‘मस्जिद है या शिवाला सच बता ही देंगे, पूछेगी जब अदालत पत्थर गवाही देंगे’ गीतकार मनोज मुंतशिर की कविता की ये लाइन वैसे तो ज्ञानवापी मामले के लिए लिखी गई थी। लेकिन, मध्य प्रदेश के धार स्थित ऐतिहासिक भोजशाला के सर्वे को लेकर भी ये बात बिल्कुल फिट बैठ रही है। ऐसा इसलिए क्योंकि, ASI ने अपनी 2000 से अधिक पन्नों की रिपोर्ट को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर पीठ को सौंप दिया है।
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इसकी जानकारी देते हुए एएसआई के वकील हिमांशु जोशी ने कहा कि मैंने रिपोर्ट सौंप दी है। अब इस मामले पर 22 जुलाई को हाई कोर्ट सुनवाई करेगा। उल्लेखनीय है कि 4 जुलाई को हाई कोर्ट ने एएसआई को आदेश दिया था कि वो 15 जुलाई तक रिपोर्ट पेश करने को कहा था। बता दें कि इस सर्वे की शुरुआत 22 मार्च से इस विवादित परिसर का सर्वेक्षण शुरू किया था, जो हाल ही खत्म हुआ था।
सर्वे में क्या-क्या मिला
जानकारी के मुताबिक एएसआई की टीम को सर्वे के दौरान मूर्तिकला के टुकड़े और मूर्तिकला चित्रण के साथ वास्तुशिल्प सदस्य देखे गए। खंभों पर शेर, हाथी, घोड़ा, कुत्ता, बंदर, सांप, कछुआ, हंस की आकृति उकेरी गई है। खिड़कियों, खंभों और प्रयुक्त बीमों पर चार सशस्त्र देवताओं की मूर्तियां उकेरी गई थीं। एएसआई को यहां गणेश, ब्रह्मा, नृसिंह, भैरव, देवी-देवता, मानव और पशु आकृतियां मिली हैं।
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उल्लेखनीय है कि ASI के 2000 पन्ने की रिपोर्ट में हिन्दू मंदिर होने का खुलासा हो चुका है। सर्वे के दौरान जांच टीम को 94वे मूर्तियां मिली हैं। 1700 से ज्यादा अवशेष और ठोस प्रमाण मिले हैं। 98 दिनों तक चले एएसआई सर्वे में ये खुलासा हुआ है।
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