असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने सोमवार (15 जुलाई 2024) को नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) को लेकर महत्वपूर्ण जानकारी दी। उन्होंने बताया कि नियमों के अधिसूचित होने के चार महीने बाद राज्य में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के तहत केवल आठ लोगों ने नागरिकता के लिए आवेदन किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कैसे सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों ने लोगों को डराने की कोशिश की। संशोधित कानून के तहत 50 लाख तक अवैध अप्रवासियों को नागरिकता मिल सकती है।
हिमंत बिस्वा सरमा ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “सीएए के तहत केवल आठ लोगों ने नागरिकता के लिए आवेदन किया है। उनमें से भी केवल दो ही साक्षात्कार के लिए आए हैं।” उन्होंने अपनी बात को जारी रखते हुए आगे कहा कि इससे स्पष्ट हो गया है कि बंगाली हिंदू समुदाय के जो सदस्य नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस (एनआरसी) में शामिल नहीं हैं, वे नागरिकता के लिए सीएए के तहत आवेदन नहीं करेंगे।
मुख्यमंत्री ने असम में नागरिकता के लिए कट-ऑफ वर्ष का जिक्र करते हुए कहा कि वो कहते हैं कि वे 1971 से पहले भारत आए थे। असम ने सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस (एनसीआर) का काम करवाया, जिसकी सूची 2019 में जारी की गई। करीब 19 लाख लोगों के नाम एनआरसी की अपडेटेड सूची में नहीं थे, जो उनकी नागरिकता साबित करती है। सरमा ने कहा, “मैंने कई लोगों से मुलाकात की है, वे हमें बता रहे हैं कि हम अपनी भारतीय नागरिकता के बारे में आश्वस्त हैं, हम इसे अदालत में साबित करना चाहते हैं। असम में लोगों के बीच यही आम भावना है।”
क्या असम में विदेशी न्यायाधिकरणों में मामले वापस लिए जाएंगे, इस सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि मामलों को कुछ महीनों के लिए रोकना पड़ सकता है। विदेशी न्यायाधिकरण में कार्यवाही को दो-तीन महीने के लिए रोक दिया जाना चाहिए और लोगों को सीएए के तहत नागरिकता के लिए आवेदन करने का मौका दिया जाना चाहिए।
सरमा ने यह भी कहा कि कोई भी व्यक्ति (सीएए के अनुसार) जो 2015 से पहले भारत आया है, उसे नागरिकता के लिए आवेदन करने का पहला अधिकार है। अगर वे आवेदन नहीं करते हैं, तो हम उनके खिलाफ मामला दर्ज करेंगे। इसलिए यह एक वैधानिक निर्देश है। हम 2015 के बाद आए लोगों को निर्वासित करेंगे। सरमा ने विदेशी न्यायाधिकरणों में हिंदू बंगालियों के खिलाफ मामलों को वापस लेने की खबरों को भ्रामक बताया।
असम में सीएए के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन पर मुख्यमंत्री ने कहा कि सीएए विरोधी प्रदर्शनों का नेतृत्व करने वाले लोगों ने आंकड़े दिए हैं कि 30 लाख और 50 लाख अवैध अप्रवासी कानून से नागरिकता प्राप्त करेंगे, लेकिन अब संख्या देखें। उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में 2019 में सीएए विरोधी प्रदर्शनों के दौरान मारे गए पांच लोगों की मौत का भी जिक्र किया।
बता दें कि असम में नागरिकता एक संवेदनशील मुद्दा है। यहां दशकों से बाहरी लोगों के खिलाफ आंदोलन देखने को मिल रहा है। वर्ष 2019 में असम में बड़े पैमाने पर सीएए विरोधी आंदोलन हुआ था, जिसमें पांच लोग मारे गए थे। केंद्र सरकार पड़ोसी देशों में सताए गए अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने में तेजी लाने के लिए सीएए कानून लेकर आई है। राज्य में हिंदू बंगालियों की एक बड़ी आबादी है, जो इतिहास के अलग-अलग दौर में यहां पर आकर बस गए हैं। असम में बांग्लादेश से बंगाली मुसलमानों का बड़े पैमाने पर अवैध प्रवास भी देखा गया है।
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