झारखंड हाई कोर्ट ने अवैध रूप से भारत में प्रवेश करने वाले बांग्लादेशियों के खिलाफ सख्ती दिखाई है। न्यायालय ने बांग्लादेशी घुसपैठियों को ढूंढकर देश से बाहर निकालने का सख्त आदेश जारी किया है। देश में अवैध रूप से रह रहे विदेशियों के बढ़ते मामले और इसके परिणामस्वरूप राष्ट्रीय सुरक्षा को होने वाले खतरे के मद्देनजर कोर्ट ने यह सख्ती दिखाई है।
उच्च न्यायालय का आदेश
उच्च न्यायालय ने सरकारी एजेंसियों को निर्देश दिया है कि वे बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान कर उन्हें जल्द से जल्द देश से बाहर निकालने के लिए आवश्यक कदम उठाएं। अदालत ने यह भी कहा है कि इस प्रक्रिया में किसी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी और अधिकारियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि किसी निर्दोष व्यक्ति को बिना वजह परेशान न किया जाए।
अवैध घुसपैठ के प्रभाव- बांग्लादेशी घुसपैठियों की अवैध उपस्थिति से देश में कई समस्याएँ उत्पन्न हो रही हैं। इनमें सबसे प्रमुख समस्याएँ हैं:
राष्ट्रीय सुरक्षा- अवैध घुसपैठ से देश की सुरक्षा को खतरा हो सकता है। कई बार इन घुसपैठियों के माध्यम से आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने की कोशिश की जाती है।
आर्थिक बोझ- अवैध घुसपैठियों की वजह से देश की आर्थिक स्थिति पर भी दबाव पड़ता है। वे रोजगार के अवसरों का अवैध रूप से उपयोग करते हैं और सामाजिक सेवाओं का अनुचित लाभ उठाते हैं।
सामाजिक तनाव-
अवैध घुसपैठियों की वजह से स्थानीय जनसंख्या के बीच सामाजिक तनाव भी बढ़ता है। वे संसाधनों के बंटवारे को लेकर असंतोष पैदा करते हैं।
सरकारी प्रयास-
सरकार ने भी इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए कई प्रयास किए हैं। इनमें से कुछ प्रमुख प्रयास निम्नलिखित हैं-
- सरकार ने अवैध घुसपैठियों की पहचान के लिए सख्त प्रक्रियाएँ अपनाई हैं। आधार कार्ड और अन्य पहचान पत्रों की जाँच की जा रही है।
- बांग्लादेश के साथ लगी सीमा पर सुरक्षा को और सख्त किया गया है।
- सीमा सुरक्षा बल (BSF) की तैनाती बढ़ाई गई है और सीमा पर निगरानी के उपायों को बढ़ाया गया है।
- अवैध घुसपैठियों को उनके मूल देश वापस भेजने के लिए सरकार ने वापसी कार्यक्रम शुरू किए हैं। इन कार्यक्रमों के माध्यम से बांग्लादेशी अधिकारियों के साथ समन्वय किया जा रहा है।
टिप्पणियाँ