी दलबीर सिंह के बयान के बाद अहसानुल्लाह फरार हो गया। कोर्ट ने इसे 12 मार्च 2024 को फरार घोषित कर दिया था।
उदयपुर के कन्हैयालाल हत्याकांड की जांच में जुटी एनआईए ने अजमेर दरगाह के खादिम गौहर चिश्ती को रडार पर लिया था। भड़काऊ भाषण व नारेबाजी के बाद खादिम गौहर चिश्ती ने उदयपुर यात्रा की थी। पुलिस के गुप्तचर शाखा से अधिकारियों ने गौहर की गतिविधियों के बारे में फीडबैक लिया था। इसके साथ ही गौहर की कुछ पुरानी संदिग्ध फोटो भी सामने आई थी, जिसमें गौहर चिश्ती सीआरपीएफ परिसर का वीडियो बनाते हुए दिख रहा था। हालांकि गौहर चिश्ती से पूछताछ में कुछ भी काम की जानकारी सामने नहीं आई थी।
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