हाल ही में मुजफ्फरपुर में जो घटना सामने आई है, वह बहुत ही चिंताजनक है। मुजफ्फरपुर का स्वर्णिम इतिहास रहा है। स्वतंत्रता आंदोलन में सबसे कम उम्र में फांसी के फंदे को चूमने वाले खुदीराम बोस ने अपने प्रणोत्सर्ग यहीं किए थे। चंपारण सत्याग्रह की व्यूह-रचना मुजफ्फरपुर में ही की गई थी। आचार्य कृपलानी की यह कर्मस्थली थी। प्रख्यात समाजवादी नेता जॉर्ज फर्नांडीस यहां से सांसद चुने जाते थे। एक समय यह उत्तर बिहार की राजधानी हुआ करती थी। बड़े पैमाने पर सूत का कारोबार हुआ करता था। अब इस मुजफ्फरपुर में एक ग्रहण लग गया है। समाज और देश के लिए प्राणोत्सर्ग की प्रेरणा देने वाला मुजफ्फरपुर अब तेजी से यौन अपराधों की राजधानी में बदलता जा रहा है।
मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड की स्मृति धुंधली भी नहीं पड़ी थी कि एक और भयावह घटना सामने आ गई। 180 बेरोजगार लड़कियों और महिलाओं को नौकरी का लालच दिया गया। उसके बाद उनके साथ मारपीट, बलात्कार और यातना की गई। कई लड़कियों को बंधक बना लिया गया। उनके साथ जबरन यौन संबंध बनाए गए और जिन्होंने विरोध किया उन्हें क्रूर परिणाम भुगतने पड़े। गत 20 जून को पुलिस छापेमारी के दौरान इस रैकेट का खुलासा हुआ। कुछ लड़कियों को पदोन्नति के नाम पर दूसरी जगह भी भेज दिया जाता था।
यह घृणित कार्य डीबीआर कंपनी से जुड़े लोगों ने किया है। इस कंपनी की कहानी भी अजीब है। कंपनी का उत्पाद कुछ विशेष नहीं है, लेकिन प्रत्येक वर्ष करोड़ों का कारोबार करती है। कंपनी का लाभ कुछ नहीं है, लेकिन हर महीने लाखों रुपए का वेतन बांटती है। कंपनी के निशाने पर किशोर और नए युवक-युवतियां होती थीं, जिन्हें मोटी कमाई का सपना दिखाकर फंसाया जाता था।
क्या है डीबीआर कंपनी
कंपनी का पूरा नाम ‘धन्वंतरि बायो रिसर्च कंपनी प्राइवेट लिमिटेड’ है। यह कंपनी द्वार यूनिट के नाम से मार्केटिंग का काम करती है। यह अपने उत्पाद को डायरेक्ट सेल या फिर कहें नेटवर्क मार्केटिंग के जरिए लोगों तक पहुंचाती है। संस्था की वेबसाइट पर आठ उत्पादों की जानकारी दी गई है। इस कंपनी का पंजीकृत कार्यालय सूरत (गुजरात) में है। यह कंपनी 2021 में स्थापित की गई थी। इसकी अधिकृत शेयर पूंजी 10 लाख और 3 लाख कुल चुकता पूंजी है। कंपनी के प्रबंध निदेशक मनीष कुमार उर्फ मनीष सिंह सिवान (बिहार) के रहने वाले हैं। कंपनी के ‘लोगो’ में लिखा है- ‘रोग और बेरोजगारी मुक्त-भारत।’
ऐसा लगता है कि कोरोना संकट के समय लोगों की बेबसी को भांपते हुए यह कंपनी स्थापित की गई थी। उस समय एक ओर जहां हर घर में आयुर्वेदिक दवाइयों का सेवन किया जा रहा था, वहीं दूसरी ओर लाखों की संख्या में लोग बेरोजगार होकर अपने घरों की ओर लौट रहे थे। माना जा रहा है कि इस स्थिति को भांप कर ही मनीष सिंह ने यह कंपनी शुरू की। इस कंपनी से मनीष सिंह ने भारत की गरीबी कितनी दूर की यह तो ज्ञात नहीं, लेकिन उसने अपनी गरीबी अवश्य दूर कर ली। भोले-भाले युवक-युवतियों को फंसा कर उसने अपनी बेरोजगारी अवश्य दूर कर ली। कंपनी 4 क्षेत्र में काम करती थी- ब्यूटी केयर, हेल्थ केयर, एग्रीकल्चर और पर्सनल केयर। कंपनी दावा करती थी कि उसके प्रेरक व्याख्याता विवेक बिंद्रा हैं, जबकि बिंद्रा किसी और कंपनी के सेमिनार में बतौर प्रेरक वक्ता जाते थे।
विवादित है कार्य करने का तरीका
कंपनी के कार्य करने का तरीका ही विवादित रहा है। इसमें कोई भी व्यक्ति पंजीकरण कर सकता था। पंजीकरण के लिए एक निर्धारित शुल्क होता था। कंपनी में 15 स्तर (लेवल) बने हुए हैं। इसमें आप अपनी योग्यता और मेहनत के आधार पर क्रमानुसार ऊपर तक जा सकते थे। यह तो सतही जानकारी थी। वास्तविकता कुछ और थी। कंपनी नए युवक और युवतियों को फंसाती थी। उनका लक्ष्य होता था कि 17 वर्ष से लेकर 22 वर्ष तक के युवक युवतियों को इस कंपनी से जोड़ा जाए। उन्हें 22 हजार रुपए की किट लेनी होती थी। कंपनी से जुड़ने वाले लोग बताते हैं कि किट में बेकार के उत्पाद होते थे। अन्य नेटवर्क कंपनी की तरह इसमें भी अपने नीचे कुछ लोगों को जोड़ना होता था। जितने लोगों को आप जोड़ेंगे, उतनी अधिक आमदनी होगी।
यह बताया जाता था कि आपकी आमदनी 10 करोड़ रुपए महीने तक हो सकती है। इस झांसे में कई लोग आ जाते थे। लड़कियों के माध्यम से लड़कों को फंसाया जाता था। लड़कियों के चक्कर में लड़के इस कंपनी से जुड़ते चले जाते थे। वहीं दूसरी ओर कई लड़कियों से फेसबुक या अन्य सोशल मीडिया के माध्यम से दोस्ती की जाती थी और उन्हें इस कंपनी में आने के लिए प्रेरित किया जाता था। जब किसी लड़की को लगता था कि उसके साथ धोखा हो गया है तो वह कंपनी छोड़ने की बात करती थी। इस परिस्थिति में उसके साथ मारपीट की जाती थी।
लक्ष्य पूरा करने के बहाने लड़कियों को दबाव में लिया जाता था और फिर उनका यौन शोषण किया जाता था। कम उम्र के लड़के-लड़की आपस में साथ रहने के क्रम में जब संबंध बना लेते थे तो उनका वीडियो बनाकर रख लिया जाता था और फिर उस लड़की का कंपनी के शीर्ष पदाधिकारी द्वारा यौन शोषण किया जाता था। इस क्रम में यदि लड़की गर्भवती हो जाती थी तो उसे बार-बार गर्भपात करने के लिए कहा जाता था। छपरा की एक लड़की ने अपनी आपबीती जब मीडिया को सुनाई तो सारे लोग दंग रह गए। मामला सामने आने के बाद अहियापुर के बखरी स्थित डीबीआर कंपनी के कार्यालय व केंद्र पर पुलिस ने छापेमारी की। इस दौरान कई तरह के कागजात वहां से जब्त किए गए। एक दर्जन युवकों को हिरासत में लिया गया।
दायर हुआ वाद
इस मामले में सारण की एक युवती ने न्यायालय में परिवाद दायर कराया था। इसके बाद न्यायालय के आदेश पर अहियापुर थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई थी। सुपौल के मो. इरफान, गोपालगंज के हरेराम राम, गोपालगंज के ही स्थाई निवासी व वर्तमान में नोएडा में रह रहे कंपनी के प्रबंध निदेशक मनीष सिन्हा, मोतिहारी के एनामुल अंसारी समेत नौ लोगों को आरोपित किया गया है। अब तक दो आरोपितों को गिरफ्तार किया जा चुका है। गोरखपुर से तिलकराज सिंह गिरफ्तार हो चुका है। जो वीडियो वायरल हुआ है, उसमें लड़की के साथ तिलकराज सिंह को मारपीट करते हुए देखा जा सकता है। इन सबको देखते हुए पटना, सारण, हाजीपुर, गोरखपुर, गोपालगंज और रक्सौल में 40 पीड़ितों ने अलग-अलग एफ.आई.आर. दर्ज कराने की तैयारी शुरू कर दी है।
खैर, देर से ही सही कंपनी के कथित अधिकारियों की करतूत सामने आ गई है। उम्मीद है कि पुलिस गंभीरता और पूरी निष्पक्षता के साथ जांच करेगी और जो भी दोषी होंगे, उन्हें उनकी किए की सजा अवश्य मिलेगी।
टिप्पणियाँ