तमिलनाडु

तमिलनाडु: DMK सरकार ने मद्रास हाई कोर्ट में कहा-प्रदेश के CBSE और ICSE स्कूलों में लागू नहीं कर सकते RTE

Published by
Kuldeep singh

शिक्षा का सभी को समान अधिकार होता है, लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि तमिलनाडु की डीएमके सरकार इस अधिकार को भूल गई है। एमके स्टालिन की अगुवाई वाली तमिलनाडु सरकार ने मद्रास हाई कोर्ट में कहा है कि वो प्रदेश के सीबीएसई और आईसीएससी स्कूलों में शिक्षा का अधिकार (RTE) कानून लागू नहीं करेगी। ऐसा इसलिए क्योंकि मैट्रिकुलेशन स्कूलों के विपरीत इन स्कूलों में सरकार के द्वारा निर्धारित फीस की जो स्ट्रक्चर है वो यहां पर लागू ही नहीं होता है।

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क्या है पूरा मामला

रिपोर्ट के मुताबिक, मामला कुछ ऐसा है कि कोयंबटूर के मरुमलार्ची मक्कल इयाक्कम के वी ईश्वरन ने शिक्षा के अधिकार कानून के तहत स्कूल में एडमिशन को लेकर मद्रास हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। मामले की सुनवाई कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश आर महादेवन और न्यायमूर्ति मोहम्मद शफीक की पीठ ने मामले की सुनवाई की है।

याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि प्रदेश में आवास और स्कूलों के बीच एक किलोमीटर की दूरी के नियम की आड़ में शिक्षा के अधिकार के तहत प्रवेश देने से मना किया जा रहा है। जबकि, आंध्र प्रदेश सरकार ने बकायदा इसके लिए एक नियम बनाए हैं, ताकि दूरी के बावजूद प्रवेश दिया जा सके। याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट से सीबीएसई और आईसीएसई पाठ्यक्रम वाले स्कूलों में भी आरटीई एक्ट के तहत एडमिशन देने की मांग की है। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि राज्य सरकार के पास ये करने का अधिकार है।

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क्या है सरकार की दलील

इस मामले पर सरकार की दलील है कि वह मैट्रिकुलेशन स्कूलों के लिए फीस की संरचना को निर्धारित करती है और आरटीई कोटे के अंतर्गत प्रवेश लेने वाले छात्रों की फीस की खुद भुगतान करती है। लेकिन, क्योंकि आईसीएसई और सीबीएसई स्कूलों में फीस स्ट्रक्चर को हम तय नहीं कर सकते हैं, इसलिए आरटीई को लागू नहीं कर सकते हैं।

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