नेपाल एक बार फिर राजनीतिक उथलपुथल के दौर में है। प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल की कुर्सी हिलने लगी है। नेपाली कांग्रेस तथा कम्युनिस्ट पार्टी सीपीएन-यूएमएल में बात हो गई है, नया समझौता हो गया है। दोनों दलों के प्रमुख नेता, क्रमश: देउबा और ओली के बीच कल रात तय हो गया है कि अगली सरकार कब, किन किन शर्तों पर और कितने दिन के लिए बनेगी।
आखिर कई दिनों से जो कयास राजनीतिक पंडित लगा रहे थे कि काठमांडू की हवा में फिर बदल की खुनक महसूस हो रही है उस पर कल रात तक मुहर लग गई जब नेपाली कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शेर बहादुर देउबा तथा कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल-यूनिफाइड मार्किस्ट लेनिनिस्ट (सीपीएन-यूएमएल) के वरिष्ठ नेता केपी शर्मा ओली के बीच लंबी वार्ता के बाद, रात में करार हो गया।
काठमांडू में इस खबर के फैलते ही तमाम राजनीतिक दल अपने कार्यकर्ताओं के साथ आनन—फानन में बैठक करने लगे हैं और भविष्य के बारे में अपने आंकड़े फिट करने लगे हैं। नेपाल के लोग शायद अब आदी हो चले हैं इस बार बार के बदलाव के, शायद इसलिए सामाजिक जीवन में कोई बहुत आपाधापी या गफलत नहीं दिख रही है। नेपाली मीडिया ने नेपाली कांग्रेस तथा सीपीएन-यूएमएल के बीच समझौते की खबर तो दी लेकिन उस पर आमजन से कोई उत्साही प्रतिक्रिया देखने को नहीं मिली है। वह पहले से मानकर चल रहा था कि प्रचंड शायद ही अपना कार्यकाल पूरा कर पाएंगे। अभी उनकी सरकार के कार्यकाल में 3 साल का वक्त और है।
देउबा और ओली के बीच हुए ताजा समझौते में तय हुआ है कि ये दोनों ही दल मिलकर सरकार बनाएंगे। संसद में बहुमत सिद्ध न कर पाने की सूरत में नेपाल के वर्तमान प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड की कुर्सी खाली होने के बाद ओली संभवत: डेढ़ वर्ष के लिए यह पद संभालेंगे जिसके बाद कमान नेपाल कांग्रेस के हाथ में जाने की उम्मीद है।
इससे पहले सीपीएन-यूएमएल ने प्रधानमंत्री प्रचंड की सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया था। बताया जाता है कि देउबा तथा ओली के बीच प्रचंड के इस्तीफे के बाद के हालात में नई सरकार के गठन को लेकर अनेक स्तर पर चर्चा चलती रही थी।
दोनों के बीच हुए समझौते के अनुसार, नई साझा सरकार में वित्त मंत्रालय का दायित्व सीपीएन-यूएमएल के पास तो गृह मंत्रालय का नेपाली कांग्रेस के पास रहने की बात है। चर्चा यह भी है कि वर्तमान प्रचंड सरकार से आज आठ मंत्री त्यागपत्र सौंप सकते हैं। ये सभी आठ मंत्री सीपीएन-यूएमएल के नेता हैं।
इस त्यागपत्र के बारे में सीपीएन-यूएमएल के मुख्य सचेतक महेश बारतौला ने ही मीडिया को बताया है। बारतौला कहते हैं कि बहुत संभव है प्रधानमंत्री प्रचंड भी जल्दी ही त्यागपत्र दे दें। इसके बाद ही आगे नई सरकार के गठन की कार्रवाई होगी। इस बाबत सीपीएन-यूएमएल आज अपने कार्यकर्ताओं की एक विशेष बैठक करने जा रही है। यहां बता दें कि सीपीएन-यूएमएल के सरकार से समर्थन वापस लेने पर वह सदन में अल्पमत में होगी। इसलिए प्रधानमंत्री प्रचंड को अपना बहुमत 30 दिन के अंदर सिद्ध करना होगा। कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि प्रधानमंत्री को लगा कि उनके पास बहुमत नहीं है तो संभव है वे उससे पूर्व ही त्यागपत्र दे दें।
जैसा पहले बताया, नेपाल में राजनीतिक क्षेत्र में इस प्रकार की उथलपुथल लगातार बनी रही है। गत 16 साल में वहां 13 सरकारें बनी हैं और गिरी हैं। संसद में 275 सीटें हैं। इनमें से फिलहाल नेपाली कांग्रेस 89 सीटों पर बैठी है तो सीपीएन-यूएमएल 78 पर। प्रधानमंत्री प्रचंड की सीपीएन-माओवादी सेंटर पार्टी की कुल 32 सीटें ही हैं। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि प्रचंड कब इस्तीफा देते हैं, नई सरकार का रूवरूप क्या रहता है और प्रधानमंत्री के रूप में अगला नेता कब तक अपनी कुर्सी संभाले रख सकता है!
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