प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपना दो दिवसीय रूस का दौरा पूरा कर वियना पहुंच गए हैं। यहां वह ऑस्ट्रिया के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर वान डेर बेलेन से मुलाकात करेंगे। भारत ने जहां पिछले साल आजादी की 75वीं वर्षगांठ मनाई है, वहीं भारत और ऑस्ट्रिया के बीच राजनयिक संबंधों के भी 75 साल हो गए हैं। दोनों देश इस वर्ष राजनयिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ मना रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का वियना में जोरदार स्वागत हुआ। ऑस्ट्रिया के चांसलर कार्ल नेहमर ने रात्रिभोज का आयोजन तो किया ही पीएम मोदी के साथ सेल्फी भी सोशल मीडिया मंच पर अपलोड की। भारत में जहां कुछ कथित लोगों को वंदे मातरम के गायन से दिक्कत होती है, वहीं ऑस्ट्रिया में बैंड के साथ वंदे मातरम का गायन किया गया। यह गायन भी अद्भुत था। यह गायन भारतीयों ने नहीं, बल्कि वियना के लोगों ने किया। इसका वीडियो भी आया है। यह गायन बड़ा ही अद्भुत है।
इससे पहले रूस की यात्रा के दौरान भी प्रधानमंत्री मोदी का भारतीय गीतों और नृत्य से स्वागत किया गया। भारत और रूस के बीच अटूट संबंध हैं, ये बात रूस ने पीएम मोदी को अपना सर्वोच्च नागरिक सम्मान देकर एक बार फिर सिद्ध कर दिया है।
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने ऑर्डर ऑफ सेंट एंड्रयू द एपोस्टल (Order of St. Andrew the Apostle) देकर पीएम मोदी को सम्मानित किया। श्री नरेंद्र मोदी ने रूस के राष्ट्रपति को धन्यवाद देते हुए यह सम्मान भारत की जनता को समर्पित किया। यह रूस का सर्वोच्च राष्ट्रीय पुरस्कार है। इसकी स्थापनी करीब 300 साल पहले की गई थी और नरेंद्र मोदी यह सम्मान प्राप्त करने वाले पहले भारतीय नेता हैं।
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भारत में ही एक तबका करता है वंदे मातरम का विरोध
भारत में ही एक तबका वंदे मातरम का विरोध करता है। जमीयत जैसे संगठन तो स्कूलों में सरस्वती वंदना और सूर्य नमस्कार को अधार्मिक बताते हुए मुस्लिम छात्रों से इनका बहिष्कार और विरोध करने का आह्वान करते हैं। जबकि यही वंदे मातरम भारत की आजादी का गीत बना था। परतंत्रता की बेड़ियों से जकड़े भारत को इस मंत्र ने नई ऊर्जा दी थी।
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