जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने स्कूलों में सरस्वती वंदना, धार्मिक गीतों और सूर्य नमस्कार जैसी गतिविधियों को अधार्मिक बताते हुए मुस्लिम छात्रों से इनका बहिष्कार और विरोध करने का आह्वान किया है। दिल्ली में जमीयत की 4-5 जुलाई को गवर्निंग काउंसिल की बैठक हुई, जिसमें पहले दिन आधुनिक शिक्षा पर बड़ी-बड़ी बातें कही गई, लेकिन दूसरे ही दिन जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने स्पष्ट कर दिया कि उनके लिए इस्लाम ही सर्वोपरि है। इस बैठक में कुछ प्रस्ताव भी पारित हुए हैं, जिसमें मुस्लिम छात्रों से स्कूलों में ‘शिर्क’ का विरोध करने और गैर-इस्लामी कामों से दूर रहने की अपील की गई है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, दिल्ली में देश के प्रमुख मुस्लिम संगठन जमीयत की गवर्निंग काउसिंल की बैठक में करीब 2000 सदस्यों-पदाधिकारियों ने हिस्सा लिया। इस दौरान स्कूलों के अंदर हिंदू धार्मिक प्रथाओं को बढ़ावा देने के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया है। प्रस्ताव का नाम ‘स्कूलों में विशेष धार्मिक प्रथाओं की निंदा’ रखा गया है। प्रस्ताव में कहा गया है- जमीयत उलेमा-ए-हिंद राज्य सरकारों की ओर से शिक्षा प्रणाली को भगवा रंग में रंगने और स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों को शिर्क (अल्लाह के अलावा किसी अन्य ईश्वर को मानना) के काम करने के लिए मजबूर करने के प्रयासों की कड़ी निंदा करती है।
अभिभावक अपने बच्चों में तौहीद (एकेश्वरवाद) के प्रति विश्वास पैदा करें और शैक्षणिक संस्थानों में किसी भी कीमत पर अल्लाह के अलावा किसी और की इबादत करने से बचें। वे किसी भी ऐसे व्यक्ति की इबादत स्वीकार नहीं करेंगे जो गैर-धार्मिक लोगों की प्रथा और पहचान है। प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि हमारे देश का संविधान यहां रहने वाले सभी निवासियों को अपनी-अपनी धार्मिक मान्यताओं और प्रथाओं का पालन करने की खुली अनुमति देता है। ऐसे में सरकार की ओर से स्कूली छात्र-छात्राओं को सूर्य नमस्कार, सरस्वती पूजा, हिंदू गीत, श्लोक या तिलक लगाने के लिए बाध्य करने का आदेश मजहबी आजादी में हस्तक्षेप और धर्मनिरपेक्ष संविधान का उल्लंघन है, जिसे मुस्लिम या कोई भी न्यायप्रिय भारतीय स्वीकार नहीं कर सकता।
जमीयत ने छात्रों और अभिभावकों से यह भी कहा है कि अगर उन पर प्रार्थना, सूर्य नमस्कार जैसी गतिविधियों में शामिल होने का दबाव डाला जाए, तो वो भी वो इसमें शामिल न हों, बल्कि इसका विरोध करें और कानूनी कार्रवाई करें। जमीयत ने अपने प्रस्ताव में कहा- वे सरकार से अपील करते हैं कि वो ऐसे सभी भड़काऊ कार्यों से दूर रहे और सभी मुसलमानों से भी अनुरोध करते हैं कि वे अपने छात्र-छात्राओं के मन में तौहीद के प्रति आस्था को मजबूत करने का प्रयास करें।
मदरसों में आरटीई का भी किया विरोध
बता दें कि मौलाना महमूद मदनी ने उत्तर प्रदेश के गैरमान्यता प्राप्त 4,204 मदरसों में पढ़ रहे बच्चों को शिक्षा के अधिकार (आरटीई) कानून के तहत अन्य स्कूलों में प्रवेश दिलाने के योगी सरकार के निर्णय का भी तीखा विरोध किया। उन्होंने कहा कि वे स्पष्ट रूप से कहना चाहते हैं कि इस्लामी मदरसे शिक्षा के अधिकार कानून यानी आरटीई से अलग हैं। यह अधिकार उन्हें संविधान ने दिया है, जिसे वे छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं।
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