सेना को लेकर भ्रम फैलाते हुए अग्निवीर योजना पर राहुल गांधी ने जो झूठा नैरेटिव शहीद के सम्मान और मिलने वाली राशि को लेकर रचा, उसका सच अब दुनिया के सामने है। दूसरी ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कही यह बात भी पूरी तरह से सत्य साबित हो गई कि कांग्रेस का अपना एक इकोसिस्टम है, जिसके लिए देश से ऊपर सिर्फ उसका अपना हित है, यदि भारत का नुकसान होता है तो उससे कांग्रेस को कोई फर्क नहीं पड़ता। इसके लिए प्रधानमंत्री मोदी ने सुप्रीम कोर्ट की तरफ से जताई गई चिंताओं का हवाला तक सदन में दिया। जिसके बाद कहना होगा कि राहुल गांधी के संसद में नेता प्रतिपक्ष होने के बाद भी बोले गए झूठ से यह साफ हो गया है कि कांग्रेस अपने निजि स्वार्थ के लिए किसी भी हद तक जा सकती है।
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यहां जिस परिवार और अग्निवीर की शहीदी को आधार बनाकर राहुल गांधी, सदन में प्रधानमंत्री मोदी एवं एनडीए सरकार से प्रश्न पूछ रहे थे, वे सभी प्रश्न उस परिवार के साथ सेना से आए स्पष्टीकरण के बाद पूरी तरह से असत्य साबित हुए हैं। लोकसभा की कार्यवाही के दौरान यह सभी ने देखा भी कि किस तरह से राहुल, केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह को झूठा ठहरा रहे थे। राहुल का यह आरोप बहुत साफ था कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ‘अग्निवीर’ के जान गंवाने पर उनके परिवार को आर्थिक मदद मिलने के बारे में संसद के भीतर झूठ बोला है, इसलिए रक्षा मंत्री को संसद, देश और सेना से माफी मांगनी चाहिए। जिसके तुरंत बाद रक्षामंत्री राजनाथ सिंह का जवाब भी सामने आया, उन्होंने साफ शब्दों में बताया, सीमाओं की रक्षा करते हुए या युद्ध के दौरान अपने प्राणों की आहुति देने वाले अग्निवीर के परिवार को एक करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता दी जाती है। वहीं, जिस अग्निवीर की बात राहुल कर रहे थे, उसके परिवार ने भी स्वीकार्य किया है कि उन्हें राशि मिल चुकी है, अभी और मिलेगी।
रक्षा मंत्रालय के एकीकृत रक्षा स्टाफ मुख्यालय के अतिरिक्त लोक सूचना महानिदेशालय का कहना भी यही है, “कुल देय राशि में से, अग्निवीर अजय के परिवार को पहले ही 98.39 लाख रुपये का भुगतान किया जा चुका है। अग्निवीर योजना के प्रावधानों के अनुसार लागू लगभग 67 लाख रुपये की अनुग्रह राशि और अन्य लाभ, पुलिस सत्यापन के बाद अंतिम खाता निपटान पर भुगतान किए जाएंगे। देय कुल राशि लगभग 1.65 करोड़ रुपये होगी।” अत: यहां इससे एक बात तो साफ हो गई कि राहुल गांधी अपने फायदे के लिए झूठ की राजनीति कर रहे हैं, सिर्फ कहने भर के लिए वह संविधान को हाथ में उठाए घूमते हैं और समानता की दुहाई देते हैं। किंतु वास्तव में ऐसा है नहीं। प्रधानमंत्री मोदी इसलिए आज कांग्रेस से पूछ भी रहे हैं कि वह ऐसा किसके फायदे के लिए कर रही है ? जबकि उनकी सरकार भारतीय सेना को युद्ध के लिए सशक्त बनाने में जुटी है। सीडीएस (प्रमुख सेना अध्यक्ष) के पद के सृजन के बाद तीनों सेना में समन्वय मजबूत हुआ है और थियेटर (मोर्चा) कमान की दिशा में भी काम हो रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी का यह कहना भी सही है, ‘इंदिरा गांधी की सरकार ने सेना एक रैंक एक पेंशन प्रणाली को समाप्त किया था। दशकों तक कांग्रेस ने ऊसे फिर से लागू होने नहीं दिया, एक बार तो चुनाव से पहले कांग्रेस के नेतृत्ववाली सरकार ने 500 रुपये दिखाकर सेना के कमांडरों को बेवकूफ बनाने का प्रयास किया था, जबकि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) ने सत्ता में आने के बाद एक रैंक एक पेंशन की प्रणाली को फिर से लागू कर दिया। यह कांग्रेस पार्टी ही है जो राफेल विमानों की खरीद का विरोध कर रही थी। कांग्रेस सरकार में लड़ाकू विमान नहीं खरीदे गए, जब हमने खरीदने की कोशिश की, तो कांग्रेस हर तरह की साजिश करने पर उतर आयी। वास्तव में रक्षा सुधारों के प्रयासों को कमजोर करने का यह षड्यंत्र है’।
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प्रधानमंत्री मोदी याद दिलाते हैं, “वह भी वक्त था, जब कांग्रेस के जमाने में हमारी सेनाओं के पास बुलेटप्रूफ जैकेट भी नहीं होते थे।” सवाल यह है कि कांग्रेस ऐसा किसके फायदे के लिए कर रही है। अग्निवीर योजना को मुद्दा बनाने को लेकर कांग्रेस पर सेना का मनोबल तोड़ने का प्रयास करने का आरोप भी पीएम मोदी का है। बहुत हद तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस आरोप में दम है, क्योंकि जिस प्रकार का नैरेटिव कांग्रेस गढ़ रही है उसका मूल उद्देश्य यही है कि देश के नौजवान सेना में न जाएं। किंतु देश देख रहा है कि कैसे मोदी राज में भारतीय सेनाएं हर मोर्चे पर अधिक सशक्त हुई हैं। स्वयं अमेरिका की गुप्त रिपोर्ट में भी यही दावा किया गया है। यह रिपोर्ट कहती है कि पीएम नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भारत विश्व में लगातार अपनी धमक बना रहा है। अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के शीर्ष खुफिया एजेंसी में अधिकारी निदेशक लेफ्टिनेंट जनरल जेफरी क्रूस ने अमेरिकी संसदको बताया भी कि कैसे भारतीय सेना लगातार अपनी ताकत बढ़ा रही है।
अमेरिका के इस बड़े अधिकारी ने सशस्त्र सेवा समिति और खुफिया उपसमिति के सदस्यों को यह जानकारी दी है कि भारत ने जी-20 के आर्थिक शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर खुद को एक वैश्विक अगुआ के रूप में प्रदर्शित किया है और पूरे हिंद प्रशांत क्षेत्र में पीआरसी (पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना) की गतिविधि का मुकाबला करने के लिए स्वयं को सक्षम साबित किया है। भारत ने प्रशिक्षण और रक्षा बिक्री के माध्यम से फिलीपीन जैसे क्षेत्रीय दक्षिण चीन सागर दावेदारों के साथ हिंद प्रशांत क्षेत्र में उन्नत साझेदारी की है। अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस व जापान के साथ अपने सहयोग को और मजबूत किया है।
भारत ने चीन से प्रतिस्पर्धा करने और रूसी उपकरणों पर अपनी निर्भरता कम करने के लिए अपनी सेना को आधुनिक बनाने के लिए कई कदम उठाए। भारत ने स्वदेशी विमानवाहक पोत का समुद्री परीक्षण किया और प्रमुख रक्षा प्रौद्योगिकियों के हस्तांतरण पर कई पश्चिमी देशों के साथ बातचीत भी की है और इसके लिए सबसे आवश्यक रक्षा बजट में भारी बढ़ोत्तरी की है। जो यह बताने के लिए पर्याप्त है कि वास्तव में मोदी सरकार के रहते सेना को हर तरीके से मजबूती प्रदान करने में जिस धन का सबसे अधिक उपयोग होना है, यदि उसकी कमी नहीं रहेगी तो सेना हर मोर्चे पर अपने को सशक्त रूप से साबित करती रहेगी, जो कि वह आज कर पा रही है।
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