अमेरिका में चुनावी रैलियाँ चल रही हैं और इसी क्रम में ट्रम्प और जो बाइडेन दोनों ही रैली कर रहे हैं। मीडिया अपने हिसाब से कवरेज कर रहा है और अपने हिसाब से कयास आदि लगा रहा है और ट्रम्प के प्रति दूसरे प्रकार का प्रचार कर रहा है। वहीं जब डोनाल्ड ट्रम्प पर जानलेवा हमला हुआ और वे उसमें बाल-बाल बचे तो उसकी कवरेज भी इस प्रकार की है, कि उसमें हमलावर के प्रति सहानुभूति हो या फिर यह न पता चले कि ट्रम्प पर जानलेवा हमला हुआ था।
भारत में टाइम्स ऑफ इंडिया ने तो इस घटना को लेकर हैरान करने वाला शीर्षक दिया है। इसने लिखा है कि “डोनाल्ड ट्रम्प डेथ”
यह शीर्षक किसलिए है, यह समझ में नहीं आ रहा है। अमेरिकी मीडिया ने भी ऐसे ही शीर्षक डोनाल्ड ट्रम्प के संबंधित समाचारों को दिए हैं। पूरे विश्व में मीडिया की निष्पक्षता के मापदंडों पर बात करने वाले अमेरिकी मीडिया की कलई उस कवरेज से खुल गई है, जो उसने डोनाल्ड ट्रम्प की हत्या के प्रयास की करी है। पूरी तरह से एकतरफा और इस अपराध की गंभीरता को कम करने वाली कवरेज।
संडे डेनवर पोस्ट ने लिखा है कि “गनमैन डाइज़ इन अटैक” अर्थात हमले में बंदूकधारी मारा गया। इस शीर्षक में जो तस्वीर है, वह वही तस्वीर है जब ट्रम्प पर हमला हुआ था और गोली उनका कान छूते हुए निकल गई थी और उसके बाद उन्हें सुरक्षाकर्मियों ने घेर लिया था। ट्रम्प ने अपना हाथ उठाते हुए हमलों से न डरने की बात की थी।
Credibility of 🇺🇸American Media pic.twitter.com/bLdXiVDucx
— Rishi Bagree (@rishibagree) July 14, 2024
न्यूयॉर्क टाइम्स के एडिटोरीयल का एक पन्ना भी सोशल मीडिया पर वायरल है, जिसमें पूरे पृष्ठ पर लिखा है कि “He failed the tests of leadership and betrayed America. Voters must reject him in November. Donald Trump is unfit to lead!”
डोनाल्ड ट्रम्प कम्युनिस्ट मीडिया के निशाने पर रहते हैं। आज से नहीं बल्कि हमेशा से ही। डोनाल्ड ट्रम्प को लोकतंत्र का हत्यारा आदि कहकर मीडिया में संबोधित किया जाता रहा है, मगर जिस प्रकार से उनके साथ सोशल मीडिया पर व्यवहार हुआ, उनकी आईडी आदि को प्रतिबंधित किया गया, मीडिया में उनके खिलाफ अभियान चलाए गए, और डोनाल्ड ट्रम्प के प्रति असामान्य व्यवहार किया गया, और वह भी मीडिया के द्वारा जिससे यह अपेक्षा की जाती है कि वह हर पक्ष को समानता के साथ प्रस्तुत करेगा।
यह भी नहीं भूला जा सकता है कि कैसे वर्ष 2017 में हुए चुनावों को लेकर कैसे मीडिया में ट्रम्प की पत्नी की उस समय की तस्वीरें तैरने लगी थी, जो उन्होनें अपने मौडलिंग के कैरियर के दौरान खिंचवाई थीं। यह अमेरिकी मीडिया का रवैया ट्रम्प के विषय में आरंभ से रहा था और जब से जो बाइडेन राष्ट्रपति बने थे उसके बाद तो ट्रम्प के साथ और भी सौतेला व्यवहार किया जाने लगा था। ट्रम्प की हत्या के प्रयास के बाद की खबरों में यह सौतेलापन और भी स्पष्ट दिख रहा है, जैसे वाशिंगटन टाइम्स ने लिखा “ट्रम्प एस्कोरटेड अवै आफ्टर लाउड नॉइज़ एट पीए रैली” अर्थात पेंसिल्वेनिया रैली में तेज आवाज के बाद ट्रम्प को बचाया गया।“
ट्रम्प पर गोली के हमले को तेज आवाज कहा गया है।
इसके साथ ही एमएसएनबीसी की रिपोर्ट ने शीर्षक दिया कि पेन्सिलवेनिया की रौली में जोरदार आवाजों के बाद ट्रम्प को मंच से उतारा गया
कम्युनिस्ट मीडिया में ट्रम्प को लेकर जो घृणा है, उसे इस हमले के कवरेज में छिपाने का भी प्रयास नहीं किया गया है। सोशल मीडिया पर भी यही हावी रहा था।
कई कथित पत्रकारों ने इस असफल हमले पर निराशा व्यक्त की
This is a journalist for Seattle based news site @TheStranger pic.twitter.com/pkr3veJLrq
— Libs of TikTok (@libsoftiktok) July 14, 2024
इंडीस्टार ने शीर्षक दिया कि ट्रम्प को तेज आवाजों के बाद मंच से सीक्रेट सर्विस वालों ने हटाया
And here is the leftist rag @indystar “loud noises”.
However much you hate the mainstream media, you don’t hate them enough. pic.twitter.com/6cBFSILX5Q
— Courage Is A Habit (@CourageHabit) July 14, 2024
एबीसी न्यूज़ ने लिखा कि “भीड़ में से तेज आवाजें आने के बाद सीक्रेट सर्विस ने डोनाल्ड ट्रम्प को मंच से हटाया”
ऐसे कई वीडियो भी एक्स पर वायरल हो रहे हैं, जिनमें कम्युनिस्ट और वोक लोगों का इस बात पर रोना जारी है कि कैसे डोनाल्ड ट्रम्प पर चलाया गया निशाना चूक गया।
वहीं न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा कि “डोनाल्ड ट्रम्प रैली में बंदूक जैसी आवाज से सुरक्षित हैं!”
13 जुलाई को शाम को चुनावी रैली में डोनाल्ड ट्रम्प पर गोली चलाई गई थी और वह गोली उनके कान को छूते हुए निकल गई थी। और जिस प्रकार से निशाना मिस हुआ है, उसे लेकर अमेरिका में ट्रम्प विरोधियों के मन में गुस्सा है। कई लोगों ने ऐसे पोस्ट भी किए थे, मगर शिकायत करने पर या तो उन्होनें अपना अकाउंट डिलीट कर दिया या फिर पोस्ट डिलीट किया। मगर यह बहुत हैरानी वाली बात है कि पूरी दुनिया को कथित सहिष्णुता का पाठ पढ़ाने वाला अमेरिकी मीडिया अपने ही देश के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार और पूर्व राष्ट्रपति के प्रति कितना सहिष्णु है, यह डोनाल्ड ट्रम्प पर हुए हमले और उसके बाद की कवरेज और तमाम शीर्षकों से दिख रहा है।
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