कम्प्यूटर की भाषायी समझ
July 19, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • ऑपरेशन सिंदूर
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • जनजातीय नायक
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • ऑपरेशन सिंदूर
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • जनजातीय नायक
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम विज्ञान और तकनीक

कम्प्यूटर की भाषायी समझ

कम्प्यूटर की भाषायी समझ की सीमाएं हैं जो लंबे समय तक बनी रहेंगी।  हम भाषा में सांकेतिक रूप से जो कटाक्ष, विनोद, प्रशंसा या आलोचना कर जाते हैं उसे समझना कम्प्यूटर के लिए चुनौती बना रहेगा

by बालेन्दु शर्मा दाधीच
Jul 6, 2024, 12:37 pm IST
in विज्ञान और तकनीक
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

कम्प्यूटर की भाषा अलग होती है, इंसानों की अलग। कम्प्यूटर बाइनरी भाषा को समझते हैं यानी कि 0 और 1 के अंकों पर आधारित कोड। इसी तरह से वे संरचित डेटा को समझते हैं जो डेटाबेस, स्प्रैडशीट और तालिकाओं के रूप में सहेजा गया हो। इस तरह के गणितीय डेटा को वे बहुत अच्छी तरह और बेहद तेज रफ़्तार से प्रसंस्कृत कर सकते हैं, उस पर आधारित गणनाएं कर सकते हैं।
दूसरी तरफ हम इंसान न तो बाइनरी भाषा को समझते हैं और न ही संरचित डेटा में संवाद करते हैं। हम अपने आपको शब्दों और वाक्यों में अभिव्यक्त करते हैं जो इंसानी भाषाओं का हिस्सा हैं। अगर इसे डेटा के रूप में देखा जाए तो कहा जाएगा कि हम असंरचित डेटा का प्रयोग करते हैं। कंप्यूटर इस तरह की भाषा और असंरचित डेटा के साथ काम करने में मुश्किल समझते हैं क्योंकि यह उनकी कार्यप्रणाली से मेल नहीं खाता।

इन्हीं असमानताओं के कारण कंप्यूटर के साथ सामान्य ढंग से संपर्क करना इंसान के लिए संभव नहीं था। आखिरकार हममें से कितने लोग होंगे जो 01000010 जैसे अंकों का प्रयोग करने वाली भाषा, जिसे मशीन लैंग्वेज कहते हैं, में अपने शब्दों, वाक्यों, अंकों, चित्रों, ध्वनि आदि को अभिव्यक्त कर सकेंगे? शायद पूरी दुनिया में ऐसा कर सकने वाले लोग कुछ दर्जन या कुछ सौ की संख्या
में हों।

तब भी हम कंप्यूटर के साथ संपर्क कर पा रहे हैं, उसे निर्देश दे पा रहे हैं, उस पर काम कर पा रहे हैं तो कैसे? इसके पीछे का राज है वे प्रोग्रामिंग भाषाएं जिन्हें कम्प्यूटर को निर्देश देने के लिए विकसित किया गया। इन निदेर्शों पर आधारित प्रोग्रामों की बदौलत ऐसे सॉफ़्टवेयर बनाए जा सकें जिनके साथ हम अभिव्यक्ति का आदान-प्रदान ( interact) कर सकते हैं। इस तरह की प्रोग्रामिंग भाषाओं में से कुछ के नाम आपने सुने ही होंगे, जैसे- सी, सी ++, जावा, सी शार्प, पाइथॉन आदि। ये प्रोग्राम हमारी भाषाओं में दिए गए निर्देशों और संदेशों को कंप्यूटर की भाषा में बदल देते हैं इसलिए वह उन पर अमल कर सकता है। इस तरह हम बिचौलिए के रूप में इन साफ़्टवेयर, कोड और प्रोग्रामिंग भाषाओं पर निर्भर हैं। हम सीधे-सीधे कम्प्यूटर से उस भाषा में बात नहीं कर सकते जो हमारे दैनिक जीवन में इस्तेमाल होने वाली भाषा है, जैसे हिंदी या अंग्रेजी।

लेकिन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को मिली कामयाबी के बाद स्थितियां बदल गई हैं। अब यह प्रौद्योगिकी वह माध्यम बन गई है जो इंसान की भाषा को कम्प्यूटर के समझने योग्य भाषा में तब्दील कर देती है और कम्प्यूटर से आने वाले संदेशों को हमारी सामान्य भाषा में बदल सकती है। एआई का वह उप क्षेत्र जो इस कार्य पर केंद्रित है, प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण कहलाता है। वह कंप्यूटरों को भाषा के संदर्भ में लगभग इंसान जैसी ही समझबूझ और अन्य क्षमताएं देने पर केंद्रित है और इसमें उसे काफी सफलता मिली है।

इन वाक्यों को पढ़ते समय आपके मन में स्वत: ही ऐसे कुछ उदाहरण कौंध गए होंगे जहां हम डिजिटल तकनीकों के साथ अपनी भाषा में संदेशों का आदान-प्रदान करने लगे हैं। सबसे ताजा उदाहरण तो जेनरेटिव एआई का है, जैसे चैटजीपीटी, माइक्रोसॉफ़्ट कोपायलट, गूगल जेमिनी और एन्थ्रोपिक क्लॉड आदि।

हालांकि तब भी कंप्यूटर की भाषायी समझ की सीमाएं हैं जो शायद लंबे समय तक बनी रहेंगी। मसलन हम अपनी भाषा में सांकेतिक रूप से जो कटाक्ष, विनोद, प्रशंसा या आलोचना कर जाते हैं उसे समझना कंप्यूटर के लिए मुश्किल बना रहेगा। संभवत: कविता में कम शब्दों में जो बड़ी बात कह दी जाती है उसे समझना और उसी तरह की अभिव्यक्ति खुद कर पाना उसके लिए चुनौती बना रहेगा। उसे समझने में शायद उसे अभी कुछ और दशक लग जाएं।

फिर भी नैचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग में जितनी प्रगति हो चुकी है वह आश्चर्यजनक है। इसके कुछ उदाहरणों से आप बखूबी परिचित हैं, जैसे भाषाओं के बीच मशीन अनुवाद, सारांशीकरण और प्रश्नों के उत्तर देने की क्षमता। दर्जनों इंसानी भाषाओं में कहानी, कविता, नाटक, लेख आदि लिखने की क्षमता भी जेनरेटिव एआई ने अर्जित कर ली है।
(लेखक माइक्रोसॉफ़्ट में डेवलपर मार्केटिंग के प्रमुख हैं) 

 

Topics: जावाComputer LanguagesCDatabasesSoftwareSpreadsheetsjavaC SharpडेटाबेसPythonकम्प्यूटर की भाषाNatural Language Processingस्प्रैडशीटसीसी शार्पपाइथॉनसॉफ्टवेयरनैचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग
ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

संस्कार भारती का ‘संगीत विधा’ का एक अभिनव प्रयोग

‘डीप वेब’ का नाम रहस्यमय है, काम नहीं

अल-जायतुन बोर्डिंग स्कूल के संचालक 77 साल के मौलवी पांजी गुमिलांग

Indonesia : मौलवी पर लगा ईशनिंदा का आरोप, महिलाओं और पुरुषों को साथ में नमाज पढ़ने की दी थी छूट

नया आकाश, नई उड़ान

उत्तराखंड : सीएम धामी ने की घोषणा, समूह ‘ग’ की भर्ती में नहीं होगा इंटरव्यू

इंडोनेशिया की राजकुमारी दीया मुटियारा सुकमावती सुकर्णोपुत्री 26 अक्तूबर 2021 को वापस हिन्दू धर्म में लौट आईं। (फोटो: सिट्टी. नेट से साभार)

सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी वाला देश, जहां की राजकुमारी इस्लाम छोड़कर बनीं हिंदू

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

ज्ञान सभा 2025 : विकसित भारत हेतु शिक्षा पर राष्ट्रीय सम्मेलन, केरल के कालड़ी में होगा आयोजन

सीबी गंज थाना

बरेली: खेत को बना दिया कब्रिस्तान, जुम्मा शाह ने बिना अनुमति दफनाया नाती का शव, जमीन के मालिक ने की थाने में शिकायत

प्रतीकात्मक चित्र

छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में छह नक्सली ढेर

पन्हाला दुर्ग

‘छत्रपति’ की दुर्ग धरोहर : सशक्त स्वराज्य के छ सशक्त शिल्पकार

जहां कोई न पहुंचे, वहां पहुंचेगा ‘INS निस्तार’ : जहाज नहीं, समंदर में चलती-फिरती रेस्क्यू यूनिवर्सिटी

जमानत मिलते ही करने लगा तस्करी : अमृतसर में पाकिस्तानी हथियार तस्करी मॉड्यूल का पर्दाफाश

Pahalgam terror attack

घुसपैठियों पर जारी रहेगी कार्रवाई, बंगाल में गरजे PM मोदी, बोले- TMC सरकार में अस्पताल तक महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं

अमृतसर में BSF ने पकड़े 6 पाकिस्तानी ड्रोन, 2.34 किलो हेरोइन बरामद

भारतीय वैज्ञानिकों की सफलता : पश्चिमी घाट में लाइकेन की नई प्रजाति ‘Allographa effusosoredica’ की खोज

डोनाल्ड ट्रंप, राष्ट्रपति, अमेरिका

डोनाल्ड ट्रंप को नसों की बीमारी, अमेरिकी राष्ट्रपति के पैरों में आने लगी सूजन

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • जीवनशैली
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies