प्रचंड सरकार के उन आठ मंत्रियों ने कैबिनेट से सामूहिक इस्तीफा दे दिया, ये सभी सीपीएन-यूएमएल के कोटे के थे। नेपाली कांग्रेस पहले ही प्रधानमंत्री प्रचंड का इस्तीफा मांग चुकी थी
एक बार फिर राजनीतिक अस्थितरता के भंवर में गोते खा रहे हिमालयी देश में फिर से वर्तमान प्रचंड सरकार को सदन का विश्वास हासिल करने की चुनौती का सामना करना पड़ेगा। इस परीक्षा के लिए 12 जुलाई का दिन तय किया गया है। लेकिन दो प्रमुख सहयोगी दलों के हाथ खींच लेने के बाद, लगता नहीं कि प्रचंड अपनी सरकार के प्रति सदन का विश्ववास जीत पाएंगे।
अभी हाल में अब तक सत्ता में सहयोगी रहे दो दलों ने समर्थन वापस ले लिया था। नेपाली कांग्रेस और सीपीएन-यूएमएल ने आपस में नया गठजोड़ बनाकर सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया है। प्रचंड सरकार के उन आठ मंत्रियों ने कैबिनेट से सामूहिक इस्तीफा दे दिया, ये सभी सीपीएन—यूएमएल के कोटे के थे। नेपाली कांग्रेस पहले ही प्रधानमंत्री प्रचंड का इस्तीफा मांग चुकी थी।
यह नेपाल के लिए दुखदायी बात ही है कि बीते 16 साल में वहां की सत्ता 13 बार बदली है। 13 बार नई सरकारें बनीं और औंधे मुंह जा गिरी हैं। राजनीति दल जोड़—तोड़ की राजनीति में उलझे रहे हैं। देश के हालात नाजुक हैं, विकास मंथर गति से चल रहा है लेकिन सत्ता पूरे भरोसे से काम नहीं कर पाई है। उधर चीन का खेल भी चल रहा है।
वर्तमान प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ एक बार फिर उसी स्थिति का सामना कर रहे हैं। सत्तारूढ़ गठबंधन से दो सहयोगी दलों द्वारा समर्थन वापस ले लेने से उनके पास बहुमत नहीं बचा है। लेकिन तो भी घोषणा हो चुकी है प्रचंड 12 जुलाई को विश्वास मत पाने की रस्म पूरी करने को तैयार हैं। हालांकि विशेषज्ञों को ये भरोसे के लायक नहीं लगता। कुछ का कहना है कि विश्वास मत हासिल करने से पहले ही शायद प्रचंड प्रधानमंत्री पद त्याग दें।
प्रधानमंत्री प्रचंड चाहते हैं कि उस दिन सदन में मतदान कराया जाए। इस संबंध में उन्होंने संसद को सूचित भी कर दिया है। नेपाली संविधान के अनुच्छेद 100(2) के अंतर्गत सरकार से कोई दल समर्थन वापस ले ले तो प्रधानमंत्री को 30 दिन के भीतर यह साबित करना होता है कि संसद उसकी सरकार पर विश्वास व्यक्त करती है।
प्रधानमंत्री प्रचंड कहते हैं कि वे पद पर बने रहेंगे, इसके लिए वे संसद में विश्वास मत हासिल करेंगे। उधर नेपाली कांग्रेस और सीपीएन यूएमएल के बीच बने नए गठबंधन को पूरा भरोसा है कि अब सरकार उनकी बनेगी। उन्होंने इसके लिए आगे तक की तैयारी कर ली है, सरकार गठन की शर्तें तय हो गई हैं जिनके अनुसार दोनों दल बारी—बारी सत्ता का नेतृत्व करेंगे।
हिमालयी देश की संसद में 275 सीटें हैं। इनमें से नेपाली कांग्रेस के पास सबसे अधिक 89 सीटें हैं तो सीपीएन-यूएमएल की 78 सीटें हैं। वर्तमान प्रधानमंत्री प्रचंड की कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल-माओवादी सेंटर पार्टी की सिर्फ 32 सीटें हैं। यहां यह जानना दिलचस्प होगा कि सदन में सिर्फ 10 सीट के साथ मौजूद सीपीएन-यूनिफाइड सोशलिस्ट पार्टी का कहना है कि पार्टी प्रचंड की अगुआई वाली सरकार के पाले में मत देगी। ऐसा हुआ तो भी इसको मिलाकर प्रधानमंत्री प्रचंड के पास 63 सदस्यों का मत होगा। लेकिन सरकार को विश्वास मत में जीत तभी मिलेगी तब उसके पाले में 138 मत होंगे।
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