ओली ने राष्ट्रपति को अपने समर्थक नेपाली कांग्रेस के 88 और यूएमएल के 78 सांसदों यानी 166 सांसदों के हस्ताक्षर सहित दावा पत्र सामने रखा। नेपाल की ससंद में 275 सीटें हैं, इनमें सरकार बनाने के लिए 138 सांसदों का समर्थन चाहिए होता है।
प्रचंड अब फिर एक बार सत्ता से बाहर हो गए। अभी कुछ महीने पहले ही तो काठमांडू में बड़े बड़े इरादों और घोषणाओं के साथ कुर्सी पर बैठे थे निवर्तमान प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल उर्फ प्रचंड। जिन कम्युनिस्ट नेता केपी शर्मा ओली ने इसके लिए उन्हें समर्थन और मंत्री दिए थे उन्हीं ने पैर के नीचे से चादर खींच ली। 12 जुलाई को प्रचंड संसद में अपना बहुमत साबित नहीं कर पाए। उन्होंने त्यागपत्र सौंप दिया। राष्ट्रपति पौडेल ने सभी राजनीतिक दलों का आह्वान किया कि आएं और नई सरकार बनाएं।
72 साल के ओली और उनके नए गठबंधन में सहयोगी पार्टी नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा वरिष्ठ नेताओं के साथ राष्ट्रपति से मिले और नई सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया। ओली ने राष्ट्रपति को अपने समर्थक नेपाली कांग्रेस के 88 और यूएमएल के 78 सांसदों यानी 166 सांसदों के हस्ताक्षर सहित दावा पत्र सामने रखा। नेपाल की ससंद में 275 सीटें हैं, इनमें सरकार बनाने के लिए 138 सांसदों का समर्थन चाहिए होता है। राष्ट्रपति ने फौरन ओली को न्योता दे दिया कि आएं और सरकार बनाएं।
और आज राष्ट्रपति से प्रधानमंत्री पद की शपथ लेकर नई सरकार बना ली। प्रचंड सरकार के पूर्व सहयोगी नेपाली कांग्रेस ने इसमें ओली की पार्टी का सहयोग किया। काठमांडू में राष्ट्रपति कार्यालय में एक सादा समारोह हुआ और ओली को प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलाई गई। राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने उनको पद और गोपनीयता की शपथ खिलाई। 72 साल के ओली पहली बार नहीं, चौथी बार देश के प्रधानमंत्री बने हैं।
नेपाल में राजनीति एक बार फिर दोराहे पर है। एक बार फिर वहां उथल—पुथल का दौर शुरू हुआ है, क्योंकि नई ओली सरकार के लंबे टिके रहने की विशेषज्ञों को उम्मीद कम ही है। सरकार में प्रधानमंत्री के नाते केपी शर्मा ओली बचे 3 साल के कार्यकाल में पहले डेढ़ साल कुर्सी पर बैठेंगे। फिर नेपाली कांग्रेस का नेता इस कुर्सी को संभालेगा, अगर वह समय आया तो। नेपाल के सच्चे हित चिंतक एक बार फिर विश्व के एकमात्र पूर्व घोषित हिन्दू राष्ट्र की इस नाजुक परिस्थिति को देख दुखी हैं।
ओली के कुर्सी संभालने के बाद, पड़ोसी के नाते भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केपी शर्मा ओली को शुभकामनाएं दीं। दोनों नेताओं ने अपने देशों के बीच दोस्ती को और पुख्ता करने की बात की, आपसी सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की। दोनों नेताओं ने आशा व्यक्त की कि ओली भारत को अपने मित्र के नाते देखते हुए संबंधों को और प्रगाढ़ करेंगे और साझा हितों पर गौर करेंगे।
लेकिन ओली का रिकार्ड उन्हें चीन की तरफ झुका बताता है। पहले भी जब ओली नेपाल में प्रधानमंत्री रहे हैं तब उस दौरान नेपाल-भारत संबंधों खिंचे—खिंचे रहे हैं। ओली को लेकर यह बात भी खूब सुनने में आई थी कि काठमांडू में कम्युनिस्ट यह अफवाह उड़ा रहे हैं कि भारत नेपाल के अंदर विषयों में दखल देता है और चाहता है कि ओली प्रधानमंत्री की कुर्सी पर न रहें।
अब इस नए कार्यकाल में ओली भारत के प्रति किस नजरिए से देखेंगे और उस देश के विकास में भारत का कितना सहयोग लेंगे, यह देखना दिलचस्प होगा। विशेषज्ञ इस बार पर भी बारीकी से नजर रख रहे हैं कि ओली बीजिंग कब जाते हैं और वहां से क्या ‘घुट्टी’ पीकर आते हैं!
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