प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश के रक्षा क्षेत्र में लगातार प्रगति कर रहा है। मेक इन इंडिया के तहत अत्याधुनिक तकनीक में क्षमताओं को बढ़ाने और रक्षा में ‘आत्मनिर्भरता’ को बढ़ावा देने के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र को बनाने के उद्येश्य से प्रौद्योगिकी विकास कोष (TDF) के जरिए 300 करोड़ रुपए से अधिक के आवंटन को मंजूरी दे दी है। इसको लेकर आज एक आधिकारिक बयान जारी करते हुए रक्षा मंत्रालय ने इसकी जानकारी दी है।
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क्या है प्रौद्योगिकी विकास कोष
गौरतलब है कि प्रौद्योगिकी विकास कोष (TDF) योजना केंद्रीय रक्षा मंत्रालय का एक प्रमुख कार्यक्रम है। इसको DRDO क्रियान्वित कर रहा है। MSME और स्टार्टअप्स समेत भारतीय उद्योगों, शैक्षणिक और वैज्ञानिक संस्थानों को रक्षा और दोहरे उपयोग वाली तकनीकों के विकास के लिए अनुदान देती है। इस कोष से रक्षा प्रौद्योगिकी के डिजाइन और विकास के लिए भारतीय उद्योगों की क्षमता और योग्यता को बढ़ाने की कोशिशें करता है।
इसके तहत रक्षा मंत्रालय का टार्गेट प्राइवेट इंडस्ट्रीज और विशेष रूप से MSME और स्टार्टअप को शामिल करना है, ताकि डिफेंस इंजीनियरिंग को बढ़ावा दिया जा सके। सरकार की कोशिश है कि इसके जरिए एक अनुसंधान और विकास पारिस्थितिकी तंत्र बनाकर उद्योग और शिक्षाविद सशस्त्र बलों और रक्षा क्षेत्र की वर्तमान और भविष्य की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए मिलकर कार्य किया जाएगा।
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प्रमुख ऱक्षा परियोजनाएं क्या हैं
गौरतलब है कि रक्षा मंत्रालय ने बुधवार को इस योजना से लाभान्वित होने वाले कई सफल स्टार्टअप्स पर प्रकाश डालते हुए कहा कि पुणे स्थित स्टार्टअप कॉम्बैट रोबोटिक्स ने इस योजना की मदद से मानव रहित वाहनों के लिए एक अभिनव सिम्युलेटर डेवलप किया है। यह एक मल्टी-डोमेन सिम्युलेटर मानव रहित ग्राउंड व्हीकल्स (UGVs) अंडर वाटर ड्रोन, सरफेस ड्रोन और मानव रहित एरियल व्हीकल्स को सपोर्ट करता है।
इसके अलावा पुणे स्थित डिफेंस स्टार्टअप, चिस्टेट्स लैब्स प्राइवेट लिमिटेड और एयरो गैस टरबाइन इंजन स्वास्थ्य निगरानी के लिए एक वर्चुअल सेंसर विकसित कर रहा है। ये इंजनों की परिचालन विश्वसनीयता को बढ़ाता है।
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