नई दिल्ली (हि.स.)। केन्द्रीय मंत्री अश्वनी वैष्णव ने रेलवे में काम कर रहे लोको पायलट की कार्य परिस्थितियों पर हो रही राजनीति पर आज जवाब देते हुए कहा है कि फर्जी खबरों से रेल परिवार को हतोत्साहित करने का प्रयास विफल होगा। पूरा रेल परिवार हमारे देश की सेवा में एकजुट है।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने हाल ही में नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर लोको पायलट से मुलाकात की थी। आधिकारिक एक्स हैंडल पर लोको पायलटों के साथ बातचीत की वीडियो क्लिप साझा करते हुए उन्होंने आरोप लगाया था कि लोको पायलटों को गर्मी से तपते केबिनों में बैठकर 16-16 घंटे काम करने के लिए मजबूर किया जाता है। बुनियादी सुविधाओं से भी वंचित लोको पायलटों को कोई छुट्टी नहीं मिलती है। इससे वे शारीरिक और मानसिक रूप से थके हुए और बीमार रहते हैं। ऐसे में लोको पायलटों से ट्रेन चलवाने का मतलब अपनी और यात्रियों की जान जोखिम में डालना है।
इसी पर सोशल मीडिया पर रेल मंत्री ने कहा कि विपक्ष लोको पायलटों को हतोत्साहित करने के लिए बहुत सारी गलत सूचनाएं और नाटकबाजी कर रहा है। ऐसे में वे स्थिति को स्पष्ट करना चाहते हैं। उन्होंने 2014 के बाद से लोको पायलटों की परिस्थिति सुधारने की दिशा में हुए कार्य की जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि लोको पाटलटों को औसत इस वर्ष जून माह में 8 घंटे से भी कम काम करना पड़ा है। केवल अत्यावश्यक परिस्थितियों में ही यात्रा की अवधि निर्धारित घंटों से अधिक होती है। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में बड़ी भर्ती प्रक्रिया पूरी की गई और 34 हजार रनिंग स्टाफ की भर्ती की गई है। वर्तमान में 18 हजार रनिंग स्टाफ की भर्ती प्रक्रिया चल रही है। पायलट लोको कैब से इंजन चलाते हैं। 2014 से पहले कैब की हालत बहुत खराब थी।
2014 के बाद से, एर्गोनोमिक सीटों के साथ कैब में सुधार किया गया है जब पायलट एक यात्रा पूरी कर लेते हैं, तो मुख्यालय से बाहर होने पर वे आराम के लिए रनिंग रूम में आते हैं। 2014 से पहले रनिंग रूम की हालत बहुत ख़राब थी। लगभग सभी (558) रनिंग रूम अब वातानुकूलित हैं। कई रनिंग रूम में फुट मसाजर भी उपलब्ध कराए जाते हैं। संयोगवश, कांग्रेस ने लोको पायलटों की कामकाजी परिस्थितियों को समझे बिना इसकी आलोचना की थी।
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